आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में जहां प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेष और राजस्थान में चना की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, वहीं कर्नाटका और आंध्रप्रदेष में चना की बुवाई में कमी आई है। चना की नई फसल की आवक सबसे पहले जनवरी में कर्नाटका और आंध्रप्रदेष में ही होती है, जबकि अन्य राज्य मध्य प्रदेष, महाराष्ट्र में नई फसल की आवक फरवरी में बनती है। ऐसे में जनवरी के आखिर तक घरेलू मंडियों में चना की कीमतों में तेजी-मंदी आयातित चना के भाव पर ही ज्यादा निर्भर करेंगी। आगामी पंद्रह-बीस दिनों में आस्ट्रेलिया और रुस से करीब 10 हजार टन चना भारतीय बंदरगाहों पर पहुंचा, जिससे इसके भाव घटकर 7,200 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल होने की संभावना है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेष में चना की बुवाई बढ़कर 28.43 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 25.54 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। राजस्थान में बुवाई बढ़कर चालू रबी में 17.45 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में 11.42 लाख हैक्टेयर में ही चना की बुवाई हुई थी। अन्य राज्य में महाराष्ट्र में चना की बुवाई बढ़कर 16.39 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है, पिछले साल इस समय तक राज्य में 12.69 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। उत्तर प्रदेष में चना की बुवाई बढ़कर 6.32 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 3.38 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।
कर्नाटका में चालू रबी में चना की बुवाई घटकर केवल 9.54 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल राज्य में इस समय तक 14.49 लाख हैक्टेयर में चना की बुवाई हो चुकी थी। इसी तरह से आंध्रप्रदेष में चना की बुवाई चालू रबी में 2.56 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 3.59 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। मंत्रालय के अनुसार देशभर में चना की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 86.90 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 76.95 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। ...........आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में जहां प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेष और राजस्थान में चना की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, वहीं कर्नाटका और आंध्रप्रदेष में चना की बुवाई में कमी आई है। चना की नई फसल की आवक सबसे पहले जनवरी में कर्नाटका और आंध्रप्रदेष में ही होती है, जबकि अन्य राज्य मध्य प्रदेष, महाराष्ट्र में नई फसल की आवक फरवरी में बनती है। ऐसे में जनवरी के आखिर तक घरेलू मंडियों में चना की कीमतों में तेजी-मंदी आयातित चना के भाव पर ही ज्यादा निर्भर करेंगी। आगामी पंद्रह-बीस दिनों में आस्ट्रेलिया और रुस से करीब 10 हजार टन चना भारतीय बंदरगाहों पर पहुंचा, जिससे इसके भाव घटकर 7,200 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल होने की संभावना है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेष में चना की बुवाई बढ़कर 28.43 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 25.54 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। राजस्थान में बुवाई बढ़कर चालू रबी में 17.45 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में 11.42 लाख हैक्टेयर में ही चना की बुवाई हुई थी। अन्य राज्य में महाराष्ट्र में चना की बुवाई बढ़कर 16.39 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है, पिछले साल इस समय तक राज्य में 12.69 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। उत्तर प्रदेष में चना की बुवाई बढ़कर 6.32 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 3.38 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।
कर्नाटका में चालू रबी में चना की बुवाई घटकर केवल 9.54 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल राज्य में इस समय तक 14.49 लाख हैक्टेयर में चना की बुवाई हो चुकी थी। इसी तरह से आंध्रप्रदेष में चना की बुवाई चालू रबी में 2.56 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 3.59 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। मंत्रालय के अनुसार देशभर में चना की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 86.90 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 76.95 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। ...........आर एस राणा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें