07 सितंबर 2012
आलू-प्याज में भारी गिरावट
मॉनसून में सुधार के चलते प्राथमिक तौर पर आवश्यक सब्जियों (आलू-प्याज) की कीमतों में तेज गिरावट आई है। विभिन्न कृषि उत्पाद विपणन समितियों (एपीएमसी) के आंकड़ों के मुताबिक, विभिन्न केंद्रों पर आलू की कीमतें 4 से 70 फीसदी तक नीचे आई हैं और यहां तक कि कुछ केंद्रों में कीमतों में बढ़त नकारात्मक भी हो गई है। ऐसा तब हुआ है जबकि कर्नाटक में फसलों को नुकसान पहुंचा है और देश के दूसरे सबसे बड़े आलू उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल ने राज्य के बाहर आलू भेजने पर पाबंदी लगा दी है।
प्याज की कीमतें विभिन्न राज्यों में 3 से 30 फीसदी तक फिसली हैं और कुछ केंद्रों पर यह नकारात्मक हो गई हैं। ऐसा तब हुआ है जबकि खरीफ की 40 फीसदी फसल खराब हो गई है। ओडिशा व मेघालय जैसे केंद्रों में कीमतें बढ़ी हैं क्योंकि ये आपूर्ति के लिए पश्चिम बंगाल पर आश्रित हैं, जहां से आपूर्ति पर पाबंदी लगी हुई है। इन जिंसों की आपूर्ति का प्रबंधन करने वाले अधिकारियों के मुताबिक, मॉनसून में सुधार से भंडार गृह में इन फसलों के सडऩे का खतरा बढ़ गया है। इसलिए वक्त की मांग यही है कि इन फसलों को तत्काल बाजार में बेचकर रकम निकाल ली जाए, कीमतों में उतारचढ़ाव का इंतजार किए बिना। इसके अतिरिक्त भंडार गृह के मालिक भी सितंबर के बाद आने वाली नई फसल के लिए जगह खाली रखना चाहते हैं। एक आधिकारिक सूत्र ने कहा - अगर भंडार गृह में फसल को छोड़ दिया जाता है तो बीजों के नष्ट होने का भी खतरा है, जिससे भविष्य की फसलें भी प्रभावित होंगी।
अधिकारियों ने यह भी कहा कि मॉनसून में सुधार से यह फसल महज ढाई महीने में उपलब्ध हो जाएगी। खरीफ की शुरुआती फसल हालांकि 40-45 फीसदी कम होगी, लेकिन रबी में आलू-प्याज की आवक तक आपूर्ति के लिए यह पर्याप्त होगी। इसकी वजह अगस्त के अंत में फसल की बुआई होने से फसलों की आवक देर से होगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि खरीफ सीजन के आखिर में मॉनसून में सुधार और जलाशयों के जलस्तर में बढ़ोतरी से रबी की फसल का परिदृश्य भी बेहतर हो गया है। सूत्रों ने कहा कि यह किसानों के लिए चिंता का विषय हो गया है, जिन्होंने ऑफ सीजन में आलू-प्याज बेचने के लिए इसका भंडारण कर रखा है। इसी वजह से किसान इस जिंस को बाजार में बेचकर नकदी हासिल करने की जल्दी में हैं।
मौजूदा समय में बाजार में इसकी आवक भंडार गृह से हो रही है। मई व जून में देश के विभिन्न भंडार गृह में करीब 295 लाख टन प्याज का स्टॉक था, जिसमें से अब तक करीब 50-55 फीसदी बाहर निकल चुका है। खरीफ सीजन के दौरान महाराष्ट्र में प्याज की बुआई करीब 45 फीसदी इलाके में, कर्नाटक में 18 फीसदी इलाके में, आंध्र पप्रदेश मेंं 66 फीसदी, राजस्थान मेंं 80 फीसदी, गुजरात में 95 फीसदी, मध्य प्रदेश में 92 फीसदी, हरियाणा में 53 फीसदी, बिहार में 44 फीसदी जबकि उत्तर प्रदेश में 80 फीसदी इलाके में प्याज की बुआई होने का अनुमान है। सूत्रों ने कहा - खरीफ की बुआई करीब-करीब पूरी हो गई है, लेकिन लेट खरीफ के प्याज के लिए बीजों की बुआई सितंबर के मध्य तक जारी रहने की संभावना है।
कुल मिलाकर यह पाया गया है कि पिछले साल के मुकाबले खरीफ सीजन की प्याज की फसल करीब 40-45 फीसदी कम है और इसमें एक महीने की देरी भी हुई है। महाराष्ट्र व गुजरात दो प्रमुख राज्य हैं, जहां लेट खरीफ प्याज उगाई जाती है और जनवरी व फरवरी महीने में ताजा फसल उपलब्ध कराई जाती है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि मॉनसून में सुधार प्याज की फसल के लिए बेहतर है। इस बीच, कोल्ड स्टोरेज में रखे आलू का 40-45 फीसदी हिस्सा बाजार में उतर चुका है। राष्ट्रीय बागवानी शोध व विकास फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, आलू की बाकी बची मात्रा आगामी महीनों में आपूर्ति के लिए पर्याप्त होगी। (BS Hindi)
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