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31 दिसंबर 2016

मूंगफली की बुवाई तेलंगाना और कर्नाटका में ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। खरीफ में जहां मूंगफली की पैदावार में बढ़ोतरी हुई थी, वहीं चालू रबी में भी इसकी बुवाई ज्यादा हुई है। प्रमुख उत्पादक राज्यों तेलंगाना के साथ ही कर्नाटका में भी इसकी बुवाई बढ़ी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में मूंगफली की बुवाई बढ़कर 4.05 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई केवल 3.26 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
प्रमुख उत्पादक राज्य तेलंगाना में रबी में मूंगफली की बुवाई बढ़कर 1.43 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल एक लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। उधर कर्नाटका में भी चालू रबी में मूंगफली की बुवाई बढ़कर 1.05 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 0.45 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। अन्य राज्यों उड़ीसा में मूंगफली की बुवाई 0.73 लाख हैक्टेयर में, तमिलनाडु में 0.29 लाख हैक्टेयर में और आंध्रप्रदेश में 0.43 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार खरीफ सीजन 2016-17 में मूंगफली की पैदावार बढ़कर 53.75 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल खरीफ सीजन में इसका उत्पादन 32.30 लाख टन का ही हुआ था।
एपीडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान मूंगफली दाने का निर्यात बढ़कर 2,46,838 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 2,22,779 टन का ही हुआ था। खरीफ सीजन उत्पादन में हुई बढ़ोतरी के कारण मूंगफली के दाम उत्पादक मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं इसलिए केंद्र सरकार नैफेड के माध्यम से राज्य में मूंगफली की एमएसपी पर खरीद कर रही है, तथा राज्य सरकार ने सार्वजनिक कंपनियों द्वारा मूंगफली की खरीद करने पर 5 फीसदी वैट को समाप्त कर दिया है, हालांकि निजी खरीददारों द्वारा खरीदने पर वैट 5 फीसदी ही लग रहा है। अभी तक गुजरात से 1.15 लाख टन मूंगफली की खरीद एमएसपी पर की जा चुकी है तथा सरकारी एजेंसियों 844 रुपये प्रति 20 किलो की दर से खरीद कर रही है जबकि उत्पादक मंडियों में भाव 800 रुपये प्रति 20 किलो से भी नीचे बने हुए हैं।............आर एस राणा

सरसों की बुवाई राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में सरसों की बुवाई में राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में तो बढ़ोतरी हुई है लेकिन हरियाणा और पश्चिमी बंगाल में बुवाई कम हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में सरसों की बुवाई बढ़कर 68.93 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई केवल 61.19 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान में चालू रबी में सरसों की बुवाई बढ़कर 27.79 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 24.24 लाख हैक्टेयर में ही सरसों की बुवाई हुई थी। मध्य प्रदेश में सरसों की बुवाई चालू रबी में 7.07 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में सरसों की बुवाई 6.23 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। उत्तर प्रदेश में चालू रबी में सरसों की बुवाई बढ़कर 11.82 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 11.06 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी।
हरियाणा में चालू रबी में सरसों की बुवाई अभी तक 5.37 लाख हैक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 5.80 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। इसी तरह से पश्चिमी बंगाल में सरसों की बुवाई पिछले साल के 4.74 लाख हैक्टेयर से घटकर अभी तक केवल 4.59 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है।
अन्य राज्यों झारखंड में सरसों की बुवाई अभी तक 2.41 लाख हैक्टेयर में, गुजरात में 1.99 लाख हैक्टेयर में, छत्तीगढ़ में 1.21 लाख हैक्टेयर में और बिहार में 1.25 लाख हैक्टेयर में तथा असम में 2.89 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है।
चालू रबी में जहां सरसों की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, वहीं अभी तक मौसम भी फसल के अनुकूल है। ऐसे में चालू रबी में सरसों की पैदावार में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। सरसों की नई फसल की आवक फरवरी में बनेगी, जबकि उत्पादक मंडियों में सरसों का बकाया स्टॉक कम बताया जा रहा है। ऐसे में जनवरी के मध्य तक सरसों के भाव तेज ही बने रहने का अनुमान है। जयपुर मंडी में सरसों के भाव 4,520 से 4,525 रुपये, आगरा मंडी में 4,725 रुपये, अलवर में 4,350 रुपये और भरतपुर में 4,275 रुपये प्रति क्विंटल रहे।.............आर एस राणा

मसूर की बुवाई यूपी में ज्यादा, मध्य प्रदेश में पिछले साल के बराबर

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में जहां उत्तर प्रदेश में मसूर की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, वहीं मध्य प्रदेश में इसकी बुवाई पिछले साल के बराबर ही हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार देशभर में अभी तक मसूर की बुवाई बढ़कर 16.07 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 13.51 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। सामान्यतः मसूर की बुवाई 14.79 लाख हैक्टेयर में होती है।
प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चालू रबी में मसूर की बुवाई बढ़कर 6.44 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 4.36 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। उधर मध्य प्रदेश में चालू रबी में मसूर की बुवाई 5.74 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में भी राज्य में मसूर की बुवाई 5.74 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
अन्य राज्यों में पश्चिमी बंगाल में मसूर की बुवाई 1.04 लाख हैक्टेयर में, बिहार में 2.06 लाख हैक्टेयर में, असम में 0.31 लाख हैक्टेयर में, छत्तीगढ़ में 0.20 लाख हैक्टेयर में और उत्तराखंड में 0.15 लाख हैक्टेयर में मसूर की बुवाई हुई है।...........आर एस राणा

एग्री कमोडिटी में आगे की रणनीति कैसे बनाए

 एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे
एग्री जिंसों के अलावा किराना में हल्दी, जीरा, धनिया, लालमिर्च, इलायची, कालीमिर्च आदि की जानकारी भी हिंदी में ई-मेल के माध्यम से दी जायेगी। हमें ई-मेल करे या फिर फोन पर संपक करें।

............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........

आर एस राणा
 rsrana2001@gmail.com
09811470207

नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं

प्रिय पाठकों, आपको व आपके पूरे परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं,
धन्यवाद,
आर एस राणा
09811470207

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में चना की रिकार्ड बुवाई, कर्नाटका में कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में जहां प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में चना की रिकार्ड बुवाई हुई है, वहीं कर्नाटका में बुवाई पिछले साल की तुलना में काफी कम हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में देशभर में चना की बुवाई बढ़कर 94.81 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि सामान्यतः इसकी बुवाई 88.37 लाख हैक्टेयर में ही होती है। पिछले साल की समान अवधि में चना की बुवाई 82.88 लाख हैक्टेयर में हुई थी।
प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में चना की बुवाई बढ़कर 32.19 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 27.02 लाख हैक्टेयर में ही चना की बुवाई हुई थी। मध्य प्रदेश में सामान्यतः चना की बुवाई 30.59 लाख हैक्टेयर में होती है। इसी तरह से राजस्थान में चालू रबी में चना की बुवाई बढ़कर 17.50 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 12.38 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। राज्य में रबी में चना की बुवाई सामान्यतः 15.30 लाख हैक्टेयर में होती है। महाराष्ट्र में चालू रबी में चना की बुवाई बढ़कर 18.34 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 13.80 लाख हैक्टेयर में ही चना की बुवाई हो पाई थी। राज्य में सामान्यतः चना की बुवाई 13.71 लाख हैक्टेयर में ही होती है।
कर्नाटका में चालू रबी में चना की बुवाई घटकर केवल 9.99 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में 15.45 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। इसी तरह से आंध्रप्रदेश में भी चालू रबी में चना की बुवाई घटकर केवल 3.04 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 4.04 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
अन्य राज्यों उत्तर प्रदेश में चालू रबी में चना की बुवाई 6.32 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में 3.44 लाख हैक्टेयर में चना की बुवाई हुई थी। छत्तीगढ़ में चालू रबी में चना की बुवाई 2.46 लाख हैक्टेयर में, गुजरात में 1.61 लाख हैक्टेयर में और तेलंगाना में 1.10 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई है।
जनवरी में जहां आयातित चना की आवक ज्यादा होगी, वहीं कर्नाटका में भी नए चने की आवक बढ़ेगी, इसलिए चालू महीने के मध्य तक चना की मौजूदा कीमतों में 1,500 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने की आशंका है। दिल्ली में चना के भाव घटकर शानिवार को 8,000 से 8,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।.........आर एस राणा

