कोच्चि May 10, 2011
प्राकृतिक रबर का इस्तेमाल करने वाले उद्योगों ने इस वित्त वर्ष में टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) के आधार पर 2 लाख टन रबर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने की मांग की है। इसके साथ ही इन्होंने 5000 टन लेटेक्स के आयात की अनुमति भी मांगी है। इनका कहना है कि घरेलू मांग व आपूर्ति के बीच की खाई को पाटने के लिए यह आवश्यक है।ऑल इंडिया रबर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (एआईआरआईए) और ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटमा) ने कहा है कि प्राकृतिक रबर के घरेलू उत्पादन और खपत के बीच बढ़ता अंतर चिंता का विषय है और ऐसे गंभीर मुद्दे को सुलझाने में शुल्क मुक्त आयात महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।एआईआरआईए के प्रेसिडेंट विनोद साइमन और एटमा के महानिदेशक राजीव बुद्धिराजा ने कहा कि पिछले चार वित्त वर्ष में प्राकृतिक रबर का उत्पादन महज 1 फीसदी बढ़ा है, वहीं खपत में 15 फीसदी का इजाफा हुआ है। उद्योग के अनुमान के मुताबिक, मौजूदा वित्त वर्ष में घरेलू खपत और उत्पादन के बीच 1.89 लाख टन का अंतर रहने की संभावना है। ऑटो उद्योग की बढ़ती रफ्तार का फायदा उठाने के लिए टायर कंपनियोंं ने क्षमता विस्तार की योजना बनाई है और इसके चलते इस वित्त वर्ष में खपत में 1.5 लाख टन का इजाफा होगा। रबर बोर्ड के अनुमान के मुताबिक, साल 2011-12 में 9.77 लाख टन रबर की खपत होगी, जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 40,000 टन ज्यादा है। इस अनुमान के उलट एआईआरआईए व एटमा ने कहा है कि इस वित्त वर्ष के आखिर तक 10.8 लाख टन रबर की खपत होगी और पिछले साल के मुकाबले यह 1.5 लाख टन ज्यादा है? इस तरह स्थानीय आपूर्ति व मांग के बीच 1.89 लाख टन की कमी होगी। लेकिन बोर्ड ने महज 75,000 टन रबर की किल्लत का अनुमान जताया है।बुद्धिराजा ने कहा कि टायरों की मांग में बढ़ोतरी की वजह से मांग-आपूर्ति के बीच बढ़ते अंतर से तैयार उत्पाद के आयात में बढ़ोतरी होगी। इसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक रबर से तैयार उत्पाद में गुणवत्ता का सुधार (खास तौर से टायर में) देश से बाहर (चीन में) होगा। साल 2010-11 में ट्रक व बसों के टायर का आयात पिछले वित्त वर्ष के 13,62,010 से बढ़कर 19,63,815 पर पहुंच गया था। (BS Hindi)
11 मई 2011
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