मुंबई May 09, 2011
कानून मंत्रालय ने खाद्य मंत्रालय के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है जिसमें उसने गन्ने से सीधे एथेनॉल तैयार करने के लिए कानून में संशोधन की मांग की थी। अब तक चीनी के उत्पाद के तौर पर एथेनॉल तैयार किया जाता है जिससे देश में मांग के अनुरूप काफी कम मात्रा में एथेनॉल उपलब्ध हो पाता है। इसलिए सीधे गन्ने से एथेनॉल तैयार करने की अनुमति के लिए खाद्य मंत्रालय ने आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3 में जरूरी संशोधन का प्रास्ताव कानून मंत्रालय के पास भेजा था। प्रस्ताव को खारिज करते हुए कानून मंत्रालय ने कहा कि इस प्रस्ताव को अलग प्रावधानों के तहत विचार किया जा सकता है। चूंकि देश में आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत सरकार चीनी के विनिर्माण, वितरण और विपणन को नियंत्रित करती है ऐसे में मौजूदा कानून में संभव नहीं है। मामले से जुड़े कानून मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि एथेनॉल आवश्यक वस्तु के अंतर्गत नहीं आता है, भले ही एक नियंत्रित वस्तु के रूप में इसे निर्मित किया जाता है लेकिन इसे चीनी जैसी आवश्यक वस्तु की सूची में नहीं रखा जा सकता है। चूंकि एथेनॉल आवश्यक वस्तु नहीं है ऐसे में इसे आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत एक अधीनस्थ विधान में शामिल नहीं किया जा सकता है। अधीनस्थ विधान का दायरा संशोधन के जरिये नहीं बढ़ाया जा सकता है। इसलिए एथेनॉल को सीधे गन्ने से तैयार करने संबंधी प्रस्ताव चीनी नियंत्रण आदेश के दायरे से बाहर है। सूत्रों के मुताबिक खाद्य मंत्रालय और कानून मंत्रालय के अधिकारियों के बीच इस संबंध में पहले ही बातचीत हो गई है। कानून मंत्रालय ने इस संबंध में संविधान के अनुच्छेद 47 का उल्लेख करते हुए कहा कि इस विषय पर शुल्क लगाने और पोषण स्तर बढ़ाने आदि को लेकर निर्णय लेने का अधिकार राज्य को है। सूत्रों ने कहा कि अनुच्छेद 47 के प्रावधान के मुताबिक एथेनॉल को नियंत्रित वस्तु की सूची में शामिल करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करना जरूरी होगा।इसके पहले प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) ने भी आवश्यक वस्तुओं विशेषकर चीनी की आपूर्ति चिंता के मद्देनजर सीधे गन्ने से एथेनॉल के उत्पादन का विरोध किया था। पीएमईएसी का मानना है कि आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। बिहार सरकार की पहल पर खाद्य मंत्रालय द्वारा इस प्रस्ताव को कानून राय के लिए भेजा गया था। बिहार सरकार ने सीधे गन्ने से एथेनॉल तैयार करने के लिए कई परियोजनाओं से करार किया है। झारखंड से अलग होने के बाद बिहार पूरी तरह कृषि पर निर्भर हो गया है ऐसे में कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार गन्ने से सीधे एथेनॉल तैयार करने की नीति पर विचार कर रही है। इस समय कुल 122 ऐसे प्लांट हैं जिनमें चीनी के सह उत्पाद के तौर पर एथेनॉल का निर्माण किया जाता है। भारत में एथेनॉल उत्पादन की कुल क्षमता 1.2 अरब लीटर सालाना है। (BS Hindi)
11 मई 2011
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