नई दिल्ली। उत्तर भारत के राज्यों में बेमौसम भारी बारिश और बाढ़ से चालू खरीफ सीजन में कपास की फसल को भारी नुकसान हुआ है। इंडियन कॉटन एसोसिएशन (आईसीएएल) ने पहले आरंभिक अनुमान में इन राज्यों में 25 से 30 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कॉटन के उत्पादन का अनुमान जारी किया है।
इंडियन कॉटन एसोसिएशन लिमिटेड (आईसीएएल) ने बठिंडा में 6 सितंबर को पंजाब, हरियाणा और राजस्थान सहित उत्तरी क्षेत्र के राज्यों में कपास की फसल की स्थिति पर चर्चा के लिए एक बोर्ड बैठक आयोजित की थी। बैठक में अध्यक्ष मुकुल तायल, उपाध्यक्ष अश्विनी झांब और कोषाध्यक्ष पवन नागोरी सहित दस अन्य बोर्ड के सदस्य ने भाग लिया था। यह चर्चा पिछले साल की फसल की आवक, चालू खरीफ में बुवाई एवं हाल ही में हुई बारिश तथा बाढ़ आदि से फसल को हुए नुकसान पर केंद्रित रही।
चालू खरीफ सीजन में पंजाब में कपास की बुआई बढ़कर 119,000 हेक्टेयर में हुई, जबकि पिछले साल राज्य में केवल 97,000 हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। राज्य के फाजिल्का, मुक्तसर, अबोहर और मानसा आदि जिलों में हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ से कपास की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। आईसीएएल के अनुसार इन राज्यों में कपास की आने वाली फसल को लगभग 10-15 फीसदी का नुकसान होने का अनुमान है।
आईसीएएल के अनुसार हरियाणा में चालू खरीफ सीजन में कपास की बुआई पिछले साल की तुलना में 21 फीसदी घटकर केवल 391,500 हेक्टेयर में ही हुई थी, जबकि पिछले साल राज्य में 495,000 हेक्टेयर में कपास की बुआई हुई थी। बुआई में आई कमी के साथ ही हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ जैसे हालात बनने के कारण खड़ी फसल में 15-20 फीसदी की कमी आने की आशंका है।
हरियाणा में कई जिलों में बारिश और बाढ़ जैसे हालात बनने से कपास की फसल को भारी नुकसान हुआ है। प्रभावित जिलों में डबवाली, कालांवाली, ऐलनाबाद, आदमपुर और सिरसा में कपास की फसल को 10-15 फीसदी का नुकसान होने की आशंका है। राज्य के जींद, उचाना, नरवाना, टोहाना और जाखल में 15-20 फीसदी के बीच फसल का नुकसान होने की आशंका है, जबकि बरवाला में सबसे ज्यादा 20-30 फीसदी और हिसार में 30-40 फीसदी तक फसल को नुकसान होने का डर है। भिवानी, दादरी, महेंद्रगढ़, नारनौल और रेवाड़ी में भी ज्यादा नुकसान होने की आशंका है।
चालू खरीफ में राजस्थान में कपास की बुवाई बढ़कर 628,000 हेक्टेयर में हुई है। ऊपरी राजस्थान के विशेष रूप से हनुमानगढ़, रावतसर, संगरिया और गंगानगर क्षेत्रों में कपास की फसल को 7-8 फीसदी नुकसान होने की आशंका है। वहीं लोअर राजस्थान के मेड़ता में फसल को (15-20 फीसदी) तथा अलवर-खैरथल में (5-10 फीसदी) और मेवाड़ में (10-15 फीसदी) क्षेत्र में बारिश से फसल को नुकसान की आशंका है।
अनुमानित उपज और अनुमान, बोर्ड के विश्लेषण के प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों में 30 लाख गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान है। हरियाणा में 6 लाख गांठ, पंजाब में 2 लाख गांठ तथा ऊपरी राजस्थान में 12 लाख गांठ तथा लोअर राजस्थान में 10 लाख गांठ के उत्पादन का आरंभिक अनुमान है। हालांकि अंतिम उत्पादन कम से या थोड़ा ज्यादा हो सकता है तथा संभवतः 27 से 30 लाख गांठ के बीच रहे। बैठक में यह आम सहमति है कि फसल को पिछले वर्ष की तुलना में नुकसान ज्यादा हुआ है।
पिछले फसल सीजन 2024-25 के दौरान कॉटन की अंतिम आवक पंजाब में 1,51,676 गांठ, हरियाणा में 7,67,532 गांठ तथा ऊपरी राजस्थान (गंगानगर सर्कल) में 10,35,342 गांठ और लोअर राजस्थान में 8,89,900 गांठ की दर्ज की गई।