कोच्चि September 14, 2011
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अगस्त अवधि के दौरान प्राकृतिक रबर के निर्यात में 280 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। रबर बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक संदर्भित अवधि में कुल निर्यात 12,219 टन रहा है, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 4,364 टन रहा था।घरेलू बाजार में प्राकृतिक रबर की कीमतों में गिरावट की वजह से निर्यात में भारी बढ़ोतरी हुई है। ऊंची कीमतों और निम्न गुणवत्ता समेत कई वजहों से भारत से प्राकृतिक रबर के निर्यात की स्थिति कमजोर बनी हुई थी। वर्ष 2010 के कुछ महीनों में निर्यात लगभग नगण्य भी रहा। इस साल अगस्त में निर्यात बढ़कर 1,082 टन रहा, जो पिछले वर्ष के समान महीने में केवल 17 टन रहा था। इस साल जुलाई में 779 टन प्राकृतिक रबर का निर्यात हुआ, जो जुलाई 2010 में मात्र 24 टन था। चालू वित्त वर्ष की कुछ समयावधियों में भारतीय प्राकृतिक रबर की कीमतें विदेशी खरीदारों के लिए फायदेमंद थीं, क्योंकि घरेलू कीमतें 17-19 रुपये प्रति किलोग्राम कम बनी हुई थीं। इस वित्त वर्ष के शेष महीनों में भी निर्यात बढऩे की संभावना है, क्योंकि वैश्विक कीमतें भारत से अधिक बनी हुई हैं। भारतीय प्राकृतिक रबर की गुणवत्ता अच्छी नहीं होने के कारण वैश्विक बाजार में इसे ज्यादा ग्राहक नहीं मिलते हैं। लेकिन कीमतों में 12-15 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आने पर भारत विदेशी खरीदारों के लिए आकर्षक केंद्र बन जाएगा। घरेलू खपत ज्यादा होने के कारण भारत वैश्विक निर्यात बाजार का प्रमुख खिलाड़ी नहीं है।विदेशी बाजारों में ऊंची कीमतें होने के कारण इस वित्त वर्ष की अप्रैल-अगस्त अवधि में प्राकृतिक रबर का आयात घटा है। इस दौरान देश में इसका आयात 11 फीसदी गिरकर 76,116 टन रहा है, जो पिछले साल की समान अवधि में 85,058 टन रहा था। हालांकि इस पर आयात शुल्क को 20 फीसदी से घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया गया है। विदेशी बाजारों में ऊंची कीमतों के कारण घरेलू खरीदारों के लिए आयात भी फायदे का सौदा नहीं है। उद्योग ने निश्चित स्टॉक बनाए रखने और रबर की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए शुल्क मुक्त आयात की मांग की है। लेकिन राजनीतिक बाधाओं, विशेष रूप से रबर उत्पादक राज्य केरल के कारण सरकार शुल्क मुक्त आयात की स्वीकृति देने की स्थिति में नहीं है। (BS Hindi)
16 सितंबर 2011
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