30 दिसंबर 2016

गेहूं की बुवाई 292 लाख हैक्टेयर के पार, दलहन की औसतन क्षेत्रफल से भी ज्यादा

रबी तिलहन की बुवाई बढ़ी, धान के साथ ही मोटे अनाजों की पिछड़ी
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में जहां गेहूं की बुवाई 292 लाख टन के पार पहुंच गई है, वहीं दलहन की बुवाई सामान्य क्षेत्रफल से भी ज्यादा हो गई है। रबी तिलहन की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन मोटे अनाजों के साथ ही धान की रौपाई पिछले साल की तुलना में पिछड़ रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी अभी तक देशभर में 582.87 लाख हैक्टेयर में फसलों की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 545.46 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई बढ़कर 292.39 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 271.46 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। सामन्यतः रबी में गेहूं की बुवाई 304.05 लाख हैक्टेयर में होती है। रबी दहलन की बुवाई भी बढ़कर चालू सीजन में 148.11 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 131.13 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। रबी सीजन में दलहन की बुवाई औसतन 140.68 लाख हैक्टेयर में होती है।
रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई बढ़कर 94.82 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 82.88 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। चना की बुवाई चालू रबी में सामान्य क्षेत्रफल 88.37 लाख हैक्टेयर से ज्यादा हो चुकी है। मसूर की बुवाई भी बढ़कर चालू रबी में अभी तक 16.07 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 13.51 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। मटर की बुवाई भी चालू रबी में बढ़कर 10.94 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 9.15 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। उड़द की बुवाई चालू रबी में पिछले साल की तुलना में पिछड़ रही है।
रबी तिलहनों की बुवाई चालू सीजन में अभी तक 79.48 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 71.83 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई 68.93 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 61.20 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 4.05 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 3.26 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
चालू रबी में मोटे अनाजों की बुवाई अभी भी पिछे चल रही है, अभी तक देषभर में केवल 52.21 लाख हैक्टेयर में ही मोटे अनाजों की बुवाई हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 56.29 लाख हैक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी। मोटे अनाजों में सबसे ज्यादा कमी ज्वार की बुवाई में आई है। ज्वार की बुवाई चालू रबी में अभी तक केवल 30.62 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 36.31 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। रबी मक्का की बुवाई भी चालू सीजन में अभी तक 13.14 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 12.27 लख हैक्टेयर में इसकी बुवाई हुई थी। जौ की बुवाई चालू रबी में 7.90 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 6.97 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। धान की रोपाई चालू रबी में अभी तक केवल 10.68 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 14.77 लाख हैक्टेयर में धान की रोपाई हो चुकी थी।...................आर एस राणा

बिनौला का उत्पादन 108.80 लाख टन होने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2016-17 में बिनौला का उत्पादन 108.80 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 108.30 लाख टन का हुआ था। फसल सीजन 2014-15 में 120 लाख टन बिनौला का उत्पादन हुआ था।
जानकारों के अनुसार पिछले साल बिनौला का उत्पादन कम होने से इसकी कीमतों में तेजी आई थी, चालू सीजन में अभी तक उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक पिछले साल की तुलना में कम हुई है, ऐसे में आगामी दिनों में कपास की दैनिक आवक बढ़ने से खल और बिनौला की कीमतों में नरमी आ गिरावट आ सकती है। बिनौला और खल का उत्पादन कम होने से मार्च-अप्रैल के बाद इसकी कीमतों में तेजी आने का अनुमान है।..............  आर एस राणा

चीनी उत्पादन 225 लाख टन होने का अनुमान-केंद्र

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के अनुसार पहली अक्टूबर 2016 से शुरु हुए चालू पेराई सीजन 2016-17 में चीनी का उत्पादन 225 लाख टन होने का अनुमान है हालांकि उद्योग का अनुमान 234 लाख टन चीनी का उत्पादन का है। केंद्र सरकार के अनुसार पहली अक्टूबर से अभी तक चीनी का 66 लाख टन का उत्पादन हो चुका है।
खाद्य मंत्रालय के अनुसार चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर 2016 को घरेलू बाजार में 77.1 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, ऐसे में चालू पेराई सीजन में चीनी की कुल उपलब्धता सालाना खपत 250 लाख टन से ज्यादा है। मंत्रालय के अनुसार आगामी पेराई सीजन में पहली अक्टूबर 2017 को चीनी का बकाया स्टॉक 52.1 लाख टन का बचेगा। पेराई सीजन 2107-18 में चीनी मिलों में पेराई जल्दी आरंभ होने का अनुमान है तथा गन्ने का उत्पादन भी ज्यादा होने की संभावना है। ऐसे में माना जा रहा है कि घरेलू बाजार में चीनी की उपलब्धता कुल मांग के तुलना में ज्यादा ही है तथा कीमतें नियंत्रण में बनी हुई हैं।...........आर एस राणा

कॉमैक्स पर सोना 1160 डॉलर के पास

पिछले तीन साल लगातार गिरावट के बाद सोना इस साल रिटर्न देने में कामयाब होता दिख रहा है और इस साल के दौरान इसने निवेशकों को करीब 10 फीसदी का रिटर्न दिया है। आज भी इसमें हल्की बढ़त के साथ कारोबार हो रहा है। इस हफ्ते सोने में करीब 2.5 फीसदी की तेजी आ चुकी है। कॉमैक्स पर इसमें 1160 डॉलर के पास कारोबार हो रहा है। चांदी में भी करीब 0.5 फीसदी की तेजी आई है। अगले हफ्ते से उत्पादन में कटौती शुरू होने से कच्चे तेल में भी बढ़त पर कारोबार हो रहा है। डॉलर में आई गिरावट से बेस मेटल में भी तेजी आई है और लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर का दाम करीब 0.5 फीसदी बढ़ गया है। जिंक और एल्युमीनियम भी करीब 1 फीसदी ऊपर हैं। आज डॉलर के मुकाबले रुपये में रिकवरी आई है और 1 डॉलर की कीमत 68 रुपये के नीचे आ गई है। डॉलर में गिरावट से रुपये को सपोर्ट मिला है।

29 दिसंबर 2016

किसानों को एमएसपी से नीचे बेचनी पड़ रही है मूंग और अरहर

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में जहां देश में अरहर और मूंग का बंपर उत्पादन हुआ है, वहीं सार्वजनिक कंपनियों के साथ ही प्रावइेट आयातकों द्वारा लगातार आयात भी किया जा रहा है। यही कारण है कि अरहर और मूंग के किसानों को मजबूतरी में अपनी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे भाव पर बेचनी पड़ रही है। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा मूंग के साथ ही अरहर की एमएसपी पर खरीद भी कर रही है लेकिन खरीद नाममात्र की होने के कारण ज्यादातर किसानों को अपनी उपज एमएसपी से नीचे भाव पर बेचनी पड़ रही हैं।
चालू खरीफ विपणन सीजन के लिए केंद्र सरकार ने मूंग का एमएसपी 5,225 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है, जबकि मध्य प्रदेष की इंदौर मंडी में मूंग 4,600 रुपये, उत्तर प्रदेश की झांसी मंडी में 4,400 रुपये, राजस्थान की केकड़ी मंडी में 4,400 रुपये और महाराष्ट्र की अकोला मंडी में 4,800 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। इसी तरह से अरहर का एमएसपी चालू खरीफ विपणन सीजन 2016-17 के लिए केंद्र सरकार ने 5,050 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है जबकि उत्तर प्रदेश की कानपूर मंडी में अरहर के भाव 4,600 रुपये, मध्य प्रदेश की इंदौर मंडी में 4,200 रुपये, महाराष्ट्र की अकोला मंडी में 4,500 रुपये और दिल्ली के नया बाजार में भाव 5,000 रुपये प्रति क्विंटल हैं।
केंद्र सरकार ने फसल सीजन 2016-17 के लिए 20 लाख टन दलहन का बफ्र स्टॉक बनाने का फैसला किया हुआ है इसमें 10 लाख टन दालों का आयात विदेशों से किया जायेगा, जबकि बाकि 10 लाख टन की खरीद घरेलू मंडियों से की जायेगी। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार के पास 6.95 दालों का स्टॉक हो चुका है इसमें करीब 50 फीसदी से ज्यादा आयातित दालों का स्टॉक है। अतः ऐसे में घरेलू मंडियों से खरीद सीमित मात्रा में ही की जा रही है।
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ में अरहर की रिकार्ड पैदावार 42.9 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 24.6 लाख टन का हुआ था। इसी तरह से खरीफ मूंग का उत्पादन बढ़कर 13.5 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 10.2 लाख टन का हुआ था। अरहर की बंपर पैदावार के बावजूद इसका आयात लगातार (प्राइवेट आयातकों के साथ ही सार्वजनिक कंपनियों द्वारा) किया जा रहा है, जबकि आगामी दिनों में उत्पादक मंडियों में इसकी दैनिक आवक और बढ़ेगी, ऐसे में घेरलू बाजार में अरहर के साथ ही मूंग की कीमतों में और भी गिरावट आने का अनुमान है।.............आर एस राणा

