देश के गांवों में रहने वाले गरीबों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जुडी़ सेवाओं के लिए पिछले वर्ष डेढ़ अरब रुपए से ज्यादा की रिश्वत देनी पडी़।
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राशन कार्ड बनवाने से लेकर कार्ड में नए नाम शामिल करने जैसे कामों के लिए ग्रामीणों को पांच रुपए से लेकर 800 रुपए तक की रिश्वत देनी पडी़।
सेंटर फार मीडिया स्टडीज की ओर से कराए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। सर्वेक्षण के अनुसार 12 राज्यों के नौ करोड़ 40 लाख 60 हजार परिवारों में से एक करोड़ 80 लाख एक हजार परिवारों को पिछले वर्ष एक अरब 56 करोड़ 80 लाख रुपए की रिश्वत देनी पडी़।
पीडीएस सेवाओं के लिए रिश्वत सबसे ज्यादा 60 प्रतिशत लोगों ने भारतीय जनता पार्टी शासित राज्य छत्तीसगढ़ में दी। इसके बाद जनता दल (यूनाइटेड) शासित बिहार और तत्कालीन वाम मोर्चा शासित पश्चिम बंगाल में 43.43 प्रतिशत ग्रामीणों को पीडीएस सेवाओं के लिए सरकारी बाबुओं की जेबें गर्म पडीं।
इनके अलावा महाराष्ट्र में 25.2 प्रतिशत, राजस्थान में 23.3 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 18.8 प्रतिशत और हिमाचल प्रदेश में 17.6 प्रतिशत लोगों ने इन सेवाओं के लिए रिश्वत दी।
सबसे ज्यादा 37 प्रतिशत लोगों को नया राशन कार्ड बनवाने के लिए रिश्वत देनी पडी़ जबकि 28 प्रतिशत ने राशन कार्ड लेने तक के लिए रिश्वत दी। सर्वेक्षण में 12 राज्यों के 2000 गांवों के 614 परिवारों को शामिल किया गया।
करीब 42 प्रतिशत ग्रामीणों का मानना है कि पिछले एक वर्ष में इन सेवाओं में भ्रष्टाचार बढा़ है। बिहार में 62 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ तथा उत्तर प्रदेश में 50 प्रतिशत ग्रामीण परिवार मानते हैं कि पीडीएस सेवाओं में भ्रष्टाचार बढा़ है।
सरकारी आंकडों के अनुसार पीडीएस के तहत आवंटित राशन, गेहूं, चावल का 90 प्रतिशत वितरण कर दिया गया लेकिन सर्वेक्षण से पता लगा है कि 50 प्रतिशत से भी कम परिवारों ने इन दुकानों से राशन लिया। इससे स्पष्ट होता है कि पीडीएस में अनियमितता को लेकर सुप्रीम कोर्ट, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) तथा गैर सरकारी संगठनों की ओर से लगातार चिंता व्यक्त करने तथा पिछले पांच वर्षों में सरकार के तमाम उपायों के बावजूद गरीबों को सस्ती दर पर अनाज उपलब्ध कराने के लिए आवंटित अनाज की खुले बाजार में अवैध बिक्री बदस्तूर जारी है।
केंद्र सरकार ने अनाज की हेराफेरी को रोकने के लिए प्रशिक्षण, अनुसंधान, निगरानी और अभिनव योजना शुरू की थी लेकिन वर्ष 2007-08 के मुकाबले 2008-09 में न सिर्फ इस योजना में बजट व्यय कम हुआ बल्कि आवंटित राशि को पूरा खर्च भी नहीं किया गया। पीडीएस अनाज को ले जा रहे वाहनों पर नजर रखने के लिए ग्लोबल पोजिशनिंग प्रणाली शुरू करने की योजना बनाई थी लेकिन वर्ष 2008-09 तक केंद्र सरकार को राज्यों की ओर से अनुमानित राशि सम्बन्धी प्रस्ताव प्राप्त नहीं हो सके थे। (Live Hindustan)
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