नई दिल्ली। चालू तेल वर्ष 2024-25 के अगस्त 2025 में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 7 फीसदी बढ़कर 1,677,346 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल अगस्त में इनका आयात 1,563,329 टन का हुआ था। इस दौरान खाद्वय तेलों का आयात 1,621,525 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 55,821 टन का हुआ है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष के पहले 10 महीनों नवंबर-24 से अगस्त-25 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 7 फीसदी कम होकर 12,690,980 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 13,687,511 टन का हुआ था।
इसके अलावा नेपाल से साफ्टा समझौते के तहत देश में मुख्य रूप से रिफाइंड सोया तेल और सूरजमुखी तेल तथा थोड़ी मात्रा में आरबीडी पामोलिन और रेपसीड तेल का आयात शून्य शुल्क पर हुआ है। नवंबर 2024 से जुलाई 2025 (9 महीने) के दौरान नेपाल से कुल आयात 5.89 लाख टन का हुआ।
अत: नवंबर 2024 से अगस्त 2025 के दौरान देश में कुल खाद्य तेलों का आयात 123.8 लाख टन + नेपाल से 5.89 लाख टन को मिलाकर कुल आयात 129.7 लाख टन का हुआ है।
एसईए के अनुसार सीपीओ और आरबीडी पामोलिन के बीच आयात शुल्क के अंतर को 8.25 फीसदी से बढ़ाकर 19.25 फीसदी करने के बाद, 31 मई, 2025 से रिफाइंड तेल के आयात पड़ते महंगे हुए है। इससे रिफाइंड तेल का आयात फायदेमंद नहीं रहा और जुलाई 2025 में लगभग 5,000 टन और अगस्त 2025 में 8,000 टन आयात कम हो गया है, जबकि पिछले साल जुलाई 2024 में यह 1.36 लाख टन और अगस्त 2024 में 92,130 टन का हुआ था।। शुल्क अंतर बढ़ाने का केंद्र सरकार का फैसला एक साहसिक और समय पर उठाया गया कदम है। उसने रिफाइंड पामोलिन के आयात को हतोत्साहित करना शुरू कर दिया है और मांग को वापस क्रूड तेल की ओर मोड़ दिया है। इससे घरेलू रिफाइनिंग उद्योग को इसका फायदा मिलेगा।
3 सितंबर 2025 तक चालू मानसूनी सीजन में (1 जून - 3 सितंबर, 2025) के दौरान देश में मानसूनी बारिश सामान्य से 8 फीसदी अधिक हुई है। 5 सितंबर 2025 तक देशभर के राज्यों में खरीफ की तिलहनी फसलों की बुआई 186.98 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो कि पिछले वर्ष की समान अवधि के 192.21 लाख हेक्टेयर की तुलना में 5.23 लाख हेक्टेयर कम है। तिलहनी फसलों की बुआई में मूंगफली: 47.53 लाख हेक्टेयर में (पिछले वर्ष 47.49 लाख हेक्टेयर की तुलना में), सोयाबीन की बुआई 120.32 लाख हेक्टेयर में (126.04 लाख हेक्टेयर की तुलना में) और कपास की बुआई 109.17 लाख हेक्टेयर में (112.43 लाख हेक्टेयर की तुलना में) हुई है। सोयाबीन और कपास के बुआई क्षेत्र में कमी का प्रमुख कारण मक्का की बुआई में बढ़ोतरी को माना जा रहा है।
नवंबर 2024 से अगस्त 2025 के दौरान पिछले तेल वर्ष की समान अवधि के 1,610,801 टन की तुलना में 995,711 टन रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलीन) का आयात हुआ है जबकि 11,860,655 टन की तुलना में 11,382,446 टन क्रूड तेल का आयात नवंबर 2023 से अगस्त 2024 की तुलना में कम हुआ। आरबीडी पामोलीन के कम आयात के कारण रिफाइंड तेल का अनुपात 12 फीसदी से घटकर 8 फीसदी का रह गया, जबकि सोया तेल के आयात में वृद्धि के कारण क्रूड तेल का अनुपात 88 फीसदी से बढ़कर 92 फीसदी हो गया।
जुलाई के मुकाबले अगस्त में आयातित खाद्वय तेलों के दाम भारतीय बंदरगाह पर तेज हुए हैं। अगस्त में आरबीडी पामोलिन का भाव भारतीय बंदरगाह पर बढ़कर 1,105 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि जुलाई में इसका भाव 1,052 डॉलर प्रति था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर अगस्त में बढ़कर 1,151 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि जुलाई में इसका भाव 1,095 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोया तेल का भाव जुलाई में भारतीय बंदरगाह पर 1,191 डॉलर प्रति टन था, जोकि अगस्त में बढ़कर 1,195 डॉलर प्रति टन हो गया।

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