मुंबई September 09, 2011
दिनोदिन महंगे होते सोने-चांदी की वजह से त्योहारी मौसम में भी जेवरात के शोरूम खाली पड़े हैं। कभी-कभार दुकानों पर पहुंचने वाले ग्राहक भी गहनों की जगह सिक्के और बिस्कुट को तरजीह दे रहे हैं। शादी-ब्याह का सीजन आने वाला है, लेकिन इतने चढ़े भाव पर गहनों का ऑर्डर कोई नहीं दे रहा। इस वजह से ज्वैलरों के लिए रोजाना का खर्च निकालना भी दूभर हो रहा है।इस साल की शुरुआत में सोने का औसत भाव 20,000 रुपये प्रति 10 ग्राम था, जो जुलाई में 22,500 रुपये तक पहुंच पाया था। लेकिन महज 2 महीने में यह 28,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया, जिससे आम आदमी दूर भाग रहा है।मुंबई ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कुमार जैन कहते हैं कि लोग इस भाव पर ज्वैलरी खरीदने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। इसी वजह से त्योहारी सीजन ज्वैलरी के लिए फ्लॉप हो गया है। भाव में भारी उतारचढ़ाव की वजह से शादी-ब्याह के सीजन की बुकिंग भी नहीं हो रही है। उन्होंने बताया, 'चलन यही है कि जिस दिन बुकिंग होती है, उसी दिन के भाव पर जेवरात दिए जाते हैं। लेकिन 1 ही दिन में सैकड़ों रुपयों के उतार चढ़ाव की वजह से अब डिलिवरी वाले दिन के हिसाब से भाव तय किया जा रहा है। इस वजह से अक्टूबर-नवंबर के लिए ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। जवेरी बाजार और दागिना बाजार में भी ग्राहक नहीं आ रहे हैं। थोक बाजार की प्रमुख ज्वैलरी कंपनी संगम चेन के निदेशक रमेश सोलंकी कहते हैं, 'बाजार में सोने की मांग है, गहनों की नहीं क्योंकि लोग सोने की गिन्नी और बिस्कुट खरीद रहे हैं। त्योहारों में लोग गहनों के बजाय कम वजन की गिन्नी तोहफे में देना पसंद कर रहे हैं क्योंकि ये सस्ते पड़ते हैं और बेचने पर इनका दाम ज्यादा मिलता है। 10 ग्राम की गिन्नी पर ज्वैलर 100 रुपये अतिरिक्त लेते हैं, जबकि गहनों में बतौर मेकिंग चार्ज 200 से 1,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक देने पड़ते हैं। बेचते समय गहनों की पूरी कीमत भी नहीं मिलती।महंगे सोने ने छोटे आभूषण विक्रेताओं की हालत पतली कर दी है। कृष्णा ज्वैलर्स के मनु भाई कहते हैं कि 2 महीने दुकान का खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया है। ग्राहक आएं न आएं, दुकान का किराया, बिजली का बिल, कर्मचारियों का वेतन तो देना ही होता है। वह निराश होकर कहते हैं कि दूसरा धंधा ढूंढना होगा। (BS Hindi)
12 सितंबर 2011
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