मुंबई September 14, 2011
भारी बारिश के चलते कपास उत्पादक राज्यों से फसल खराब होने की आ रही खबरों के बावजूद इस बार घरेलू और वैश्विक बाजार में बंपर पैदावार की उम्मीद है। वहीं मंडियों में भी पर्याप्त भंडार है, फिर भी कपास की कीमतों में तेजी देखी जा रही है। बाजार के जानकार इसे नई फसल के आने से पहले सटोरियों की चालमान रहे हैं।कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक माह में कपास की कीमतें करीब 22 फीसदी तक चढ़ चुकी हैं। 1 अगस्त को शंकर-6 कपास की कीमत 32,000 रुपये प्रति कैंडी थी जो 31 अगस्त को बढ़कर 36,500 रुपये और 12 सितंबर को 40,000 रुपये प्रति कैंडी पहुंच गई। इसी तरह डीसीएच 32 की कीमत 1 अगस्त को 54,500 रुपये से बढ़कर 1 सितंबर को 56,000 रुपये प्रति कैंडी पहुंच गई। हालांकि 13 सितंबर तक इसकी कीमत घटकर 55,000 रुपये प्रति कैंंडी रह गई। कॉटन एसोसिएशन के किशोरीलाल झुनझनवाला कहते हैं कि अच्छे मॉनसून की वजह से इस बार कपास का रकबा भी बढ़ा है। इसके बावजूद कीमतों में जो उछाल दिखाई दे रहा है वह निर्यात कोटा बढ़ाए जाने को लेकर चल रही रसाकस्सी की वजह से सेंटीमेंटल बढ़त मानी जा सकती है।भारत मर्चेंट चेंबर के अध्यक्ष राजीव सिंघल कहते हैं कि कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार कपास की बुआई 118.90 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 108.9 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। वहीं किसानों ने बीटी कॉटन का इस्तेमाल ज्यादा किया है जिससे उत्पादन बढऩे की संभावना है। मंडियों में भी कपास का पर्याप्त भंडार है। ऐसे में कीमतों में अचानक तेजी सवाल खड़ा करता है।हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में लगातार हो रही बारिश की वजह से कपास की फसल खराब होने की बात कही जा रही है लेकिन बाजार के जानकार इससे सहमत नहीं हैं। किशोरी लाल जी कहते हैं कि मौसम कपास के अनुकूल है जिससे उत्पादन बढ़ेगा। कारोबारियों का कहना है कि फसल खराब होने और निर्यात की अटकलों को हवा देकर सटोरियों ने कीमतें बढ़ाई हैं। अगले 10-15 दिन में कपास की नई फसल बाजार में आनी शुरू हो जाएगी और कीमतों में गिरावट आएगी।कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार इस बार 363 लाख गांठ कपास का उत्पादन होगा जबकि पिछले साल 332.25 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। यही वजह है कि पर्याप्त भंडार के चलते सरकार ने कपास के निर्यात को हरी झंडी दी है। (BS Hindi)
16 सितंबर 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें