17 सितंबर 2012
अच्छी बारिश से त्योहारों पर खाद्य तेलों में नरमी के आसार
आयात भी ज्यादा - चालू तेल वर्ष के पहले दस महीनों के दौरान खाद्य तेलों का आयात 18.97 फीसदी बढ़कर 81.62 लाख टन हो चुका है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट का रुख दिखाई दे रहा है।
अगस्त-सितंबर में मानसूनी वर्षा अच्छी होने से खरीफ तिलहनों की पैदावार में सुधार होने की संभावना है। जबकि चालू तेल वर्ष के पहले दस महीनों (नवंबर-2011 से अगस्त-2012) के दौरान खाद्य तेलों का आयात 18.97 फीसदी बढ़कर 81.62 लाख टन हो चुका है।
अक्टूबर में खरीफ तिलहनों की नई फसल की आवक शुरू हो जाएगी। ऐसे में त्यौहारी सीजन में खाद्य तेलों की कीमत में नरमी रहने के आसार हैं।
दिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव हेमंत गुप्ता ने बताया कि अगस्त-सितंबर में अच्छी वर्षा हुई है जिससे तिलहनों फसलों सोयाबीन, मूंगफली, सनफ्लावर और तिल की पैदावार अच्छी होने का अनुमान है।
अगले महीने से उत्पादक मंडियों में खरीफ तिलहनों की आवक शुरू हो जाएगी। ऐसे में खाद्य तेलों की कीमतों में त्यौहारी सीजन में तेजी की संभावना नहीं है। मांग के अभाव में महीने भर में खाद्य तेलों की थोक कीमतों में पांच से सात रुपये प्रति किलो की गिरावट आ चुकी है।
खाद्य तेलों के थोक कारोबारी अशोक बंसल ने बताया कि राजस्थान में सरसों तेल की थोक कीमतें 850 रुपये घटकर 825 रुपये, सोया रिफाइंड तेल का भाव इंदौर में 815 रुपये से घटकर 775 रुपये, बिनौला तेल का भाव 720 रुपये से घटकर 700 रुपये, राजकोट में मूंगफली तेल का 1,320 रुपये से घटकर 1,160 रुपये, आरबीडी पामोलीन का भाव बंदरगाह पर 600 रुपये से घटकर 560 रुपये, सीबीओ का भाव 570 रुपये से घटकर 535 रुपये प्रति दस किलो रह गए।
साई सिमरन फूड लिमिटेड के डायरेक्टर नरेश गोयनका ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में मंदा आया है। आरबीडी पामोलीन का भाव इस समय भारतीय बंदरगाह पर पहुंच 1,004 डॉलर प्रति टन है जबकि अगस्त 2011 में इसका भाव 1,192 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का भाव भी 1,089 डॉलर प्रति टन से घटकर 980 डॉलर प्रति टन रह गया।
आयात में हुई बढ़ोतरी से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों का स्टॉक भी ज्यादा है। ऐसे में त्यौहारी सीजन में मांग बढऩे पर खाद्य तेलों के दाम स्थिर बने रह सकते हैं या नरमी आ सकती है।
उत्कर्ष एग्रो के प्रबंधक एम. राव ने बताया कि मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन की कीमतों में गिरावट बननी शुरू हो गई है। शनिवार को सोयाबीन के प्लांट डिलीवरी भाव 200 रुपये घटकर 4,350-4,450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
सरसों और मूंगफली की कीमतों में भी गिरावट आई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में तिलहनों की बुवाई 171.17 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल 176.97 लाख हैक्टेयर में हुई थी। खरीफ की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुवाई पिछले साल के 103.29 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 107 लाख हैक्टेयर में हुई है। (Business Bhaskar....R S Rana)
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