ग्लोबल मार्केट में सोना 0.5 फीसदी और चांदी करीब 1 फीसदी ऊपर

साल 2016 के अंतिम हफ्ते में सोने और चांदी में जोरदार तेजी आई है। इस हफ्ते दोनों का दाम करीब 1.5 से 2 फीसदी तक बढ़ गया है। आज भी ग्लोबल मार्केट में सोना करीब 0.5 फीसदी और चांदी करीब 1 फीसदी ऊपर कारोबार कर रहे हैं। कॉमैक्स पर सोने का दाम 1150 डॉलर के बेहद करीब पहुंच गया है। जबकि चांदी 16 डॉलर के ऊपर है। डॉलर में ऊपरी स्तर से दबाव में सोने और चांदी को सपोर्ट मिला है।
इस बीच कच्चे तेल की शुरुआती कमजोरी अब कम हो गई है। दरअसल अमेरिका में भंडार बढ़ने से शुरू में इसमें दबाव दिख रहा था। नायमैक्स पर क्रूड 54 डॉलर के नीचे है जबकि ब्रेंट में 56 डॉलर के ऊपर कारोबार हो रहा है। उधर लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर में हल्की कमजोरी आई है। इस बीच डॉलर में आई गिरावट से रुपये को हल्का सपोर्ट मिला है।

28 दिसंबर 2016

आयातित दलहल की कीमतों में गिरावट

आर एस राणा
नई दिल्ली। आयात में हो रही बढ़ोतरी के कारण मुंबई में आयातित दलहन की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। मंगलवार को मुंबई में म्यंमार से आयातित लेमन अरहर के भाव घटकर 4,575 से 4,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। उड़द एफएक्यू के भाव मुंबई में 6,600 से 6,700 रुपये, आस्ट्रेलियाई चना के भाव 8,800 से 9,000 रुपये प्रति क्विंटल रहे, जबकि इथोपिया के चना का भाव घटकर 8,200 से 8,300 रुपये प्रति क्विंटल रहा। मसूर के भाव 4,550 से 4,700 रुपये और आस्ट्रेलियाई मसूर का भाव 4,800 रुपये प्रति क्विंटल रहा। आयात में हो रही बढ़ोतरी के साथ ही, रबी में दलहन की बुवाई में हुई बढ़ोतरी से दालों की कीमतों में आगे और भी गिरावट आने का अनुमान है।..............आर एस राणा

खरीफ में तिलहन उत्पादन 178.25 लाख टन होने का अनुमान-एसईए

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन 2016-17 में तिलहनी फसलों की पैदावार 52.25 लाख टन बढ़कर 178.25 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इनका उत्पादन केवल 126 लाख टन का ही हुआ था।
साल्वेंट एक्ट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन का उत्पादन बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 105.75 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 72.10 लाख टन का ही हुआ था। इसी तरह से खरीफ में मूंगफली का उत्पादन बढ़कर 53.75 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल खरीफ सीजन में इसका उत्पादन 32.30 लाख टन मूंगफली का उत्पादन ही हुआ था। सोयाबीन के साथ ही मूंगफली की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता फसल सीजन 2016-17 में अनुकूल मौसम के कारण ज्यादा होने से उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है।
अन्य तिलहनी फसलों में सनफ्लावर का उत्पादन चालू खरीफ सीजन 2016-17 में बढ़कर 1.69 लाख टन का होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 0.80 लाख टन का ही हुआ था। हालाकि सीस्मसीड और केस्टर सीड के उत्पादन में पिछले साल की तुलना में कमी आने का अनुमान है। सीस्म सीड का उत्पादन कम होकर चालू खरीफ सीजन 2016-17 में 4.15 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार 5 लाख टन की हुई थी। इसी तरह से केस्टर सीड का उत्पादन घटकर 11.30 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2015-16 में इसकी पैदावार 14 लाख टन की हुई थी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों की बुवाई 5.12 लाख हैक्टेयर बढ़कर 190.31 लाख हैक्टेयर में हुई है, जबकि इसके पिछले साल इनकी बुवाई केवल 185.19 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
खरीफ सीजन 2016-17 में तिलहनी फसलों की पैदावार में हुई बढ़ोतरी से खाद्य तेलों का उत्पादन भी 26.79 लाख टन बढ़कर 61.38 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले खरीफ सीजन में खाद्य तेलों का उत्पादन 34.59 लाख टन का ही हुआ था। खाद्य तेलों के उत्पादन में हुई बढ़ोतरी से आयातित खाद्य तेलों में आगामी महीनों में कमी आने का अनुमान है। .................आर एस राणा

सोना 2 हफ्ते की ऊंचाई पर

सोना 2 हफ्ते की ऊंचाई पर पहुंच गया है। ग्लोबल मार्केट में इसका दाम 1140 डॉलर के ऊपर है। हालांकि सोने में बेहद छोटे दायरे में कारोबार हो रहा है। वहीं चांदी भी 16 डॉलर के स्तर पर पहुंच चुकी है। इस हफ्ते सोने और चांदी में लगातार तेजी जारी है। हालांकि कल की बढ़त के बाद कच्चे तेल में दबाव है। लेकिन सुस्ती के बावजूद ब्रेंट में 57 डॉलर के पास कारोबार हो रहा है। अगले हफ्ते से क्रूड के उत्पादन में कटौती शुरु हो हो जाएगी। इस बीच लंदन मेटल एक्सचेंज पर बेस मेटल्स में आज तेजी आई है और कॉपर का दाम करीब 2 फीसदी उछल गया है। जिंक और निकेल में भी जोरदार तेजी आई है। दरअसल जापान का फैक्ट्री आउटपुट नवंबर में बढ़ गया है। वहीं अमेरिका में कंज्युमर कॉन्फिडेंस इस महीने पिछले 15 साल की ऊंचाई पर चला गया है। ऐसे में बेस मेटल की कीमतों को सपोर्ट मिला है। हालांकि डॉलर के मुकाबले रुपये में आज कमजोरी बढ़ गई है।

27 दिसंबर 2016

केस्टर तेल की निर्यात बढ़ने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। इस समय चीन की केस्टर तेल में आयात मांग कमजोर बनी हुई है, जबकि यूरोप में छुट्टियां चल रही है। माना जा रहा है कि आगामी महीने में जहां चीन की आयात मांग केस्टर तेल में बढ़ेगी, वहीं यूरोप की आयात मांग में भी इजाफा होने का अनुमान है। ऐसे में केस्टर सीड के साथ ही तेल के भाव जनवरी में बढ़ने की संभावना है।
उत्पादक मंडियों में इस समय केस्टर सीड के भाव 3,650 से 3,675 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि केस्टर तेल के भाव 760 रुपये प्रति 10 किलो हैं। चीन में प्रदुषण के कारण कुछ कपंनियों में उत्पादन कम होने के कारण चीन की आयात मांग केस्टर तेल में नवंबर-दिसंबर में कम रही है, जबकि चीन भारत से केस्टर तेल का सबसे बढ़ा आयातक देष हैं। माना जा रहा है कि अगले महीने से केस्टर तेल की निर्यात मांग में तेजी आयेगी।
नवंबर महीने में केस्टर तेल का निर्यात घटकर 35,608 टन का ही हुआ है जबकि अक्टूबर महीने में इसका निर्यात 47,112 टन का हुआ था। दिसंबर में भी निर्यात मांग कम रही है लेकिन जनवरी से केस्टर तेल की निर्यात मांग में तेजी आने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले 8 महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान 3,43,766 टन केस्टर तेल का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 3,43,082 टन तेल का निर्यात हुआ था। हालांकि जनवरी के आखिर में केस्टर सीड की नई फसल की आवक चालू हो जायेगी, लेकिन माना जा रहा है कि चालू सीजन में बुवाई में आई से केस्टर सीड की पैदावार में 18 से 20 फीसदी की कमी आने की आषंका है। फसल सीजन 2015-16 में केस्टर सीड का उत्पादन 14.50 लाख टन का हुआ था।............आर एस राणा

