07 सितंबर 2012
सोने-चांदी की चमकार पर बरस रहा निवेशकों का दुलार
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोना एक बार फिर अपनी चमक बिखेरने लगा रहा है। इसके साथ ही चांदी में भी शानदार तेजी देखने को मिल रही है। पिछले तीन हफ्तों के दौरान सोने की कीमतों में 6.6 फीसदी की तेजी आई वहीं चांदी का भाव 18 फीसदी तक चढ़ गया। दुनिया के प्रमुख केंद्रीय बैंकों में नकदी की स्थिति सुधरने की उम्मीद से बहुमूल्य धातुओं की कीमतों में तेजी का रुख देखा जा रहा है। वैश्विक बाजारों की कीमतों का असर भारतीय बाजार भी पड़ा और इस दौरान मुंबई में सोने की कीमतों में करीब 8 फीसदी और चांदी के भाव में 13 फीसदी का इजाफा देखा गया।
गुरुवार को लंदन बाजार में सोना 1700 डॉलर प्रति औंस के स्तर को पार कर गया और 1710 डॉलर पर कारोबार कर रहा था। वहीं चांदी का भाव 33 डॉलर प्रति औंस बोला गया। घरेलू बाजार की बात करें तो मुंबई में गुरुवार को सोने का भाव प्रति 10 ग्राम 32,000 रुपये के स्तर को पार कर गया, वहीं चांदी 61,000 रुपये प्रति किलो के भाव पर पहुंच गई। हालांकि सोना 31,700 रुपये प्रति 10 ग्राम और चांदी 62,575 रुपये प्रति किलो के भाव पर बंद हुई। रुपये में गिरावट के चलते पिछले एक साल से बहुमूल्य धातुओं की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है।
क्वांटम ऐसेट मैनेजमेंट के कोष प्रबंधक चिराग मेहता ने बताया, 'बहुत से खरीदार और निवेशक इसका इंतजार कर रहे हैं कि सोने की कीमतों में गिरावट आएगी लेकिन सोना रोज नई ऊंचाई को छू रहा है।' कुछ माह पहले गोल्ड ईटीएफ के बहुत से निवेशकों ने कीमतों में तेजी का देखते हुए मुनाफावसूली की है। पोपली समूह के निदेशक राजीव पोपली ने कहा कि कीमतों में तेजी से निवेशकों में भरोसा बढ़ा है और वे सोने-चांदी में निवेश कर रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले 11 साल में सोने में निवेश करने वालों को कभी नुकसान नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि जवेरी बाजार में अब फिर से लोग खरीदारी के लिए आने लगे हैं।
सोने की कीमतें और मांग बढऩे को लेकर भारत सरकार का रुख अलग है। सरकार का मामना है कि सोने में निवेश गैर-उत्पादकता की श्रेणी में आता है और इसमें निवेश बढऩे से आयात में फिर से इजाफा होने लगेगा। पिछले कुछ समय से सोने का आयात कम हुआ है। विश्व स्वर्ण परिषद् के मुताबिक 2012 की पहली छमाही में सोने का आयात तकरीबन 35 फीसदी घटा है।
बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष पृथ्वीराज कोठारी के मुताबिक, 'हम अभी आयात आंकड़े का इंतजार कर रहे हैं लेकिन तय है कि अगस्त में जुलाई की तुलना में अधिक आयात हुआ है।' उन्होंने कहा कि सरकार सोने के आयात को हतोत्साहित करने के लिए इस पर आयात शुल्क और बढ़ा सकती है। उन्होंने कहा कि अगर सोने पर आयात शुल्क बढ़ता है तो इसमें पहले से निवेश करने वालों को ज्यादा रिटर्न मिल सकता है। हालांकि निवेशकों के सामने यह सवाल है कि सोने में किस स्तर पर निवेश करना चाहिए? इस बारे में चिराग मेहता कहते हैं, 'लघु अवधि में सोने की कीमतें ईसीबी और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की घोषणाओं पर निर्भर करेंगी। लेकिन लंबी अवधि में इसमें तेजी का रुख देखा जा सकता है।' जानकारों का कहना है कि साल के अंत तक सोना 1,800 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है। (BS Hindi)
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