13 सितंबर 2012
मोटे अनाज, दलहन व चावल की पैदावार घटने का अनुमान
लेट मानसून सक्रिय होने से बारिश में कमी घटकर 8 फीसदी रही
निर्यात नीति नहीं बदलेगी - खरीफ में खाद्यान्न की पैदावार में कमी आने के बावजूद देश में खाद्यान्न की कमी नहीं होगी क्योंकि केंद्रीय पूल में गेहूं, चावल और चीनी का स्टॉक पर्याप्त मात्रा में है। इसलिए निर्यात नीति में भी कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। गेहूं, चावल और चीनी का निर्यात जारी रहेगा।
-शरद पवार, केंद्रीय कृषि मंत्री
जून से शुरू हुए मानसूनी बारिश में देरी होने के कारण मौजूदा खरीफ सीजन में बुवाई पर पड़े असर के चलते मोटे अनाज, दलहन, तिलहन और चावल की पैदावार पिछले साल की तुलना में घटने का अनुमान है। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मानसूनी वर्षा में सुधार हुआ है लेकिन बारिश में देरी का असर खाद्यान्न उत्पादन पर पड़ेगा। लेट मानसून सक्रिय होने के कारण देशभर में बारिश में कमी घटकर 8 फीसदी रह गई है।
उन्होंने कहा कि अगस्त-सितंबर में हुई बारिश से फसलों के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है तथा कमी का अंतर काफी कम हुआ है लेकिन बारिश देर से शुरू हुई इसलिए प्रति हैक्टेयर पैदावार में कमी आएगी। हालांकि खरीफ में खाद्यान्न की पैदावार में कमी आने के बावजूद देश में खाद्यान्न की कमी नहीं होगी क्योंकि केंद्रीय पूल में गेहूं, चावल और चीनी का स्टॉक पर्याप्त मात्रा में है। इसलिए निर्यात नीति में भी कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। गेहूं, चावल और चीनी का निर्यात जारी रहेगा।
केंद्रीय पूल में पहली सितंबर को 718.70 लाख टन खाद्यान्न का बंपर स्टॉक मौजूद था। इसमें 461.60 लाख टन गेहूं और 255.93 लाख टन चावल था। उन्होंने कहा कि सूखे पर गठित उच्चाधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) की बैठक में कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान के 390 से अधिक ब्लाकों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है। गुजरात के 24, कर्नाटक के 28, महाराष्ट्र के 25 और राजस्थान के पांच जिले सूखे से प्रभावित हुए हैं।
ईजीओएम की बैठक में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना के तहत कर्नाटक को 286.82 करोड़ रुपये, गुजरात को 245.86 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र को 160.70 करोड़ रुपये, हरियाणा को 115.47 करोड़ रुपये और पंजाब को 37.2 करोड़ रुपये की सहायता राशि को स्वीकार किया गया है। उन्होंने कहा कि सूखा प्रभावित राज्यों में खेतिहर श्रमिकों के लिए मनरेगा के तहत कार्य दिवसों की संख्या को 100 से बढ़ाकर 150 दिन कर दिया गया है।
यह स्कीम सूखा प्रभावित क्षेत्रों में ही लागू होगी। साथ ही सूखा प्रभावित जिलों के किसानों को फसली ऋण पर राहत देते हुए ब्याज दर को सात फीसदी कर दिया गया है। फसली ऋण की समय सीमा बढ़ाने पर टर्म लोन में तब्दील हो जाता है। इससे ब्याज दर बढ़कर 12 फीसदी हो जाती है। अल्पावधि के इन ऋणों के मध्यावधि में तब्दील होने की दशा में ब्याज दरों में अब अंतर नहीं आएगा। इसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी। (Business Bhaskar....R S Rana)
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