अंतरराष्ट्रीय बाजार की तेजी और घरेलू उत्पादक क्षेत्रों में भारी बारिश होने के कारण कॉटन के मूल्य में तेजी की नई लहर आ गई है। विदेश में कॉटन की कीमतों में 13.44 फीसदी की तेजी आने से निर्यातकों की मांग बढ़ गई है जिससे घरेलू बाजार में पिछले एक महीने में कॉटन के दाम 5,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी 356 किलो) तक बढ़ गए हैं।
अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कॉटन का भाव बढ़कर शनिवार को 40,000 से 40,500 रुपये प्रति कैंडी हो गया। उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में अत्यधिक बारिश होने के कारण कपास की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में मौजूदा कीमतों में और भी आठ-दस फीसदी की तेजी आने की संभावना है।
केसीटी एंड एसोसिएट के मैनेजिंग डायरेक्टर राकेश राठी ने बताया कि न्यूयॉर्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में अक्टूबर महीने के वायदा अनुबंध में कॉटन का भाव आठ अगस्त को 99.57 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुआ था। जबकि सात सितंबर को इसका भाव बढ़कर 112.47 सेंट प्रति पाउंड तक पहुंच गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढऩे से घरेलू निर्यातकों की खरीद बढ़ गई है। उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में फसल खराब होने के कारण कपास की तुड़ाई में तेजी नहीं आ पा रही है। इसीलिए तेजी को बल मिल रहा है।
मुक्तसर कॉटन प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर नवीन ग्रोवर ने बताया कि सरकार ने नए सीजन के लिए कॉटन का ओपन जनरल लाइसेंस (ओजीएल) में निर्यात खोल रखा है इससे निर्यातकों की मांग बराबर बनी रहेगी। उधर पाकिस्तान के सिंध प्रांत में भारी बारिश और बाढ़ से करीब 15 से 20 लाख गांठ का नुकसान होने की आशंका है। जिससे पाकिस्तान में कपास की कीमतों में करीब 15 फीसदी की तेजी आकर भाव 6,400 रुपये प्रति 40 किलो हो गए।
इससे घरेलू बाजार में कॉटन की तेजी को बल मिल रहा है। घरेलू यार्न मिलों की मांग भी बढ़ी हुई है। पिछले एक महीने में अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कॉटन की कीमतों में 5,000 रुपये की तेजी आकर भाव 40,000 से 40,500 रुपये प्रति कैंडी हो गए। आठ अगस्त को इसका भाव 35,000 से 35,500 रुपये प्रति कैंडी था।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2011-12 में देश में 363.75 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलो) कॉटन की पैदावार होने का अनुमान है। चालू सीजन में बुवाई में 10 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल बुवाई 120 लाख हैक्टेयर में हुई है। देश में कॉटन की सालाना घरेलू खपत 268 लाख गांठ होने का अनुमान है। लेकिन हाल की बारिश से कपास उत्पादन का अनुमान गड़बड़ा सकता है। (Business Bhaskar....R S Rana)
12 सितंबर 2011
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