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15 सितंबर 2025

पहली अक्टूबर से शुरू होने वाले नए पेराई सीजन में चीनी निर्यात की संभावनाएं - अश्विनी श्रीवास्तव

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2025 से शुरू होने वाले नए गन्ना पेराई सीजन (अक्टूबर-25 से सितंबर-26) के दौरान देश से चीनी के निर्यात की संभावना बनी हुई है, क्योंकि पर्याप्त मात्रा में चीनी उपलब्ध होगी।


दिल्ली में चीनी एवं जैव-ऊर्जा सम्मेलन के अवसर पर खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के संयुक्त सचिव (चीनी) अश्विनी श्रीवास्तव ने कहा कि गन्ना पेराई सीजन 2025-26 के दौरान चीनी निर्यात की संभावनाएं प्रबल है, क्योंकि देश में पर्याप्त मात्रा में चीनी भंडार होगा, हालांकि, मात्रा पर चर्चा की जाएगी।

उन्होंने बताया कि चीनी का बकाया स्टॉक करीब 50 लाख टन और चीनी का उत्पादन 350 लाख टन होने का अनुमान है। साथ ही नए सीजन में लगभग 280 लाख टन चीनी की खपत होने की उम्मीद है। केंद्र सरकार ने चालू पेराई सीजन में, 10 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी थी, हालांकि सीजन समाप्त होने से पहले करीब 8 लाख टन का निर्यात हो जायेगा।

गन्ना मूल्य बकाया के बारे में संयुक्त सचिव ने कहा कि किसान सरकार की पहली प्राथमिकता में हैं। चीनी मिलें किसानों को समय पर गन्ना का भुगतान करने में सक्षम हैं। चालू पेराई सीजन में उद्योग ने लगभग 98,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।

पेराई सीजन 2023-24 में किसानों को कुल 111,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। नए पेराई सीजन में चीनी उद्योग के संबंध में सरकार की नीतिगत प्राथमिकताएं चीनी सीजन के अंत में पर्याप्त स्टॉक का प्रबंधन करने के साथ ही अतिरिक्त चीनी का उपयोग इथेनॉल उत्पादन में करना और देश में उपलब्ध बकाया चीनी के निर्यात पर ध्यान केंद्रित करना है।

एथेनॉल उत्पादन के बारे में उन्होंने कहा कि नए सीजन में देश भर में 20 फीसदी की एक समान मिश्रण क्षमता प्राप्त करने के लिए 12 अरब लीटर एथेनॉल की आवश्यकता होगी। उन्होंने बताया कि गन्ना आधारित फीडस्टॉक से लगभग 4.5 से 4.8 अरब लीटर एथेनॉल का उत्पादन होने की संभावना है।

केंद्र सरकार ने हाल ही में चीनी मिलों और डिस्टिलरियों को एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2025-26 के दौरान बिना किसी प्रतिबंध के गन्ने के रस, चीनी सिरप, बी-हैवी मोलासेस (बीएचएम) और सी-हैवी मोलासेस (सीएचएम) से एथेनॉल उत्पादन की अनुमति दी है। उन्होंने कहा कि उत्पादकता में बढ़ोतरी के लिए गन्ने की किस्मों में सुधार जरूरी है और सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है।

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