04 सितंबर 2012
बारिश की कमी ला सकती है दूध की कीमतों में उबाल
अहमदाबाद
बड़े ब्रैंड के दूध जल्द 1-2 रुपए प्रति लीटर महंगे हो सकते हैं। अमूल और मदर डेयरी जैसी देश की बड़ी डेयरी कंपनियां हालात की समीक्षा कर रही हैं और जल्द ही ये कीमतें बढ़ाने की घोषणा कर सकती हैं। इनका कहना है कि कमजोर मानसून और गुजरात में आगामी चुनाव इसकी बड़ी वजहें हैं। हालांकि, कुछ मिल्क को-ऑपरेटिव और प्राइवेट कंपनियों को लगता है कि दूध के दाम बढ़ाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसकी खरीद पिछले कुछ साल से इस बार ज्यादा हुई है। अमूल ब्रैंड की मालिक गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क माकेर्टिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के एमडी आर एस सोढ़ी ने कहा, 'लिक्विड मिल्क के दाम बढ़ाने का प्रेशर बना हुआ है।' उन्होंने यह भी कहा कि उनकी तुरंत दाम बढ़ाने की कोई योजना नहीं है।
कंपनी के एक सूत्र ने कहा कि अमूल को संतुलन बनाने के लिए कदम उठाना होगा। उनका कहना था, 'चारा महंगा होने से किसानों की लागत बढ़ गई है। इसके साथ ही दूध की खरीद भी पिछले साल से 15 फीसदी बढ़कर 96 लाख लीटर पहुंच गई है।' मदर डेयरी ने एनसीआर रीजन में पिछले एक साल से कीमतें नहीं बढ़ाई हैं। कंपनी हालात पर नजर रख रही है। मदर डेयरी के प्रवक्ता ने कहा, 'हम कुछ लागत का भार खुद उठा रहे हैं। हम समीक्षा कर जल्द ही कोई फैसला लेंगे।' मदर डेयरी की बिक्री में एनसीआर की बड़ी हिस्सेदारी है। दिल्ली में मदर डेयरी का दूध अमूल के फुल क्रीम मिल्क से 3 रुपए प्रति लीटर सस्ता है।
दुनिया में भारत दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है। पिछले साल देश में 12.1 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ था। हाल ही में कृषि राज्य मंत्री चरण दास महंत ने संसद को बताया था कि मौजूदा वित्त वर्ष में देश में स्किम्ड मिल्क पाउडर की डिमांड 88,000 टन रहने का अनुमान है जबकि इसकी उपलब्धता 1.12 लाख टन की है। मिल्क पाउडर के उत्पादन और निर्यात से जुड़ी स्टर्लिंग एग्रो के एमडी कुलदीप सलूजा का कहना है, 'मिल्क को-ऑपरेटिव अगर दूध के दाम बढ़ाकर ग्राहकों पर बोझ डालने की तैयारी कर रहे हैं तो वे डेयरी वाइटनर पर 10 फीसदी डिस्काउंट या एसएमपी को 20 रुपए घटाकर 165 रुपए प्रति किलोग्राम क्यों कर रहे हैं?'
देश में दूध के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक कर्नाटक में मिल्क-को-ऑपरेटिव्स को कीमतें बढ़ाने की जरूरत नहीं दिखती। कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के एमडी एम. एन. वेंकटरामू के मुताबिक, 'हमने जनवरी में लिक्विड मिल्क के दाम 3 रुपए प्रति लीटर बढ़ाए थे। अब हमें इस साल इसके बढ़ने की उम्मीद नहीं है।' को-ऑपरेटिव्स किसानों को प्रति किलोग्राम फैट के लिए 530 से 618 रुपए का भुगतान कर रहे हैं। इसे दूध की सप्लाई बढ़ने का बड़ा कारण बताया जा रहा है। (E T Hindi)
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