निर्यात मांग बढ़ने से जनवरी में बढ़ेंगे चावल के दाम

आर एस राणा
नई दिल्ली। निर्यातकों की मांग बढ़ने से मध्य जनवरी के बाद बासमती धान के साथ ही चावल की कीमतों में तेजी आने का अनुमान है। ईरान के साथ ही अन्य देशों की आयात मांग दिनों में चावल में बढ़ेगी, जबकि चालू सीजन में बासमती चावल की पैदावार में 25 से 30 फीसदी की कमी आने की आषंका है। उत्पादक मंडियों में 1,121 बासमती धान के भाव 2,625 से 2,650 रुपये और 1,121 बासमती चावल रॉ के भाव 5,900 से 6,000 रुपये, सेला का भाव 4,800 से 4,900 रुपये तथा स्टीम का भाव 5,800 से 5,900 रुपये प्रति क्विंटल है।
अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर महीनें में बासमती चावल के निर्यात सौदों में कमी आई है, जिससे कुल चावल निर्यात पिछले साल की तुलना में कम रहने की आषंका है। हालांकि जनवरी से निर्यात मांग में तेजी आने का अनुमान है। ईराक, यमन, सीरिया और टर्की में राजीनितक गतिरोध का असर चावल के निर्यात पर पड़ा है। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले 8 महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात घटकर 23.04 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 23.97 लाख टन का हुआ था। माना जा रहा है जहां चालू सीजन में बासमती चावल की पैदावार में 15 से 20 फीसदी की कमी आई है, वहीं 10 से 15 फीसदी क्वालिटी भी प्रभावित हुई है, इसलिए चालू सीजन में ब्रोकन की स्थिति 5 फीसदी ज्यादा आ रही है। ऐसे में आगामी महीनें में जहां चावल की कीमतों में तेजी आयेगी, वहीं धान के भाव में भी बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
दस जनवरी के बाद जहां ईरान की बासमती चावल में आयात मांग बढ़ेगी, वहीं नये साल की छुट्टिया समाप्त होने के बाद यूरोपीय देशों की आयात मांग में भी तेजी आयेगी। जानकारों के अनुसार पिछले साल जहां बासमती चावल की कुल पैदावार 80 लाख टन की हुई थी, वहीं चालू सीजन में पैदावार 55 से 60 लाख टन ही होने का अनुमान है। चीन की कंपनियों ने भारतीय चावल मिलों से चावल आयात में रुचि तो दिखाई है, लेकिन अभी तक कोई आयात सौदे नहीं किए हैं। सूत्रों के अनुसार जनवरी में भारत से निर्यातकों का प्रतिनिधिमंडल चीन जायेगा, उसके बाद ही चीन की कंपनियों द्वारा कुछ आयात सौदे किए जाने की संभावना है।.............आर एस राणा

सरसों की बुवाई राजस्थान और यूपी में ज्यादा, हरियाणा में कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में जहां सरसों की बुवाई में प्रमुख उत्पादक राज्यों राजस्थान और उत्तर प्रदेष में बढ़ोतरी हुई है, वहीं हरियाणा में इसके बुवाई क्षेत्रफल में कमी आई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में सरसों की बुवाई बढ़कर 68.21 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 60.97 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
मंत्रालय के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान में सरसों की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 27.78 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 23.82 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। इसी तरह से उत्तर प्रदेष में चालू रबी में सरसों की बुवाई बढ़कर 11.78 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 10.93 लाख हैक्टेयर में ही सरसों की बुवाई हो पाई थी।
हरियाणा में चालू रबी में सरसों की बुवाई घटकर अभी तक केवल 5.36 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक हरियाणा में 5.80 लाख हैक्टेयर में सरसों की बुवाई हो चुकी थी। पष्चिमी बंगाल में भी चालू रबी में सरसों की बुवाई अभी तक 4.55 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक बुवाई 4.66 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। मध्य प्रदेष में चालू रबी में सरसों की बुवाई 6.99 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 6.19 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी।
अन्य राज्यों में असम में सरसों की बुवाई 2.86 लाख हैक्टेयर में, बिहार में 1.21 लाख हैक्टेयर में, छत्तीसगढ़ में 1.11 लाख हैक्टेयर में, गुजरात में 1.98 लाख हैक्टेयर में और झारखंड में 2.11 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई है। चालू रबी में सरसों की बुवाई सामान्य क्षेत्रफल 63.20 लाख हैक्टेयर में से ज्यादा ही है जबकि इससे पहले 68 लाख हैक्टेयर से ज्यादा बुवाई फसल सीजन 2012-13 में ही हुई थी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2015-16 में सरसों का उत्पादन 68.21 लाख टन का हुआ था जबकि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में सरसों की पैदावार 85 लाख टन होने का अनुमान है। हालांकि जानकारों का मानना है कि बुवाई में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए उत्पादन 75 लाख टन से ज्यादा ही होने का अनुमान है। सरसों तेल के साथ ही सरसों खल में मांग कमजोर है जिससे इसके भाव में तेजी नहीं आ पा रही है। माना जा रहा है कि नई फसल की आवक फरवरी में बनेगी, ऐसे में जनवरी में मौजूदा कीमतों में एक बार 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी तो आ सकती है लेकिन बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।................आर एस राणा

ग्लोबल मार्केट में सोने में बढ़त

ग्लोबल मार्केट में सोने में आज बढ़त दिख रही है। इसका दाम करीब 0.5 फीसदी बढ़ गया है। कॉमैक्स पर सोना 1135 डॉलर के ऊपर है। इसके साथ ही चांदी में भी करीब 0.5 फीसदी की तेजी आई है। गौर करने वाली बात ये है कि ग्लोबल मार्केट में आज सोने की शुरुआत गिरावट के साथ हुई था, लेकिन कीमतें अब धीरे-धीरे बढ़ने लगी हैं। इस बीच कच्चा तेल बेहद छोटे दायरे में कारोबार कर रहा है। नायमैक्स पर इसका दाम 53 डॉलर के ऊपर है। इस बीच चीन में मांग घटने के अनुमान से कल बेस मेटल में भारी गिरावट आई थी। आज भी चीन में इसकी चाल सुस्त है। एग्री कमोडिटी में कल सोयाबीन, सरसों और चीनी में जोरदार तेजी देखी गई। कल दिल्ली और मुंबई में भी चीनी का दाम करीब 100 रुपये उछल गया था। वहीं करेंसी मार्केट में डॉलर के मुकाबले रुपये में आज कमजोरी है। 1 डॉलर की कीमत 67.80 रुपये के ऊपर है जबकि येन में गिरावट का रुख है।

26 दिसंबर 2016

डॉलर के मुकाबले रुपये में हल्की रिकवरी

क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों की वजह से ग्लोबल कमोडिटी बाजार बिल्कुल ठंडा पड़ गया है। इस साल सोने और चांदी में भारी उठापटक देखने को मिला है। साल के दौरान सोना करीब 30 फीसदी का रिटर्न देने के बाद फिलहाल पिछले साल के मुकाबले सिर्फ 10 फीसदी ऊपर है। चांदी कमाबेश अपनी सारी बढ़त गंवा चुकी है।

हालांकि इस साल के दौरान कच्चे तेल में करीब 100 फीसदी का शानदार रिटर्न मिला है। क्रूड 25 डॉलर का स्तर छूने के बाद फिलहाल 50 डॉलर के ऊपर है। कमाई देने के मामले में बेस मेटल भी पीछे नहीं हैं। हालांकि पिछले हफ्ते कॉपर करीब 1 महीने के निचले स्तर पर गिर गया था। लेकिन जिंक का भाव 9 साल की ऊंचाई को छू चुका है। इस बीच आज डॉलर के मुकाबले रुपये में हल्की रिकवरी आई है और एक डॉलर की कीमत 67.80 रुपये के पास है।

24 दिसंबर 2016

एग्री कमोडिटी में आगे की रणनीति कैसे बनाए

एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे
एग्री जिंसों के अलावा किराना में हल्दी, जीरा, धनिया, लालमिर्च, इलायची, कालीमिर्च आदि की जानकारी भी हिंदी में ई-मेल के माध्यम से दी जायेगी। हमें ई-मेल करे या फिर फोन पर संपक करें।

............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........

आर एस राणा
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नवंबर में केस्टर डीओसी का निर्यात बढ़ा, केस्टर तेल का घटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। नवंबर महीने में जहां केस्टर डीओसी का निर्यात बढ़ा है, वहीं केस्टर तेल के निर्यात में कमी आई है। नवंबर महीने में केस्टर डीओसी का निर्यात बढ़कर 41,451 टन का हुआ है जबकि अक्टूबर महीने में 31,025 टन का ही निर्यात हुआ था। घरेलू बाजार में केस्टर सीड के भाव नीचे बने हुए हैं, इसलिए माना जा रहा है कि दिसंबर में भी केस्टर डीओसी के निर्यात में अच्छी बढ़ोतरी होगी।
केस्टर तेल का निर्यात नवंबर महीने में घटकर 35,608 टन का ही हुआ है जबकि अक्टूबर महीने में इसका निर्यात 47,112 टन का हुआ था। पिछले साल नवंबर महीने में केस्टर तेल का निर्यात 45,002 टन का हुआ था।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान 3,43,766 टन केस्टर तेल का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 3,43,084 टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2015-16 में केस्टर तेल का कुल निर्यात 5,43,274 टन का हुआ था।
सूत्रों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले 8 महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान केस्टर डीओसी का निर्यात 2,94,613 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 3,37,814 टन का हुआ था। नवंबर महीने में केस्टर डीओसी के निर्यात सौदे 67 डॉलर प्रति टन (एफओबी) की दर से हुए हैं, जबकि पिछले साल नवंबर महीने में इसके निर्यात सौदे 101 डॉलर प्रति टन (एफओबी) की दर से हुए थे। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले आठ महीनों में दक्षिण कोरिया ने 2,78,157 टन केस्टर डीओसी का आयात किया है। वित्त वर्ष 2015-16 में केस्टर डीओसी का कुल निर्यात 4,56,319 टन का हुआ था।.............आर एस राणा

