मुंबई September 27, 2011
पिछले वर्ष उत्तम किस्म के गन्ने की खरीद के कारण श्री रेणुका शुगर्स (एसआरएस) के लिए गन्ने की खरीद अन्य कंपनियों के मुकाबले महंगी रही। कंपनी ने पिछले सीजन में गन्ने की खरीद के लिए औसत कीमत 2,831 रुपये प्रति टन चुकाई। जबकि दूसरी सबसे अधिक औसत कीमत सिंभावली शुगर्स लिमिटेड (एसएसएल) द्वारा 2,647 रुपये प्रति टन चुकाई गई। हालांकि एसआरएस द्वारा चुकाई गई कीमत उद्योग की औसत वसूली 28,000-29,000 रुपये प्रति टन के समान ही रही। उद्योग की औसत प्राप्ति करीब 10 फीसदी रही, जिसका मतलब है कि 100 टन गन्ने की पेराई से 10 टन चीनी का उत्पादन हुआ। एक विश्लेषक ने कहा कि 'किसानों को चुकाई गई गन्ने की कीमत महाराष्ट्र की कीमतों के समान ही रही। महराष्ट्र में रिकवरी 11.5 फीसदी रही, जबकि उत्तर प्रदेश स्थित में स्थित ज्यादातर कंपनियोंं की रिकवरी 9.5 फीसदी रही।' आमतौर पर हर साल केंद्र सरकार गन्ने का उचित व लाभकारी मूल्य (एफआरपी) तय करती है। सीजन 2010-11 के लिए सरकार ने एफआरपी 1,450 रुये प्रति टन तय किया है, जो इससे पिछले वर्ष के एफआरपी 1,392.50 रुपये से मामूली अधिक है। लेकिन एफआरपी को न्यूनतम कीमत मानते हुए चीनी मिलें अपने क्षेत्र के किसानों के साथ बेंचमार्क रिकवरी 9.5 फीसदी के समान कीमतें तय करने के लिए किसानों से सौदेबाजी करती हैं।उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु समेत प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में संबंधित राज्य सरकारें चीनी मिलों के साथ बातचीत कर गन्ने की कीमतें तय करती हैं, जो हमेशा एफआरपी से ज्यादा होती हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने 9.5 फीसदी रिकवरी वाले गन्ने की कीमत 2,050 रुपये तय की थी। लेकिन ज्यादातर मिलों ने गन्ने की ज्यादा उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बेंचमार्क कीमत से ज्यादा कीमत चुकाई। इसके अलावा उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में गन्ना राजनीतिक एजेंडे में भी सबसे ऊपर रहता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 'कंपनी (रेणुका शुगर्स) प्रभावी जोखिम प्रबंधन और भारतीय रिफाइनरियों के पूर्ण क्षमता के साथ परिचालन के जरिए ऑपरेटिंग नकदी प्रवाह बढ़ाकर बैलेंस शीट पर कर्ज का बोझ कम करने की योजना बना रही है। कंपनी की योजना ब्राजीलियाई कंपनी के अधिग्रहण के टर्नअराउंड को पूरा करने की है।' वहीं सिंभोली शुगर्स के एक अधिकारी ने कहा कि उन्होंने पिछले साल किसानों को 9.5 फीसदी रिकवरी वाले गन्ने की कीमत 205 रुपये प्रति क्विंटल चुकाई। उन्होंने कहा कि ज्यादा रिकवरी पर उसी अनुपात में और अधिक कीमत चुकानी पड़ी। (B S Hindi)
28 सितंबर 2011
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