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05 सितंबर 2025

चालू सीजन में सीसीआई घरेलू बाजार में 72.18 लाख गांठ कॉटन की कर चुकी है बिक्री

नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई चालू फसल सीजन 2024-25 के दौरान खरीदी हुई 72,18,800 गांठ, एक गांठ - 170 किलो कॉटन की बिक्री 22 अगस्त तक घरेलू बाजार में कर चुकी है। अत: निगम के पास अब 27 लाख गांठ से कम का स्टॉक बचा हुआ है।


सूत्रों के अनुसार सीसीआई ने चालू फसल सीजन 2024-25 की खरीदी हुई सबसे ज्यादा कॉटन की बिक्री महाराष्ट्र में 26,96,400 गांठ की है। इसके अलावा निगम ने तेलंगाना में 21,29,600 गांठ, गुजरात में 12,33,400 गांठ तथा कर्नाटक में 4,57,500 गांठ कॉटन 22 अगस्त तक बेची है। अन्य राज्यों मध्य प्रदेश में निगम ने 2,93,900 गांठ, ओडिशा में 1,67,600 गांठ के अलावा आंध्र प्रदेश में 1,29,100 गांठ तथा हरियाणा में 56,800 गांठ के अलावा राजस्थान में 52,700 गांठ तथा पंजाब में 1,800 गांठ की बिक्री की है।

स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण सोमवार को शाम के सत्र में गुजरात में कॉटन की कीमतों में हल्का सुधार आया, जबकि इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में मिलाजुला रुख रहा।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव सोमवार को 50 रुपये तेज होकर 55,900 से 56,100 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर सुधरकर 5,920 से 5,930 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5,650 से 5,770 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम सुधरकर होकर 5,930 से 5,940 रुपये प्रति मन बोले गए। लोअर राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम घटकर 55,500 से 55,600 रुपये कैंडी बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 5,400 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में गिरावट का रुख रहा।

उत्तर भारत के राज्यों की स्पिनिंग मिलों के पास सितंबर अंत तक का कॉटन का बकाया स्टॉक है, जबकि सितंबर के पहले सप्ताह में नई फसल की आवक शुरू हो जाएगी, हालांकि नए मालों में नमी ज्यादा होने के कारण लगभग डेढ़ से दो महीने तक सीसीआई द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू नहीं होगी।अत: जिनिंग मिलों की ही ज्यादा खरीद करनी होगी। ऐसे में कॉटन की कीमतों में नरमी आने का अनुमान है।

नीचे दाम पर जिनर्स की बिक्री कम होने से गुजरात में कॉटन की कीमतों में हल्का सुधार आया, जबकि उत्तर भारत के राज्यों में मिलाजुला रुख रहा। व्यापारी अभी कॉटन के भाव में बड़ी तेजी के पक्ष में नहीं है। व्यापारियों के अनुसार विश्व बाजार में कॉटन के दाम, अभी भी घरेलू बाजार की तुलना में नीचे बने हुए है, जिस कारण इसके आयात पड़ते सस्ते हैं। अधिकांश स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का डेढ़ से दो महीनो का स्टॉक है, जबकि घरेलू बाजार में यार्न में उठाव कमजोर है। अत: हाजिर बाजार में कॉटन की कीमतों में आगामी दिनों में नरमी ही आने का अनुमान है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 15 अगस्त तक चालू खरीफ सीजन देशभर में कपास की बुआई कम होकर 107.87 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 11.11 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

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