मक्का की बुवाई बिहार में घटी, महाराष्ट्र में बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में प्रमुख उत्पादक राज्य बिहार में जहां मक्का की बुवाई में कमी आई है वहीं महाराष्ट्र और गुजरात में बुवाई में बढ़ोरती हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में मक्का की बुवाई बढ़कर 12.20 लाख हैक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल इसकी बुवाई 11.42 लाख हैक्टैयर में ही हुई थी।
रबी में मक्का का उत्पादन सबसे ज्यादा बिहार में होता है, तथ चालू रबी में बिहार में मक्का की बुवाई अभी तक केवल 3.96 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 4.12 लाख हैक्टेयर में हुई थी। अन्य राज्य महाराष्ट्र में बुवाई बढ़कर चालू रबी में 2.07 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 1.99 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। गुजरात में चालू रबी में बुवाई बढ़कर 1.02 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में केवल 0.46 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी।
अन्य राज्यों में तमिलनाडु में मक्का की बुवाई 1.55 लाख हैक्टेयर में, तेलंगाना में 1.03 लाख हैक्टेयर में, कर्नाटका में 0.61 लाख हैक्टेयर में, आंध्रप्रदेष में 0.71 लाख हैक्टेयर में और पष्चिमी बंगाल में 0.41 लाख हैक्टेयर में मक्का की बुवाई हुई है। ..............आर एस राणा

उड़द और मूंग की बुवाई में कमी

आर एस राणा
नई दिल्ली। मूंग और उड़द की कीमतों में आई गिरावट का असर चालू रबी में इनकी बुवाई पर पड़ा है। उड़द की बुवाई चालू रबी में घटकर 5.88 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 6.17 लाख हैक्टेयर में हुई थी। इसी तरह से चालू रबी में मूंग की बुवाई अभी तक केवल 3.09 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 3.20 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी में प्रमुख उत्पादन राज्य आंध्रप्रदेष में उड़द की बुवाई केवल 2.07 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 2.96 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। अन्य राज्यों में असम में उड़द की बुवाई अभी तक 0.52 लाख हैक्टेयर में, उड़ीसा में 1.32 लाख हैक्टेयर में, तमिलनाडु में 1.65 लाख हैक्टेयर में और तेलंगाना में 0.13 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई है।
मंत्रालय के अनुसार मूंग की बुवाई चालू रबी में उड़ीसा में 1.87 लाख हैक्टेयर में, तमिलनाडु में 0.63 लाख हैक्टेयर में, छत्तीसगढ़ में 0.11 लाख हैक्टेयर में और आंध्रप्रदेष में 0.35 लाख हैक्टेयर में ही हुई है।.............आर एस राणा

कनाडा में 32.48 लाख टन मसूर का उत्पादन

आर एस राणा
नई दिल्ली। फसल सीजन 2016-17 में कनाड़ा में मसूर का उत्पादन बढ़कर 32.48 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल कनाडा मं 25.41 लाख टन मसूर का उत्पादन हुआ था। सूत्रों के अनुसार चालू सीजन में पैदावार में हुई बढ़ोतरी से मसूर के भाव भी घटकर 585 डॉलर प्रति टन रह गए हैं जबकि पिछले साल इस समय मसूर के भाव 965 डॉलर प्रति टन थे।
इसी तरह से कनाडा में चालू फसल सीजन 2016-17 में मटर का उत्पादन बढ़कर 48.35 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 32.01 लाख टन का हुआ था। मटर के भाव कनाडा में 260 से 290 डॉलर प्रति टन क्वालिटीअनुसार हैं। ..............आर एस राणा

23 दिसंबर 2016

गेहूं की बुवाई 278 लाख हैक्टेयर के पार, दलहन की 138 लाख हैक्टेयर में

रबी तिलहन की बुवाई भी पिछले साल से ज्यादा, मोटे अनाजों की कम
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में जहां गेहूं, दलहन और तिलहन की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, वहीं मोटे अनाजों के साथ ही धान की रौपाई पिछले साल की तुलना में पिछड़ रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी अभी तक देशभर में 554.91 लाख हैक्टेयर में फसलों की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 523.40 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई बढ़कर 278.62 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 259.37 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। रबी दहलन की बुवाई भी बढ़कर 138.25 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 125.73 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई बढ़कर 89.21 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 80.12 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। मसूर की बुवाई भी बढ़कर चालू रबी में अभी तक 15.73 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 13.03 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। मटर की बुवाई भी चालू रबी में बढ़कर 9.42 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 8.83 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। मूंग और उड़द की बुवाई में चालू रबी में पिछले साल की तुलना में पिछड़ रही है।
रबी तिलहनों की बुवाई चालू सीजन में अभी तक 78.08 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 70.12 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई 68.22 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 60.10 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 3.73 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 3 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
हालांकि मोटे अनाजों की बुवाई अभी भी पिछे चल रही है, अभी तक देषभर में केवल 50.63 लाख हैक्टेयर में ही मोटे अनाजों की बुवाई हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 54.91 लाख हैक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी। मोटे अनाजों में सबसे ज्यादा कमी ज्वार की बुवाई में आई है। ज्वार की बुवाई चालू रबी में अभी तक केवल 30.39 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 36.03 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। रबी मक्का की बुवाई भी चालू सीजन में अभी तक 12.21 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 11.42 लख हैक्टेयर में इसकी बुवाई हुई थी। जौ की बुवाई चालू रबी में 7.61 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 6.89 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। धान की रोपाई चालू रबी में अभी तक केवल 9.33 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 13.27 लाख हैक्टेयर में धान की रोपाई हो चुकी थी।.............आर एस राणा

ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में हुई बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात बढ़कर 1,95,602 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2015-16 की समान अवधि में इनका निर्यात 1,82,723 टन का ही हुआ था।
माना जा रहा है कि घरेलू बाजार में ग्वार गम उत्पादों के भाव कम होने के कारण निर्यात में सुधार आया है, आगे निर्यात में और भी सुधार आने का अनुमान है। हालांकि उत्पादक मंडियों में ग्वार सीड की दैनिक आवक बढ़ी है जिससे भाव में बड़ी तेजी की उम्मीद तो कम है लेकिन प्लांटों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग भाव 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आ सकता है। जोधपुर मंडी में ग्वार गम के भाव 6,100 रुपये और ग्वार सीड के भाव 3,200 रुपये प्रति क्विंटल रहे। मंडियों में ग्वार सीड की दैनिक आवक बढ़कर गुरुवार को 30 हजार बोरी की हुई।................आर एस राणा

अप्रैल से दिसंबर में जीरा का निर्यात 30 फीसदी बढ़ने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। निर्यातकों का मानना है कि चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान जीरा का निर्यात 30 फीसदी बढ़कर 88,000 टन होने का अनुमान है। अन्य उत्पादक देषों टर्की और सीरिया में जीरा का स्टॉक काफी कम है, साथ ही इन देशों में राजनीतिक गतिरोध भी बना हुआ है, इसलिए भारत से जीरा की निर्यात मांग अच्छी है।
वित्त वर्ष 2015-16 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान 67,300 टन जीरा का निर्यात हुआ था। निर्यातकों के अनुसार नवंबर महीने में 8,000 से 10,000 टन जीरा का निर्यात हुआ है जबकि दिसंबर में अभी तक 5,000 टन का निर्यात हो चुका है। जीरा के निर्यात सौदे इस समय 2,450 से 2,550 डॉलर प्रति टन (एफओबी) की दर से हो रहे हैं। जानकारों के अनुसार इस समय बंगलादेष और चीन की आयात मांग सबसे ज्यादा बनी हुई है।......आर एस राणा

