नई दिल्ली May 23, 2011
चाय का प्याला भी गर्म होने लगा है। पिछले साल के मुकाबले चाय की कीमतें 10 से 15 रुपये बढ़ चुकी हैं। चाय की कीमतों में तेजी की वजह इसके स्टॉक में कमी आना है। चाय उद्योग का कहना है कि स्टॉक में गिरावट की वजह पिछले साल उत्पादन में आई गिरावट है। उद्योग ने अगले माह तक चाय की कीमतों में तेजी जारी रहने की संभावना जताई है। उद्योग का यह भी कहना है कि केन्या और श्रीलंका में भी उत्पादन गिरने से चाय के दामों में कमी आने की उम्मीद कम ही है।भारतीय चाय संघ के निदेशक कमल वाहिदी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि सत्र की शुरुआत में चाय का ओपनिंग स्टॉक 5 करोड़ किलोग्राम कम है। इसकी वजह से चाय के दाम पिछले साल की तुलना में 10-15 रुपये प्रति किलो ज्यादा हैं। वाहिदी के मुताबिक उत्पादक इलाकों में असम की चाय के नीलामी भाव 150 रुपये प्रति किलो हैं। स्टॉक में कमी के बारे में वाहिदी का कहना है कि पिछले साल चाय उत्पादन घटने के कारण इसमें कमी आई है। भारतीय चाय बोर्ड के मुताबिक वर्ष 2010 में देश में 96.64 करोड़ किलोग्र्राम चाय का उत्पादन हुआ था जो वर्ष 2009 में 97.89 करोड़ किलोग्राम था। चालू वर्ष के जनवरी-फरवरी महीनों में चाय उत्पादन 16 फीसदी से अधिक गिरकर 3.76 करोड़ किलो रहा, लेकिन मार्च में इसमें 16 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस वजह से शुरुआती तीन महीनों में चाय उत्पादन पिछली वर्ष की समान अवधि के बराबर ही है। चाय की कीमतों के संदर्भ में बाघ बकरी ब्रांड के नाम से चाय बेचने वाली कंपनी गुजरात टी प्रोसेसर्स ऐंड पैकर्स लिमिटेड के चेयरमैन पीयूष देसाई भी इसकी कीमतों में तेजी की बात से इत्तेफाक रखते है। उनका कहना है कि देश में मांग के मुकाबले चाय की आपूर्ति कम है, इसलिए चाय के दाम बढ़े है। उनके मुताबिक अच्छी गुणवत्ता वाली चाय के नीलामी भाव 150-220 रुपये प्रति किलो हैं। ये भाव पिछले साल की तुलना में 10 से 15 फीसदी अधिक हैं। पैकेज्ड चाय का एमआरपी दाम 300-320 रुपये प्रति किलो है। दिल्ली के चाय कारोबारी राकेश तायल ने बताया कि उत्पादक इलाकों में चाय के दाम बढऩे से दिल्ली में भी चाय की कीमतों में 15 रुपये प्रति किलो का इजाफा हुआ है। आने वाले समय में चाय की कीमतों के बारे में कमल वाहिदी का कहना है कि जुलाई के बाद चाय उत्पादन का पीक समय शुरू होगा, उस समय चाय उत्पादन की सही तस्वीर साफ होने पर कीमतों में के बारे में सही अनुमान लगाए जा सकेंगे। लेकिन केन्या और श्रीलंका में चाय उत्पादन में कमी को देखते हुए इस साल कीमतों में कमी आने की उम्मीद कम ही है। देसाई ने कहा कि अगले माह तक तो चाय की कीमतों में तेजी बरकरार रहेगी। उसके बाद चाय के उत्पादन और निर्यात मांग पर इसके दाम काफी हद तक निर्भर करेंगे। (BS Hindi)
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