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12 फ़रवरी 2021

लॉजिस्टिक और भुगतान की समस्या से चीनी निर्यात में गिरावट की आशंका-उद्योग

नई दिल्ली। विश्व बाजार में चीनी की कीमतों में आई तेजी से भारत से निर्यात तो अनुकूल हो गया है जबकि लॉजिस्टिक और भुगतान आदि के मुद्दों के कारण भारत से चीनी के निर्यात में गिरावट आने की आशंका है।

ऑल इंडिया शुगर ट्रेड एसोसिएशन, एआईएसटीए के अनुसार चालू पेराई सीजन 2020-21 अक्टूबर से सितंबर में चीनी का निर्यात 24 फीसदी घटकर 43 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पेराई सीजन 2019-20 में चीनी का निर्यात 57 लाख टन का हुआ था जबकि केंद्र सरकार ने 60 लाख टन चीनी के निर्यात का कोटा तय किया था। एआईएसटीए के अनुसार चालू पेराई सीजन में लॉजिस्टिक्स की कमी के कारण चीनी का निर्यात पिछले साल से कम होने की संभावना है।

मालूम हो कि ब्राजील और अन्य प्रमुख उत्पादक देशों में उत्पादन अनुमान कम होने के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें बढ़ रही हैं। आईसीई मार्च वायदा में रॉ शुगर की कीमतें बढ़कर 17.05 सेंट हो गई, जोकि मार्च 2017 के बाद का उच्चतम भाव है। इसी तरह मार्च वायदा में व्हाईट शुगर के दाम बढ़कर 479.50 डॉलर प्रति टन हो गए, जोकि अप्रैल 2017 के बाद का उच्चतम भाव है।

उद्योग ने कहा कि भीड़ होने के कारण बंदरगाह पर प्रतीक्षा समय ज्यादा लग रहा है, साथ ही सोयाबीन साहित अन्य अनाजों के कारण कंटेनरों की कमी है। इसके अलावा, प्रमुख चीनी आयातकों में से एक ईरान को निर्यात में कमी आयेगी है, क्योंकि यूको बैंक और आईडीबीआई बैंक में इस्लामिक रिपब्लिक के रुपये की कमी है।

उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी का घरेलू उत्पादन 299 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 274 लाख टन से ज्यादा है।

देश के तीन सबसे बड़े उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश में 105 लाख टन, महाराष्ट्र में 102 लाख टन और कर्नाटक में चालू पेराई सीजन 2020-21 में 43 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है।

उद्योग के अनुसार चालू सीजन में 20 लाख टन का उपयोग एथेनॉल उत्पादन में होगा, जबकि चालू पेराई सीजन 2020-21 में चीनी की खपत घटकर 255 लाख टन ही होने का अनुमान है जोकि पिछले पेराई सीजन के 260 लाख टन की तुलना में कम है।

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