एफसीआई ने 31,726 टन दलहन की खरीद की

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने खरीफ विपणन सीजन 2016-17 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 31,726.41 दलहन मूंग और उड़द की खरीद की है। केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने बताया कि 28 नवंबर 2016 तक एफसीआई ने एमएसपी पर 22,542.85 टन मूंग की खरीद की है, जबकि 9,183.56 टन उड़द की खरीद की है।
उन्होंने बताया कि रबी विपणन सीजन 2016-17 में एमएसपी पर 229.32 लाख टन गेहंू की खरीद की गई थी, जबकि खरीफ विपणन सीजन 2015-16 में 342.19 लाख टन चावल की खरीद की गई थी। चालू खरीफ विपणन सीजन 2016-17 में एफसीआई 178.29 लाख टन चावल की खरीद कर चुकी है।
केंद्रीय पूल में पहली दिसंबर 2016 को 275.55 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक मौजूद है, जिसमें 164.96 लाख टन गेहूं और 110.59 लाख टन चावल है।
उन्होंने बताया कि दलहन का 6.95 लाख टन का बफर स्टॉक केंद्रीय एजेंसियों एफसीआई, नैफेड, एमएमटीसी, एसएफएसी और एसटीसी के पास है, तथा नैफेड और एसएफएसी तथा एफसीआई ने मूंग और उड़द के बाद अरहर की खरीद भी एमएसपी पर शुरु कर दी है।......आर एस राणा

क्रूड में नरमी

नए साल की छुट्टियों के पहले क्रूड में नरमी देखने को मिली रही है। डॉलर में मजबूती और ट्रेडर्स की तरफ से मुनाफावसूली के चलते क्रूड में कमजोरी देखी गई। अमेरिका में क्रूड के दाम साढ़े 52 डॉलर के करीब हैं जबकि ब्रेंट फ्यूचर करीब 1 फीसदी नीचे साढ़े 54 डॉलर के करीब रहा। वहीं सोने की चमक भी फीकी बनी हुई है। साल 2017 में यूएस फेड की तरफ से ब्याज दरों में और बढ़ोतरी की आशंका में सोने पर ट्रेडर्स बियरिश हो गए हैं। स्पॉट और फ्यूचर में सोने के दाम 1130 डॉलर के करीब रहे। दूसरी तरफ अमेरिका में मजबूत ग्रोथ की उम्मीद में निवेशकों को रुझान इक्विटी की तरफ बढ़ रहा है।

22 दिसंबर 2016

अप्रैल से दिसंबर में जीरा का निर्यात 30 फीसदी बढ़ने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। निर्यातकों का मानना है कि चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान जीरा का निर्यात 30 फीसदी बढ़कर 88,000 टन होने का अनुमान है। अन्य उत्पादक देषों टर्की और सीरिया में जीरा का स्टॉक काफी कम है, साथ ही इन देशों में राजनीतिक गतिरोध भी बना हुआ है, इसलिए भारत से जीरा की निर्यात मांग अच्छी है।
वित्त वर्ष 2015-16 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान 67,300 टन जीरा का निर्यात हुआ था। निर्यातकों के अनुसार नवंबर महीने में 8,000 से 10,000 टन जीरा का निर्यात हुआ है जबकि दिसंबर में अभी तक 5,000 टन का निर्यात हो चुका है। जीरा के निर्यात सौदे इस समय 2,450 से 2,550 डॉलर प्रति टन (एफओबी) की दर से हो रहे हैं। जानकारों के अनुसार इस समय बंगलादेष और चीन की आयात मांग सबसे ज्यादा बनी हुई है।..............आर एस राणा

मध्य प्रदेष और राजस्थान में चना की बुवाई बढ़ी, कर्नाटका में घटी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में जहां प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेष और राजस्थान में चना की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, वहीं कर्नाटका और आंध्रप्रदेष में चना की बुवाई में कमी आई है। चना की नई फसल की आवक सबसे पहले जनवरी में कर्नाटका और आंध्रप्रदेष में ही होती है, जबकि अन्य राज्य मध्य प्रदेष, महाराष्ट्र में नई फसल की आवक फरवरी में बनती है। ऐसे में जनवरी के आखिर तक घरेलू मंडियों में चना की कीमतों में तेजी-मंदी आयातित चना के भाव पर ही ज्यादा निर्भर करेंगी। आगामी पंद्रह-बीस दिनों में आस्ट्रेलिया और रुस से करीब 10 हजार टन चना भारतीय बंदरगाहों पर पहुंचा, जिससे इसके भाव घटकर 7,200 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल होने की संभावना है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेष में चना की बुवाई बढ़कर 28.43 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 25.54 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। राजस्थान में बुवाई बढ़कर चालू रबी में 17.45 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में 11.42 लाख हैक्टेयर में ही चना की बुवाई हुई थी। अन्य राज्य में महाराष्ट्र में चना की बुवाई बढ़कर 16.39 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है, पिछले साल इस समय तक राज्य में 12.69 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। उत्तर प्रदेष में चना की बुवाई बढ़कर 6.32 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 3.38 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।
कर्नाटका में चालू रबी में चना की बुवाई घटकर केवल 9.54 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल राज्य में इस समय तक 14.49 लाख हैक्टेयर में चना की बुवाई हो चुकी थी। इसी तरह से आंध्रप्रदेष में चना की बुवाई चालू रबी में 2.56 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 3.59 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। मंत्रालय के अनुसार देशभर में चना की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 86.90 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 76.95 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। ...........आर एस राणा

तेल की कीमतों में तेजी

कमजोर डॉलर और उत्पादन में कटौती को लेकर उत्पादकों के एकमत होने से तेल की कीमतों में तेजी बनी हुई है। हालांकि पिछले हफ्ते अमेरिका में क्रूड इन्वेंटरी बढ़ने से क्रूड की तेज रैली थोड़ी थमी जरूर थी। दरअसल लीबिया की तरफ से बयान आया था कि उसे कुछ महीनों तक उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। अमेरिकी क्रूड बढ़त के साथ साढ़े 52 डॉलर के पार हो गया है जबकि ब्रेंट के दाम साढ़े 54 डॉलर से ऊपर चले गए हैं। वहीं आज एशियाई बाजारों में सोना कल की फ्लैट क्लोजिंग के बाद हल्की बढ़त पर दिखाई दिया। स्पॉट में सोने के दाम 1132 डॉलर के आसपास हैं।

नैफेड एमएसपी पर अरहर की खरीद करेगी

आर एस राणा
नई दिल्ली। कीमतों में चल रही गिरावट रोकने के लिए नैफेड न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अरहर की खरीद करेगी। उत्पादक राज्यों की मंडियों में अरहर के भाव घटकर 4,000 से 4,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं, जबकि चालू खरीफ विपणन सीजन के लिए केंद्र सरकार ने अरहर का एमएसपी 5,050 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है।
कृषि सचिव शोभना पटनायक ने बताया कि नैफेड ने कर्नाटका के साथ ही तेलंगाना में खरीद शुरु कर दी है, जबकि महाराष्ट्र में भी जल्द ही खरीद चालू की जायेगी। चालू खरीफ में अरहर की पैदावार बंपर होने का अनुमान है, जबकि इस समय प्राइवेट आयातकों के साथ ही सार्वजनिक कपंनियां भी अरहर का आयात लगातार कर रही हैं। कृषि मंत्रालय के आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन 2016-17 में अरहर की रिकार्ड पैदावार 42.9 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले सीजन में इसका उत्पादन केवल 24.6 लाख टन का ही हुआ था।.............आर एस राणा

21 दिसंबर 2016

आस्ट्रेलिया से चना का आयात बढ़ेगा

आर एस राणा
नई दिल्ली। आस्ट्रेलिया से आगामी दिनों में चना का आयात बढ़ेगा। सूत्रों के अनुसार 25 दिसंबर को मुदड़ा बंदरगाह पर करीब 17,500 टन आस्ट्रेलिया चना पहुचेंगा, इसके अलावा मुंबई में 28 दिसंबर को 19,950 टन आस्ट्रेलिया से ही आयेगा। पांच जनवरी को 27,277 टन चना मुंदडा बंदरगाह पर भी आस्ट्रेलिया से पहुंच रहा है।
नवा सेवा बंदरगाह पर मंगलवार को 774 कंटेनर दलहन पहुंच हैं, इनमें 280 कंटेनर आस्ट्रेलियाई चना के हैं, इसके अलावा 190 कंटेनर मसूर के आस्ट्रेलिया और कनाडा से आए हैं। इसमें 97 कंटेनर अरहर के मलावी, उगांडा और तंजानियां से हैं।
सूत्रों के अनुसार अगले पंद्रह-बीस दिनों में करीब 10 लाख बोरी चना का आयात होगा, जिसका असर इसकी कीमतों पर पड़ेगा। आस्ट्रेलियाई चना के आयात सौदे मध्य जनवरी के मंगलवार को 7,200 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल भारतीय बंदरगाह पहुंच के हुए हैं।........आर एस राणा

