13 सितंबर 2012
मेगा फूड पार्क से रुकेगी सब्जियों की बर्बादी
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय देश के विभिन्न भागों में 10 मेगा फूड पार्क बनाने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है। जल्द ही नेशनल फिशरिज प्रोसेसिंग बोर्ड और नेशनल सोया प्रोसेसिंग बोर्ड की स्थापना भी हो जाएगी। प्रत्येक पार्क का बजट 100-150 करोड़ रुपये का होगा और मंत्रालय की तरफ से पार्क को विकसित करने के लिए अधिकतम 50 करोड़ रुपये की सहायता दी जाएगी।
सभी पार्क निजी कंपनियां स्वयं विकसित करेंगी। इस काम के लिए स्पेशल पर्पस व्हेकिल (एसपीवी) का गठन करना होगा जिसमें कम से कम तीन कंपनियों का होना जरूरी है।
ये कंपनियां ही जमीन खरीदने से लेकर उसे विकसित करने का काम करेंगी। खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय सिर्फ इन पार्को की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर अपनी मंजूरी देगा। पार्क में सरकार की कोई हिस्सेदारी नहीं होगी। शुक्रवार को आयोजित इंट्रेप्रेन्योर्स मीट के दौरान केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री सुबोध कांत सहाय ने 200 उद्यमियों को 60 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने का भी ऐलान किया। उन्होंने कहा कि अगले सितंबर तक 200 अन्य उद्यमियों को इस प्रकार की वित्तीय मदद दी जाएगी।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के सचिव अशोक सिन्हा ने बताया कि 6 पार्को के निर्माण का काम जारी है और 4 नए पार्क के प्रस्ताव को मंत्रालय ने अपनी मंजूरी दे दी है। इन पार्को का निर्माण देश के सभी हिस्सों में किया जाएगा ताकि अधिकतम शहरों को कवर किया जा सके। फल व सब्जियों की बर्बादी को रोकने के लिए मंत्रालय 25 इंटिग्रेटेड कोल्ड चेन परियोजना को भी मंजूरी देने का मन बना चुका है। एक कोल्ड चेन की क्षमता 1 लाख टन की होगी। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के उद्यमियो की वित्तीय सहायता के लिए मंत्रालय वित्तीय सलाहकारों का एक पैनल बनाने जा रही है। यह पैनल उद्यमियो को बैंकों से आसान और कम दर पर कर्ज सुविधा मुहैया कराने के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करगी। मंत्रालय ने इसकी पूरी रूपरखा तैयार कर ली है और जल्द ही इसकी घोषणा कर दी जाएगी। मंत्रालय ने अभी हाल ही में नेशनल मीट ऐंड पोल्ट्री प्रोसेसिंग बोर्ड व इंडियन ग्रेप प्रोसेसिंग बोर्ड की स्थापना भी की है। (Business bhaskar)
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