नई दिल्ली September 27, 2011
पेराई सत्र 2011-12 के दौरान देश में चीनी की बंपर उत्पादन होने की संभावना है, जिसका असर चीनी की कीमतों पर देखा जा रहा है। कारोबारियों का कहना है कि आमतौर पर त्योहारी सत्र शुरू होने के साथ ही चीनी के दाम चढऩे लगते है, लेकिन इस बार चीनी की कीमतें सुस्त हैं। उनके मुताबिक बीते 3 माह से सरकार बाजार में मांग के मुकाबले ज्यादा चीनी का कोटा जारी कर रही है। सरकार अगस्त के लिए 17 लाख और सितंबर के लिए 19.31 लाख टन का कोटा जारी कर चुकी है। साथ ही उत्पादन बढऩे की आस के चलते स्टॉकिस्ट बाजार से गायब हैं, लिहाजा चीनी की कीमतों में गिरावट आई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम गिरने से भी घरेलू बाजार में कीमतों में गिरावट को बल मिला है। मुख्य चीनी उत्पादक देश ब्राजील के पहले एथेनॉल पर ज्यादा जोर देने की खबर थी, लेकिन अब इसके चीनी पर बल देने की रिपोर्ट आ रही है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम गिरे हैं। चीनी का कारोबार करने वाली कंपनी एसएनबी एंटरप्राइजेज के सुधीर भालोटिया ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि सरकार ने अगस्त और सितंबर माह के लिए क्रमश: 17 लाख टन और 19.31 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है, जो बाजार में मांग के मुकाबले काफी ज्यादा है। इस वजह से बाजार में चीनी की आपूर्ति बढ़ गई है, जिससे महीने भर में चीनी के दाम 100 रुपये प्रति क्विंटल गिर चुके हैं। बालाजी ट्रेडर्स के आर. पी. गर्ग बताते है कि ज्यादा आपूर्ति के बीच आगामी पेराई सत्र में चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है,जिससे चीनी की कीमतों में गिरावट का रुख है।महीने भर में उत्तर प्रदेश में एक्स फैक्ट्री चीनी के दाम 100 रुपये गिरकर 2,775-2,825 रुपये और दिल्ली में भाव इतने ही घटकर 2880-2950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। बकौल भालोटिया ब्राजील के चीनी उत्पादन पर जोर देने की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चीनी के दाम करीब 50 डॉलर गिरकर 750-755 डॉलर प्रति पर आ गए हैं। भालोटिया के अनुसार आने वाले दिनों में चीनी की कीमतों में थोड़ा सुधार तो हो सकता है, लेकिन ज्यादा तेजी की उम्मीद नही है। चीनी कारोबारी देशराज कुमार भी चीनी के मूल्यों में तेजी की संभावना को नकारते हैं। (BS Hindi)
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