नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर बनी रहने के कारण शुक्रवार को शाम के सत्र में गुजरात के साथ ही उत्तर भारत में कॉटन की कीमतों में मंदा आया।
गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव शुक्रवार को 100 रुपये कमजोर होकर 55,400 से 55,600 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।
पंजाब में रुई हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर नरम होकर 5,780 से 5,790 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव घटकर 5,550 से 5,640 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम नरम होकर 5,700 से 5,800 रुपये प्रति मन बोले गए। लोअर राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम 54,500 से 54,600 रुपये कैंड़ी बोले गए।
भारत और बांग्लादेश के बीच कपड़ा व्यापार में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। अमेरिका के परिधान ऑर्डर जो पारंपरिक रूप से भारत द्वारा पूरे किए जाते थे, अब तेजी से बांग्लादेश की ओर जा रहे हैं, जबकि यूरोपीय और जापानी ऑर्डर भारतीय निर्माताओं के लिए बढ़ती प्राथमिकता दर्शा रहे हैं। यह बदलाव अमेरिका द्वारा अप्रैल 2025 से भारतीय कपड़ा वस्तुओं पर 50 फीसदी का भारी शुल्क लगाने से प्रेरित है, जबकि बांग्लादेशी निर्यात पर शुल्क काफी कम है।
स्पिनिंग मिलों की खरीद कमजोर होने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में मंदा आया। व्यापारी अभी इसके भाव में बड़ी तेजी के पक्ष में नहीं है।
केंद्र सरकार ने कॉटन के आयात पर शून्य शुल्क की समय सीमा को 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 कर दिया है।
व्यापारियों के अनुसार घरेलू गारमेंट इकाइयों द्वारा उत्पादन में कटौती की जा रही है, क्योंकि एक तरफ जहां सूती धागे में उठाव कमजोर है वहीं अधिकांश स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का डेढ़ से दो महीनो का बकाया स्टॉक बचा हुआ है। अत: हाजिर बाजार में कॉटन की कीमतों में आगामी दिनों में नरमी ही आने का अनुमान है। उत्तर भारत के राज्यों में सितंबर एवं अन्य राज्यों में अक्टूबर में कपास की नई फसल की आवक बनेगी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार 22 अगस्त तक चालू खरीफ सीजन देशभर में कपास की बुआई कम होकर 108.47 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 111.39 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

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