नई दिल्ली । केंद्र सरकार की प्रस्तावित नई राशन प्रणाली में हर माह परिवार को दिए जाने वाला राशन अब परिवार के सदस्यों की संख्या के आधार पर तय होगा। इसके तहत प्रत्येक व्यक्ति को सात किलो राशन हर महीने दिया जाएगा। अनाज की मात्रा राशन कार्ड पर दर्ज सदस्यों की संख्या के आधार पर तय की जाएगी।
नई राशन प्रणाली के इस प्रावधान से उन बीपीएल [गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले] परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा, जिनके परिवार के सदस्यों की संख्या पांच से अधिक है। फिलहाल हर बीपीएल परिवार को प्रति माह 35 किलो अनाज मिलता है। नया नियम लागू होने के बाद अनाज के आवंटन में भारी वृद्धि करनी होगी। प्रणाली में इस संशोधन की सिफारिश प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निर्देश पर गठित मुख्यमंत्रियों की समिति ने की है। इस समूह के अध्यक्ष योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया हैं। इस समिति में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह और असम के मुख्यमंत्री तरुण गगोई सदस्य हैं। यह समिति राशन प्रणाली में सुधार पर अपनी सिफारिशें इस महीने के आखिर तक प्रधानमंत्री को सौंपेगी। योजना आयोग के वर्ष 1993-94 के अनुमान के मुताबिक केंद्र सरकार हर महीने 6.52 करोड़ गरीब परिवारों को रियायती दर पर राशन बेचती है, लेकिन राज्यों में कुल गरीब परिवारों की संख्या 11 करोड़ है। इस मामले में राज्य सरकारों के जवाब को समिति ने गंभीरता से सुना है। इसी के आधार पर कमेटी ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि गरीब परिवारों के टूटने से यह संख्या लगातार बढ़ी है, जिसे केंद्र सरकार की ओर से नजरअंदाज किया गया है।
समिति ने राशन प्रणाली में सुधार के लिए जो सुझाव दिए हैं, उसमें विचाराधीन खाद्य सुरक्षा विधेयक पर खास ध्यान दिया गया है। इस विधेयक में सरकार गरीब परिवारों को रियायती अनाज देने की गारंटी के स्थान पर हर गरीब को खाद्य सुरक्षा की गारंटी देगी। राशन प्रणाली में सुधार की दिशा में गरीब परिवारों को राशन कार्ड की जगह स्मार्ट कार्ड दिए जाने का प्रावधान है। खाद्य सब्सिडी की राशि उसके इसी कार्ड में भरी जाएगी, जिससे वह खुदरा दुकानों अथवा रियायती दर की दुकानों से गेहूं, चावल, अंडा, मीट और दालें खरीद सकता है। (Jagran)
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