नई दिल्ली May 24, 2011
पिछले कुछ महीनों में स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) के दाम 10-12 फीसदी बढ़कर 200 रुपये प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के कारण इसकी मांग में बेहद कमी आई है। विनिर्माताओं का कहना है कि अधिक समय तक स्टॉक नहीं रख पाने की मजबूरी के कारण उन्हें अगले दो हफ्ते में इसके दाम घटाने पड़ेंगे। इन गर्मियों में एसएमपी का दाम 180 रुपये से बढ़कर 200 रुपये प्रति किलो हो गया है जबकि दिसंबर में इसका भाव 165 रुपये प्रति किलो था। मिल्क पाउडर के निर्यात पर पाबंदी है जबकि इसकी सबसे बड़ी खरीदार सहकारी कंपनियों ने इसका आयात कर लिया है। मुमकिन है कि जल्द ही कंपनियां इसके भाव में 10 रुपये प्रति किलो की कटौती कर सकती हैं। कृष्णा ब्रांड के तहत मिल्क पाउडर बनाने वाली भोले बाबा इंडस्ट्रीज के निदेशक जितेंद्र अग्रवाल का कहना है, 'आमतौर पर गर्मियों में एसएमपी की मांग अधिक रहती है। हालांकि इस साल इसकी मांग कम है। बाजार मौजूदा कीमतों पर खरीदारी नहीं कर रहा है। हम अधिक दिन तक स्टॉक नहीं रख सकते इसीलिए अगले 15 दिनों में दाम घटने की उम्मीद है।Óघरेलू मांग नहीं के बराबर होने के साथ ही फरवरी में एसएमपी के निर्यात पर लगी पाबंदी से कारोबारियों पर दोहरी मार पड़ रही है। एसएमपी के साथ ही कैसीन के निर्यात पर भी पाबंदी लगाई गई थी। पिछले वित्त वर्ष के दौरान देश से करीब 500 करोड़ रुपये के कैसीन का निर्यात हुआ था। निर्यात पर पाबंदी लगाने के बाद सरकार ने डेयरी उद्योग को 30,000 टन मिल्क पाउडर के शुल्क रहित आयात की अनुमति दे दी थी।सरकार ने दूध के बढ़ते दाम पर काबू करने के लिए मिल्क पाउडर के निर्यात पर पाबंदी लगाई थी। हालांकि इस पाबंदी के बावजूद दूध के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। अप्रैल से अब तक अमूल और मदर डेयरी ने दूध के दाम में 2 रुपये प्रति लीटर का इजाफा किया है। पिछले एक साल में दूध के दाम 20-25 फीसदी बढ़ें हैं। कंपनियां इसके पीछे लागत बढऩे का तर्क देती हैं। एसएमपी का इस्तेमाल दूध प्रसंस्करण कंपनियां फुल क्रीम दूध बनाने में करती हैं। परम प्रीमियम ब्रांड बनाने वाली परम डेयरी के प्रबंध निदेशक राजीव कुमार निर्यात पर पाबंदी और घरेलू बाजार में कमजोर मांग को मिल्क पाउडर की बिक्री में कमी आने की वजह बताते हैं। (BS Hindi)
25 मई 2011
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