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05 सितंबर 2025

केंद्र सरकार ने कॉटन के शून्य शुल्क की अवधि दिसंबर अंत तक बढ़ाई

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कॉटन के आयात पर शून्य शुल्क की समय सीमा को 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 कर दिया है। उधर कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने गुरुवार की कॉटन के ई-ऑक्शन बिक्री भाव में 600 प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो की कटौती कर दी।


सीसीआई ने गुरुवार को कॉटन के ई-ऑक्शन के लिए 2024-25 फसल सीजन की कपास का फ्लोर प्राइस 53,200 से 56,900 रुपये प्रति कैंडी के बीच रखा है।

केंद्र सरकार द्वारा कॉटन शून्य शुल्क पर आयात की अवधि को बढ़ाने से चालू फसल सीजन में कॉटन का रिकॉर्ड आयात होने का अनुमान है, जिससे घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों पर दबाव बना रहेगा।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष अतुल गणात्रा के अनुसार केंद्र सरकार ने शून्य शुल्क की अवधि को बढ़ाकर अच्छा कदम उठाया है। टेक्सटाइल उद्योग इस समय संकट से गुजर रहा है तथा पिछले दो साल से घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। विश्व बाजार की तुलना में घरेलू कपास 20 टका महंगी है। इसलिए सरकार द्वारा शून्य शुल्क पर आयात अवधि बढ़ाने का मिलों को फायदा होगा।

उन्होंने बताया कि पहली अक्टूबर 2024 से 30 सितंबर 25 तक देश में करीब 40 से 42 लाख गांठ, एक गांठ 170 किलो कॉटन की शिपमेंट आने का अनुमान है। केंद्र सरकार ने तीन महीने की अवधि बढ़ाई है, अत: मिलों को अगर 48 से 52 हजार रुपये प्रति कैंडी के दाम पर, भारतीय बंदरगाह पर पहुंच कॉटन मिलती है तो वह आयात करेंगी। पिछले सीजन में 11 फीसदी आयात शुल्क होने के बावजूद भी मिलों ने 42 लाख गांठ का आयात किया था। ऐसे में उम्मीद है कि अगले 3 महीनें में करीब 20 लाख गांठ कॉटन के आयात की शिपमेंट आयेंगी।

उन्होंने बताया कि पिछले दो दिनों में ही भारत की दो, तीन मिलों ने ऑस्ट्रेलिया से करीब 2 लाख गांठ कॉटन के आयात सौदे किए हैं। उन्होंने कहा कि घरेलू बाजार में सीसीआई ने पिछले दिनों कॉटन की बिक्री कीमतों में बढ़ोतरी की थी, जिस कारण बड़ी मिलों को आयात का सहारा लेना पड़ा। सीसीआई को चाहिए कि कॉटन की बिक्री कीमतों में कटौती करें, जिससे स्पिनिंग मिलें आयात के बजाए सीसीआई से कॉटन की खरीद करें। अगर सीसीआई ने बिक्री कीमतों में कटौती नहीं की तो सीजन के अंत में फिर से निगम के पास बकाया स्टॉक ज्यादा होगा।

उन्होंने बताया कि सीसीआई की नीतियों के कारण घरेलू मिलों को नुकसान हो रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार को चाहिए कि वह सीसीआई से बिक्री कीमतों में कटौती करने को कहें।

अतुल गणात्रा ने बताया कि कपास का नया सीजन 15 सितंबर 25 से शुरू होने वाला है, तथा नए सीजन में जानकारों का मानना है कि अभी तक के मौसम को देखते हुए कॉटन का उत्पादन अनुमान 325 से 350 लाख गांठ होने की उम्मीद है। देशभर के लगभग सभी 10 राज्यों में कपास की फसल अच्छी है। उत्तर भारत और दक्षिण भारत के राज्यों में कपास का बंपर उत्पादन होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि भले ही बुआई में 2 फीसदी की कमी आई है, लेकिन चालू सीजन में उत्पादकता में करीब 5 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

उन्होंने बताया कि मौजूदा कीमतों में नए सीजन में जिनर्स कपास की खरीद नहीं कर पाएंगे, इसलिए सीसीआई को ज्यादा मात्रा में कॉटन की खरीद करनी होगी। सीसीआई के पास अभी भी चालू फसल सीजन का 25 से 26 लाख गांठ से ज्यादा का बकाया स्टॉक बचा हुआ है।

व्यापारियों के अनुसार घरेलू गारमेंट इकाइयों द्वारा उत्पादन में कटौती की जा रही है। घरेलू गारमेंट उद्योग को डर है कि 50 फीसदी टैरिफ वैश्विक बाजार में भारतीय गारमेंट उत्पादों को महंगा बना देगा, जिससे पहले से हो चुके सौदे रद्द होने के साथ ही शिपमेंट में भी देरी की आशंका है। अत: अमेरिकी खरीदार वियतनाम, बांग्लादेश और चीन जैसे देशों के आपूर्तिकर्ताओं की ओर रुख कर सकते हैं, जो कम टैरिफ के कारण नीचे दाम पर बेच सकते हैं।

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