नई दिल्ली। उत्तर भारत के राज्यों में नई कपास की दैनिक आवक बढ़ने लगी है, तथा मौसम अनुकूल बना हुआ है इसलिए आगामी दिनों में इसकी आवकों में बढ़ोतरी होगी। तेल मिलों की खरीद कमजोर होने से उत्तर भारत के राज्यों में सोमवार को बिनौला के दाम कमजोर हुए।
तेल मिलों की खरीद घटने के कारण हरियाणा में बिनौले के भाव 100 रुपये कमजोर होकर 4200 से 4400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान राजस्थान में बिनौला के भाव 4,400 से 4,600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। बिनौला के दाम पंजाब में 25 रुपये कमजोर होकर 4300 से 4400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
महाराष्ट्र के नागपुर में रेगुलर क्वालिटी के बिनौला के भाव कमजोर होकर 4,000 से 4,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि जालना में स्टॉक के बिनौला के दाम 4,600 रुपये और सिल्लोड में 4,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।
व्यापारियों के अनुसार अक्टूबर में देशभर की मंडियों में नई कपास की आवकों में बढ़ोतरी होगी, जबकि उत्पादक राज्यों में बिनौला बकाया स्टॉक भी बचा हुआ है। चालू सीजन में उत्पादन अनुमान ज्यादा है, जिस कारण आगामी दिनों में इसकी कीमतों पर दबाव बनेगा।
व्यापारियों के अनुसार इन राज्यों में भारी बारिश एवं बाढ़ जैसे हालात बनने से प्रभावित क्षेत्रों में क्वालिटी के साथ ही उत्पादकता भी प्रभावित हुई है। अत: किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है, क्योंकि एक तो प्रति हैक्टेयर पैदावार कम हुई, दूसरा मंडियों में कपास समर्थन मूल्य से 1,500 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल तक नीचे दाम पर बेचनी पड़ रही है। कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई पहली अक्टूबर से इन राज्यों कपास की समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू करेगी, लेकिन जलभराव वाले क्षेत्रों में गुणवत्ता संबंधी समस्याओं का सामना किसानों को करना पड़ेगा। इन राज्यों में कपास के दाम 100 रुपये कमजोर हुए।
विश्व बाजार में कॉटन के दाम नीचे होने के कारण आयातित कॉटन सस्ती है, जबकि सूती धागे में उठाव सामान्य की तुलना में कमजोर है। वैसे भी अधिकांश स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक अच्छा है। घरेलू गारमेंट इकाइयों द्वारा उत्पादन में कटौती की जा रही है। इसलिए हाजिर बाजार में नई फसल की आवक बढ़ने पर कॉटन के साथ ही बिनौले की कीमतों में और भी नरमी आने का अनुमान है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार 12 सितंबर तक चालू खरीफ सीजन देशभर में कपास की बुआई कम होकर 109.64 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 112.48 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।
तेल मिलों की खरीद घटने के कारण हरियाणा में बिनौले के भाव 100 रुपये कमजोर होकर 4200 से 4400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान राजस्थान में बिनौला के भाव 4,400 से 4,600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। बिनौला के दाम पंजाब में 25 रुपये कमजोर होकर 4300 से 4400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
महाराष्ट्र के नागपुर में रेगुलर क्वालिटी के बिनौला के भाव कमजोर होकर 4,000 से 4,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि जालना में स्टॉक के बिनौला के दाम 4,600 रुपये और सिल्लोड में 4,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।
व्यापारियों के अनुसार अक्टूबर में देशभर की मंडियों में नई कपास की आवकों में बढ़ोतरी होगी, जबकि उत्पादक राज्यों में बिनौला बकाया स्टॉक भी बचा हुआ है। चालू सीजन में उत्पादन अनुमान ज्यादा है, जिस कारण आगामी दिनों में इसकी कीमतों पर दबाव बनेगा।
व्यापारियों के अनुसार इन राज्यों में भारी बारिश एवं बाढ़ जैसे हालात बनने से प्रभावित क्षेत्रों में क्वालिटी के साथ ही उत्पादकता भी प्रभावित हुई है। अत: किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है, क्योंकि एक तो प्रति हैक्टेयर पैदावार कम हुई, दूसरा मंडियों में कपास समर्थन मूल्य से 1,500 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल तक नीचे दाम पर बेचनी पड़ रही है। कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई पहली अक्टूबर से इन राज्यों कपास की समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू करेगी, लेकिन जलभराव वाले क्षेत्रों में गुणवत्ता संबंधी समस्याओं का सामना किसानों को करना पड़ेगा। इन राज्यों में कपास के दाम 100 रुपये कमजोर हुए।
विश्व बाजार में कॉटन के दाम नीचे होने के कारण आयातित कॉटन सस्ती है, जबकि सूती धागे में उठाव सामान्य की तुलना में कमजोर है। वैसे भी अधिकांश स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक अच्छा है। घरेलू गारमेंट इकाइयों द्वारा उत्पादन में कटौती की जा रही है। इसलिए हाजिर बाजार में नई फसल की आवक बढ़ने पर कॉटन के साथ ही बिनौले की कीमतों में और भी नरमी आने का अनुमान है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार 12 सितंबर तक चालू खरीफ सीजन देशभर में कपास की बुआई कम होकर 109.64 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 112.48 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

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