नई दिल्ली। देश से अगस्त में डीओसी के निर्यात में 12 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 276,834 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल अगस्त में इसका निर्यात 314,363 टन का हुआ था।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2025-26 के पहले पांच महीनें अप्रैल से अगस्त के दौरान डीओसी के निर्यात में 4 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 1,793,816 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 1,868,789 टन का हुआ था।
भारत जुलाई 2023 से पहले 5 से 6 लाख टन डी-ऑयल राइस ब्रान का निर्यात मुख्य रूप से वियतनाम, थाईलैंड और अन्य एशियाई देशों को करता था और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत का नाम एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में था। सरकार ने 28 जुलाई को डी-ऑयल राइस ब्रान के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया, इसका कारण घरेलू बाजार में चारा महंगा होना था, जिसमें डी-ऑयल राइस ब्रान एक प्रमुख खपत होती है। सरकार द्वारा प्रतिबंध को समय-समय पर बढ़ाया गया और अब यह 30 सितंबर, 2025 तक लागू है। जानकारों के अनुसार डी-ऑयल राइस ब्रान की कीमतें अब निचले स्तर पर हैं। डी-ऑयल राइस ब्रान की कीमतों में भारी गिरावट को देखते हुए, एसोसिएशन ने एक बार फिर सरकार से इसके निर्यात पर लगे प्रतिबंध को 30 सितंबर से आगे नहीं बढ़ाने की मांग की है।
सरसों के तेल, विशेष रूप से पारंपरिक 'कच्ची घानी' किस्म की अच्छी घरेलू मांग के कारण, देशभर के उत्पादक राज्यों में इसकी पेराई में तेजी आई हैं, जिससे सरसों डीओसी का उत्पादन बढ़ा है। अत: सरसों डीओसी के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। चीन सरसों डीओसी के आयातक के रूप में प्रमुख देश रहा है। अप्रैल से अगस्त 2025 के दौरान, चीन ने लगभग 368,000 टन भारतीय सरसों खली का आयात किया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में केवल 17,396 टन का ही आयात किया था। 18 सितंबर, 2025 तक, भारतीय सरसों खली हैम्बर्ग एक्स-मिल मूल्य 236 अमेरिकी डॉलर प्रति टन के मुकाबले 200 अमेरिकी डॉलर प्रति टन थी। प्रमुख उपभोक्ता देशों के साथ भारत की लॉजिस्टिक निकटता के साथ इस मूल्य प्रतिस्पर्धात्मकता ने वैश्विक ऑयलमील व्यापार में एक विश्वसनीय, लागत प्रभावी आपूर्तिकर्ता के रूप में इसकी प्रतिष्ठा को मजबूत किया है।
चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों (अप्रैल से अगस्त 2025) में सोया डीओसी का निर्यात पिछले वर्ष की इसी अवधि के 8.49 लाख टन से घटकर 7.57 लाख टन का रह गया। ऐसा दक्षिण और उत्तरी अमेरिका में कम कीमतों की तुलना में हाल के सप्ताहों में भारत में सोया डीओसी की कीमतों पर दबाव के कारण हुआ है, जिससे सोया डीओसी के कुल निर्यात में कमी आ सकती है। सोया डीओसी मुख्य रूप से पोल्ट्री फीड बाजार में डीडीजीएस के हाथों बाजार हिस्सेदारी खो रहा है, जिसका उत्पादन भारत में इथेनॉल के बढ़ते उत्पादन के कारण बढ़ रहा है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार किसानों द्वारा अन्य फसलों की बुआई को प्राथमिकता देने से 12 सितंबर, 2025 तक सोयाबीन का रकबा पिछले साल के 126.24 लाख हेक्टेयर से घटकर 120.43 लाख हेक्टेयर का रह गया है।
भारतीय बंदरगाह पर अगस्त में सोया डीओसी का भाव तेज होकर 404 डॉलर प्रति टन हो गए, जबकि जुलाई में इसका दाम 385 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान सरसों डीओसी का मूल्य अगस्त में भारतीय बंदरगाह पर घटकर 195 डॉलर प्रति टन का रह गया, जबकि जुलाई में इसका भाव 196 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान कैस्टर डीओसी का दाम जुलाई के 88 डॉलर प्रति टन से तेज होकर जुलाई में 93 डॉलर प्रति टन का हो गया।

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