अहम फैसला 'ओजीएल' के तहत किया जाएगा गेहूं और गैर-बासमती चावल का निर्यातएमएमटीसी, एसटीसी, पीईसी व नेफेड के माध्यम से होना है खाद्य तेलों का आयात
केंद्र सरकार ने गेहूं और गैर-बासमती चावल के निर्यात पर लगी रोक को पूरी तरह से हटा लिया है। हालांकि, फुटकर बाजार में दाम बढऩे से चिंतित सरकार ने प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए दस लाख टन खाद्य तेलों के आयात की अवधि को भी 30 सितंबर 2012 तक बढ़ा दिया गया है।
खाद्य मामलों पर प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) की बैठक गुरुवार को हुई। बैठक के बाद एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि गेहूं और गैर-बासमती चावल का निर्यात ओपन जनरल लाइसेंस (ओजीएल) के तहत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने प्याज के निर्यात पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है। वहीं, राज्य सरकारों को पीडीएस में आवंटित करने के लिए दस लाख टन खाद्य तेलों की आयात अवधि एक साल बढ़ा दी गई है।
आयात की अवधि 30 सितंबर 2011 को समाप्त हो रही है। इसका आयात सार्वजनिक कंपनियों एमएमटीसी, एसटीसी, पीईसी और नेफेड के माध्यम से किया जाना है। घरेलू बाजार में खाद्यान्न के दाम बढऩे के कारण सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर अप्रैल 2008 में रोक लगाई थी। वहीं, गेहूं के निर्यात पर वर्ष 2007 से ही रोक लगी हुई है।
सरकार ने गत 11 जुलाई को दस लाख टन गैर-बासमती चावल के निर्यात को मंजूरी दी थी, लेकिन निर्यातकों द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में केस दायर कर देने से अभी तक निर्यात शुरू नहीं हो पाया है। प्याज की तेजी रोकने के लिए भी सरकार ने 7 सितंबर को इसके न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को 175 डॉलर बढ़ाकर 475 डॉलर प्रति टन तय कर दिया था। (Business Bhaskar....R S Rana)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें