नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन के दौरान हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे उत्तर भारत के राज्यों के साथ ही आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सहित दक्षिणी राज्यों में लंबे समय तक और असामान्य वर्षा हुई। अत: बेमौसम बारिश, जलभराव और कीटों के हमलों ने कपास की फसल की गुणवत्ता को प्रभावित किया है। साथ ही केंद्र सरकार द्वारा कॉटन के आयात को दिसंबर तक शुल्क मुक्त करने से सस्ते आयात का दबाव भी कीमतों पर देखा जा रहा है।
प्रतिकूल मौसम की मार से प्रभावित राज्यों के कपास किसानों को डर सता रहा है कि उनकी फसल कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) द्वारा निर्धारित उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) के मानकों को पूरा नहीं कर पाएगी। अगर ऐसा होता है, तो सीसीआई उनकी फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद नहीं करेगी।
दक्षिण एशिया जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (एसएबीसी) ने इस मुद्दे को उठाते हुए केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह को पत्र लिखा है और किसानों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए एफएक्यू मानकों में तत्काल ढील देने का आग्रह किया है। यह मामला केंद्रीय कृषि मंत्रालय और संबंधित विभागों के समक्ष भी उठाया गया है।
सीसीआई समर्थन मूल्य पर कपास तभी खरीदता है जब फसलें विशिष्ट गुणवत्ता मानदंडों को पूरा करती हैं। इन मानकों को पूरा न करने का मतलब है कि किसान एमएसपी का लाभ नहीं उठा पाएंगे।
चालू खरीफ सीजन में तय मानकों में छूट दिए बिना कपास की सरकारी खरीद जोखिम में पड़ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप छोटे और सीमांत किसान अपनी उपज बहुत कम कीमतों पर बेचने के लिए मजबूर होंगे।
चालू खरीफ सीजन के दौरान हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे उत्तरी राज्यों और आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सहित दक्षिणी राज्यों में प्रतिकूल मौसम की मार खरीफ फसलों पर पड़ी है। कपास के खेतों में लगातार जलभराव के कारण फसल को नुकसान हुआ।
खेतों में अत्यधिक नमी ने कपास के रेशे की मजबूती और माइक्रोनियर मूल्य को प्रभावित किया है, जबकि इससे रंग और ग्रेड को भी नुकसान हुआ है। अत: प्रभावित क्षेत्रों में फसल एफएक्यू मानकों को पूरा नहीं कर पायेंगी।
केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2025-26 के लिए मध्यम रेशे वाली कपास के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी 7,710 रुपये प्रति क्विंटल और लंबे-रेशे वाली कपास के लिए 8,110 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया किया हुआ है। उत्तर भारत के राज्यों हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में कपास की आवक शुरू हो गई है, तथा इन राज्यों में कपास 6,000 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रही है, जोकि एमएसपी से काफी कम है। आगामी दिनों में आवकों का दबाव बनने पर, मौजूदा कीमतों में और भी गिरावट आने की आशंका है।
एसएबीसी ने सरकार से मांग की है कि गुणवत्ता में गिरावट आने पर भी कपास की खरीद एमएसपी पर की जानी चाहिए। प्रभावित राज्यों में तय नमी की मात्रा को 8 फीसदी से बढ़ाकर
15 फीसदी करने, रंग आदि के आधार पर ग्रेडिंग मानकों में ढील देने और रेशे की मजबूती, सूक्ष्म पोषक तत्व और बीज की गुणवत्ता के लिए व्यावहारिक छूट देने का आह्वान किया है।
किसानों को बिना किसी प्रतिबंध के अपनी पूरी फसल सीसीआई को बेचने की अनुमति देने की मांग भी की गई है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें