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01 सितंबर 2012

बारिश का खटका दूर होने से कपास नरम

इस माह अच्छी बारिश से कपास की बुआई में सुधार हुआ है, लिहाजा कीमतों में नरमी आई है। शुक्रवार को कपास के वायदा भाव करीब 3.5 फीसदी गिर गए और तीन सप्ताह में दाम 10 फीसदी से ज्यादा घटे हैं। जानकार कहते हैं कि भले ही बुआई सुधरने से शुरुआती अनुमान के मुकाबले देश में कपास की पैदावार बेहतर होने की उम्मीद हो, लेकिन वैश्विक हालात खराब हैं। इसीलिए कपास की कीमतों में ज्यादा गिरावट की संभावना कम है। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए)की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2012-13 में कपास की वैश्विक बुआई 6.6 फीसदी घटकर 3.39 करोड़ हेक्टेयर और उत्पादन 7 फीसदी गिरकर 2.48 करोड़ टन रहने का अनुमान है। खपत 2.6 फीसदी बढ़कर 2.35 करोड़ टन रह सकती है। इस माह 7 अगस्त को एनसीडीईएक्स में कपास अप्रैल 2013 अनुबंध ने 1,184 रुपये का उच्चस्तर छू लिया था, जो गिरकर 1,060 रुपये प्रति 20 किलोग्राम पर आ गया है। इसी तरह एमसीएक्स में यही अनुबंध 7 अगस्त को 1,171 रुपये के उच्चस्तर पर पहुंच गया था। शुक्रवार को इसका भाव घटकर 1,060 रुपये प्रति 20 किलोग्राम रह गया है। कमोडिटीइनसाइटडॉटकॉम के वरिष्ठ जिंस विश्लेषक अभिषेक शर्मा ने बताया कि जुलाई में बारिश के खटके से कपास की कीमतें तेजी से बढ़ी थी, लेकिन इस माह अच्छी बारिश से कपास के दाम घटे हैं। इंडियाबुल्स कमोडिटी के सह उपाध्यक्ष (शोध) बदरुद्दीन भी मानते हैं कि कपास की बुआई सुधरने से कीमतों में नरमी आई है। वह बताते हैं कि ऊपरी स्तरों पर मुनाफावसूली से भी भाव गिरा है। भारतीय कपास संघ (सीएआई) के अध्यक्ष धीरेन सेठ ने बताया कि बारिश के कारण अब पहले से बेहतर उत्पादन की आस जगी है। उन्होंने कहा कि कपास की बुआई का आंकड़ा 114 लाख हेक्टेयर को पार कर गया है। इससे कपास की कीमतों में आ रही तेजी भी थमी है। आगे कीमतों के बारे में वह बताते हैं - ये सब मांग के ऊपर निर्भर करेगा। शर्मा ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कपास का उत्पादन घटने की आशंका है। ऐसे में भारत से कपास की निर्यात मांग बढ़ सकती है। जाहिर है कीमतों में तेजी आने की संभावना है। बदरुद्दीन का कहना है कि इस साल कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी बढ़ा है। ऐसे में लगता नहीं है कि दाम बहुत ज्यादा घटेंगे। (BS Hindi)

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