घरेलू उत्पादन बढ़ने से सोया तेल के आयात में आयेगी कमी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2016-17 में तिलहनों की पैदावार में हुई बढ़ोतरी से सोया तेल के आयात में कमी आने की आषंका है। माना जा रहा है कि चालू सीजन में तिलहनों का घरेलू उत्पादन बढ़कर 37.5 मिलियन टन का होगा, जबकि पिछले साल 34.8 मिलियन टन की पैदावार हुई थी। चालू सीजन में घरेलू बाजार में सोया तेल का उत्पादन 51 फीसदी बढ़कर 15 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल इसका उत्पादन केवल 10 लाख टन का ही हुआ था।
हालांकि चालू फसल सीजन 2016-17 में सोया तेल की सालाना खपत में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। पिछले साल कुल 51 लाख टन सोया तेल की खपत हुई थी, जबकि चालू सीजन में खपत बढ़कर 54 लाख टन होने का अनुमान है। ऐसे में चालू फसल सीजन में सोया तेल का आयात घटकर 38 लाख टन ही होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल इसका आयात 43.6 लाख टन का हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएषन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार नवंबर महीने में सोया तेल का आयात 37 फीसदी घटकर 1,64,286 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल नवंबर महीने में 2,56,836 टन सोया तेल का आयात हुआ था।
हालांकि विष्व बाजार में सोयाबीन की पैदावार चालू फसल सीजन 2016-17 में ज्यादा होने का अनुमान है लेकिन अमेरिका में इसका बायोफ्ल्यू में उपयोग पिछले साल से ज्यादा होग, साथ ही चीन की आयात मांग चालू सीजन में ज्यादा आने का अनुमान है। उधर ब्राजील और अर्जेटीना में सोयाबीन की फसल अलनिनो से प्रभावित होने की आषंका है, जबकि इंडोनेषिया और मलेषिया में भी प्रतिकूल मौसम से क्रुड पाम तेल के भाव होने का अनुमान है। ऐसे में घरेलू बाजार में आगामी दिनों सोया तेल की कीमतों में तेजी ही बनने का अनुमान है।.......................आर एस राणा

क्रूड में हल्की बढ़त

क्रिसमस की छुट्टियों से पहले अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड में हल्की बढ़त देखी गई। यूएस क्रूड हल्की बढ़त के साथ करीब 54 डॉलर और ब्रेंट करीब साढ़े 55 डॉलर ट्रेड कर रहे हैं। ट्रेडर्स का मानना है कि अमेरिका में इन्वेंटरी कम होने की आशंका के चलते क्रूड में तेजी बनी हुई है। उधर ज्यादातर करेंसी के मुकाबले डॉलर की मजबूती से सोने में गिरावट जारी है। बता दें अमेरिकी डॉलर कई करेंसी के मुकाबले आपने 14 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। अमेरिकी वायदा बाजार में सोने की कीमतें 1130 डॉलर के करीब पहुंच गई हैं।

20 दिसंबर 2016

कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव

नए साल की छुटि्टयों से पहले पोजीशन कटने के कारण आज कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव देखा जा रहा है। हालांकि उत्पादन कटौती के कारण सप्लाई में कमी की आशंका बनी हुई है जिससे कच्चे तेल की कीमतों में ज्यादा गिरावट नहीं है। ब्रेंट करीब 54 डॉलर के पास कारोबार कर रहा है। जबकि नायमेक्स में क्रूड करीब 0.25 फीसदी टूटा है। हालांकि सोने में लगभग सपाट कारोबार हो रहा है। अगले साल अमेरिका में दरें और बढ़ने की संभावना से सोने पर दबाव है। सोने के उलट चांदी में तेजी के साथ कारोबार हो रहा है। निचले स्तरों पर खरीदारी से चांदी को सपोर्ट मिल रहा है। कॉमेक्स पर इसके दाम करीब 0.25 फीसदी बढ़े हैं। बेस मेटल्स में आज भी बिकवाली का दबाव देखा जा रहा है। चीन में कॉपर वायदा 2 फीसदी से ज्यादा टूटा है। कॉपर का स्टॉक बढ़ने से कीमतों पर दबाव है। जिंक में भी भारी बिकवाली दिख रही है।

19 दिसंबर 2016

मक्रर सक्रांति के बाद गुड़ की कीमतों में आयेगी गिरावट

आर एस राणा
नई दिल्ली। इस समय गुड़ में सर्दियों के साथ ही मक्रर सक्रांति की मांग अच्छी बनी हुई है जिससे भाव भी तेज हैं, लेकिन मक्रर सक्रांति के बाद गुड़ में मांग कम हो जायेगी, जिससे इसकी कीमतों में 50 से 75 रुपये प्रति मन (एक मन-40 किलो) की गिरावट आने का अनुमान है।
प्रमुख उत्पादक मंडी मुज्जरफरनगर में इस समय गुड़ की दैनिक आवक 6,000 से 7,000 मन की हो रही है, तथा चालू सीजन में राज्य द्वारा गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) में की की गई बढ़ोतरी के कारण कोल्हू संचालकों को गन्ने के ज्यादा दाम चुकाने पड़ रहे हैं। हालांकि इस समय खपत राज्यों की मांग भी बराबर बनी हुई है, लेकिन मक्रर सक्रांति के बाद गुड़ में मांग कम हो जायेगी, जिससे भाव में गिरावट आयेगी। मुज्जफ्रनगर मंडी में खुरपापाड़ गुड़ के भाव 1,080 से 1,100 रुपये, लड्डू के भाव 1,180 से 1,200 रुपये, चाकू के भाव 1,120 से 1,180 रुपये और खक्कर पाउडर के भाव 1,200 से 1,210 रुपये तथा रसकट के भाव 1,000 रुपये प्रति 40 किलो चल रहे हैं।
चालू फसल सीजन में उत्तर प्रदेष को छोड़ अन्य राज्यों में गन्ने की पैदावार कम होने का अनुमान है, ऐसे में गुड़ का उत्पादन भी 15 से 20 फीसदी कम होने की आषंका है। हालांकि उत्तर प्रदेष में गुड़ का उत्पादन पिछले साल से ज्यादा ही होगा। इस समय किसान गेहूं के लिए खेत खाली कर रहे हैं, इसलिए कोल्हू संचालकों को गन्ना ज्यादा मिल रहा है।...........आर एस राणा

कपास की आवक कम होने का असर निर्यात पर

आर एस राणा
नई दिल्ली। नोट बंदी के कारण कपास की दैनिक आवक उत्पादक मंडियों में सामान्य से कम हो रही है, जिसका असर इसके निर्यात पर पड़ रहा है। चालू फसल सीजन पहली अक्टूबर से मध्य दिसंबर तक करीब 22 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास के निर्यात सौदे हुए हैं लेकिन उत्पादक राज्यों की मंडियों में कपास की दैनिक आवक कम होने के कारण अभी तक केवल 5 लाख गांठ कपास की ही षिपमेंट हो पाई है।
जानकारों के अनुसार कपास निर्यात मुख्यतः अक्टूबर से मार्च के दौरान ही ज्यादा होता है, तथा पहले 60 लाख गांठ कपास के निर्यात का अनुमान था लेकिन जिस तरह आवक कम हो रही है उससे लगता है कि निर्यात 45 लाख गांठ का ही हो पायेगा। पिछले साल भारत से सबसे ज्यादा कपास का आयात पाकिस्तान ने 25 लाख गांठ का निर्यात था, जबकि चालू फसल सीजन में पाकिस्तान में कपास की पैदावार हुई है, ऐसे में पाकिस्तान द्वारा केवल 7 से 8 लाख गांठ कपास के आयात की ही संभावना है। पिछले साल अक्टूबर से दिसंबर के दौरान कुल 30 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ था, जिसमें से 15 लाख गांठ का आयात पाकिस्तान ने किया था।
नोटबंदी के बाद से मंडियों में कपास की आवक पिछले साल की तुलना में 25 से 30 फीसदी कम हो रही है। पिछले साल इन दिनों में औसतन कपास की दैनिक आवक 2 लाख गांठ से ज्यादा की हो रही थी, जबकि चालू सीजन में आवक 1.40 से 1.50 लाख गांठ की हो रही है। हालांकि अब किसान चैक से भुगतान ले रहे हैं, ऐसे में आगामी दिनों में दैनिक आवक बढ़ने का अुनमान है।
आगे कपास की दैनिक आवक बढ़ने पर मौजूदा भाव में भी कमी आने की आषंका है, क्योंकि चालू खरीफ में जहां कपास की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है, वहीं कपास का निर्यात पिछले साल की तुलना में कम रहेगा। इस समय कपास के भाव 38,500 से 39,200 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) चल रहे हैं तथा इन भाव में 1,000 से 1,500 प्रति कैंडी की कमी आ सकती है।...........आर एस राणा

