05 सितंबर 2012
महंगे गेहूं से होगा आटा गीला!
गेहूं के दाम में हो रहे इजाफे के कारण आटा कंपनियों को भी मजबूरन आटे के दाम बढ़ाने पड़ सकते हैं। इधर, खाद्य मंत्रालय ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा मुक्त बाजार में बेचे जाने वाले गेहूं पर वैधानिक और मालभाड़ा शुल्क लगाने की घोषणा भी कर डाली। इससे आटा कंपनियों की मुश्किल और बढऩे की आशंका है।
देश भर में मौजूद ब्रांडेड और खुला आटा बेचने वाली कंपनियों ने इस बात की पुष्टि की कि इससे गेहूं आटे के दाम बढ़ जाएंगे। एफसीआई की मुक्त बाजार बिक्री नीति में बदलाव और निर्यात के लिए मांग बढऩे से पिछले दो महीनों में गेहूं के दाम में 35 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
मुक्त बाजार में बिकने वाले गेहूं की संशोधित आरक्षित कीमत बढऩे से दक्षिण भारत की आटा मिलों के लिए यह और महंगा हो जाएगा। ब्रांडेड आटा श्रेणी में मौजूद कंपनियां मसलन आशीर्वाद ब्रांड नाम से आटा बेचने वाली आईटीसी, शक्ति भोग ब्रांड की मालिक दास फूड्स लिमिटेड, रिश्ता ब्रांड बनाने वाली गाजियाबाद की भवानी रोलर फ्लोर मिल ने पुष्टि की कि आधार कीमत में इजाफा होने के बाद बाजार नए कीमत बेंचमार्क के अनुसार खुद को ढाल लेगा। हालांकि सभी कंपनियां इस बारे में अंतिम अधिसूचना का इंतजार कर रही हैं।
भवानी रोलर फ्लोर मिल के निदेशक आदि नारायण गुप्ता ने कहा, 'गेहूं आटे के दाम में इजाफा करना ही पड़ेगा क्योंकि उद्योग पहले ही बेहद कम मार्जिन पर परिचालन कर रहा है।' गेहूं का भाव पिछले कुछ महीनों से 400 रुपये प्रति क्विंटल के उच्च स्तर पर है। भंडारण व ढुलाई पर होने वाले खर्च के अलावा मंडी शुल्क, आढ़तियों को कमीशन देने और श्रम शुल्क मिलाकर एफसीआई प्रति किलोग्राम गेहूं पर करीब 18.20 रुपये खर्च करती है। सूत्रों ने बताया कि वैधानिक शुल्क गेहूं उत्पादन करने वाले चार राज्यों- पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश पर लगाया जाएगा। अन्य राज्यों की आटा मिलों के लिए मालभाड़े शुल्क को गेहूं की अंतिम कीमत में शामिल किया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय मांग की पूर्ति के लिए 1,700 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर गेहूं निर्यात करने से देसी आटा मिलों के लिए गेहूं की उपलब्धता पर असर पड़ा है। एफसीआई के अधिकारी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि अभी तक गेहूं का आरक्षित भाव 1,285 रुपये प्रति क्विंटल था लेकिन जिन राज्यों में वैधानिक शुल्क लगाया गया हैं, वहां इसके भाव में 200 रुपये प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी और हो सकती है। अधिकारी ने कहा, 'हम गेहंू के दाम में संभावित इजाफे की गणना कर रहे हैं।'
उत्तर भारत की रोलर फ्लोर मिलर्स कन्फेडरेशन के अध्यक्ष आर के गर्ग का कहना है, 'सबसे ज्यादा गेहूं उत्पादन वाले क्षेत्र में मौजूद होने के बावजूद हमें इसका फायदा नहीं मिलेगा।' (BS Hindi)
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