उत्पादन में कटौती पर सहमति से कच्चे तेल में तेजी

बड़े तेल उत्पादक देशों के उत्पादन में कटौती पर सहमति से कच्चे तेल में तेजी देखी जा रही है। ब्रेंट क्रूड में 0.5 फीसदी की तेजी है। वहीं नायमेक्स में कच्चे तेल के दाम 52 डॉलर के ऊपर हैं। ओपेक के साथ ही रूस की अगुवाई में गैरओपेक देश उत्पादन में करीब 18 लाख बैरल की कटौती करने वाले हैं। रूस की सभी तेल कंपनियों ने कटौती के लक्ष्य तय कर लिए हैं इससे भी क्रूड को मजबूती मिल रही है। सोने में भी आज सुधार देखा जा रहा है। अमेरिका और चीन के बीच साउथ चायना सी पर विवाद से सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने में खरीदारी आई है। कॉमेक्स में सोना 0.25 फीसदी से ज्यादा बढ़ा है। चांदी में भी तेजी के साथ कारोबार हो रहा है। कॉमेक्स पर इसके दाम 0.25 फीसदी की बढ़त देखी जा रही है। हालांकि बेस मेटल्स में मुनाफावसूली के कारण दबाव देखा जा रहा है। लंदन मेटल एक्सचेंज में कॉपर के दाम गिरकर साढ़े 3 हफ्ते के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। एग्री कमोडिटीज की बात करें ते मलेशिया में उत्पादन कम होने की आशंका से पॉम तेल की कीमतों में तेजी देखी जा रही है।

17 दिसंबर 2016

एग्री कमोडिटी में आगे की रणनीति कैसे बनाए

एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे
एग्री जिंसों के अलावा किराना में हल्दी, जीरा, धनिया, लालमिर्च, बादाम, पिस्ता, इलायची, कालीमिर्च आदि की जानकारी भी हिंदी में ई-मेल के माध्यम से दी जायेगी। हमें ई-मेल करे या फिर फोन पर संपक करें।

............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........

आर एस राणा
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हल्दी की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान, भाव में मंदे की उम्मीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू सीजन में बुवाई में हुई बढ़ोतरी से हल्दी की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है, जबकि इस समय उत्पादक मंडियों में बकाया स्टॉक भी खपत से ज्यादा बचा हुआ है। ऐसे में आगामी दिनों में हल्दी की कीमतों में गिरावट ही आने का अनुमान है। निजामाबाद मंडी में हल्दी के भाव 7,800 रुपये और इरोड़ मंडी में 7,700 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। हल्दी की नई फसल की आवक का दबाव उत्पादक मंडियों में फरवरी में बनेगा।
चालू सीजन में हल्दी की बुवाई प्रमुख उत्पादक राज्य तेलंगाना में 45,638 हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई केवल 42,535 हैक्टेयर में ही हुई थी। सामान्यतः तेलंगाना में हल्दी की बुवाई 48,083 हैक्टेयर में होती है। उधर आंध्रप्रदेष में चालू सीजन में हल्दी की बुवाई 16,781 हैक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 15,413 हैक्टेयर में होती है। आंध्रप्रदेष में सामान्यतः हल्दी की बुवाई 19,059 हैक्टेयर में होती है।
तेलंगाना और आंध्रप्रदेष के अलवा महाराष्ट्र और कर्नाटका में हल्दी की बुवाई ज्यादा हुई है, साथ ही अभी तक मौसम भी फसल के अनुकूल है, ऐसे में चालू सीजन में हल्दी की पैदावार पिछले साल से ज्यादा ही होने का अनुमान है, इसका असर हल्दी की कीमतों पर पड़ेगा, और आगे भाव में गिरावट ही आने का अनुमान है। फसल सीजन 2015-16 में हल्दी की कुल बुवाई 1.90 लाख हैक्टेयर में हुई थी, जबकि पैदावार 8,43,530 टन की हुई थी।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान हल्दी का निर्यात 27 फीसदी बढ़कर 58,233 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 51,147 टन का ही हुआ था। विश्व बाजार में इस समय हल्दी का भाव 3.31 डॉलर प्रति किलो है, जोकि पिछले साल के लगभग बराबर ही है।.............आर एस राणा

चना के साथ ही अरहर का आयात ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चना के साथ ही अरहर का आयात ज्यादा मात्रा में हो रहा है। नवंासेवा बंदरगाह पर 16 दिसंबर को 269 केंटेनर दलहन के पहुंचे हैं, जिनमें 40 फीसदी कंटेनर अरहर के तंजानिया, मालावी और मौजाम्बिक से आए हैं। इसमें 114 कंटेनर चना के आस्ट्रेलिया और रुस से आए हैं। इसके अलावा मसूर के 15 कंटेनर कनाडा से आए हैं। सूत्रों के अनुसार अरहर के आयात सौदे जहां 750 से 755 डॉलर प्रति (सीएंडएफ) की दर से हुए थे, वहीं चना आयातित चना के आयात सौदे 950 से 960 डॉलर प्रति (सीएंडएफ) की दर से हुए थे।................आर एस राणा

सोया डीओसी का निर्यात नवंबर में बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। नवंबर महीने में सोया डीओसी का निर्यात बढ़कर 51,805 टन का हुआ है जबकि अक्टूबर महीने में इसका निर्यात केवल 3,177 टन का ही हुआ था। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान सोया डीओसी का कुल निर्यात 68,470 टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 55,889 टन का ही हुआ था।
जानकारों के अनुसार घरेलू बाजार सोया डीओसी की कीमतों में कीमतों में आई गिरावट से आगामी दिनों में इसके निर्यात में और बढ़ोतरी होने का अनुमान है। घरेलू बाजार में इंदौर में सोया डीओसी का भाव 23,500 रुपये और कोटा मंडी में भाव 24,000 रुपये प्रति टन चल रहे हैं। उत्पादक मंडियों में सोयाबीन के भाव 2,850 से 2,950 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि सोयाबीन की दैनिक आवक 3.5 से 4 लाख क्विंटल की हो रही है।
उद्योग के अनुसार चालू सीजन में सोयाबीन की पैदावार बढ़कर 100 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि यूएसडीए के अनुसार फसल सीजन 2016-17 में भारत में सोयाबीन की पैदावार 115 लाख टन होने का अनुमान है। माना जा रहा है कि घरेलू बाजार में सोयाबीन की उपलब्धता ज्यादा होने के कारण चालू फसल सीजन में सोया डीओसी का निर्यात पिछले दो साल की तुलना में ज्यादा होगा। भारतीय बंदरगाह पर सोया डीओसी के भाव नवंबर महीने में घरकर 367 डॉलर प्रति टन रहे, जबकि अक्टूबर महीने में इसके भाव 408 डॉलर प्रति टन थे। ............आर एस राणा

16 दिसंबर 2016

गेहूं की बुवाई 256 लाख हैक्टेयर के पार, दलहन और तिलहन की भी ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में गेहूं, के साथ ही दलहन और तिलहन की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, जबकि मोटे अनाजों के साथ ही धान की रौपाई पिछले साल की तुलना में पिछड़ रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी अभी तक देशभर में 519.27 लाख हैक्टेयर में फसलों की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 490.48 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई बढ़कर 256.19 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 239.45 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। रबी दहलन की बुवाई अभी तक 131.80 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 117.06 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई बढ़कर 86.90 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 76.95 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। मसूर की बुवाई भी बढ़कर चालू रबी में अभी तक 15.37 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 12.23 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। मटर की बुवाई भी चालू रबी में बढ़कर 9.22 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 6.83 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। मूंग और उड़द की बुवाई में चालू रबी में पिछले साल की तुलना में कमी आई है।
रबी तिलहनों की बुवाई चालू सीजन में अभी तक 74.31 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 69.53 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई 65.52 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 59.71 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 3.31 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 2.87 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
हालांकि मोटे अनाजों की बुवाई अभी भी पिछे चल रही है, अभी तक देषभर में केवल 48.53 लाख हैक्टेयर में ही मोटे अनाजों की बुवाई हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 52.51 लाख हैक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी। मोटे अनाजों में सबसे ज्यादा कमी ज्वार की बुवाई में आई है। ज्वार की बुवाई चालू रबी में अभी तक केवल 29.99 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 35.42 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। रबी मक्का की बुवाई भी चालू सीजन में अभी तक 11.05 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 10.26 लख हैक्टेयर में इसकी बुवाई हुई थी। जौ की बुवाई चालू रबी में 7.08 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 6.29 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। धान की रोपाई चालू रबी में अभी तक केवल 8.44 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 11.94 लाख हैक्टेयर में धान की रोपाई हो चुकी थी।.............आर एस राणा

चालू पेराई सीजन में 11 फीसदी चीनी का उत्पादन ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन 2016-17 में पहली अक्टूबर से 15 दिसंबर 2016 तक देशभर में चीनी का उत्पादन 11 फीसदी बढ़कर 53.29 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 47.93 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। इस समय पूरे देष में 440 चीनी मिलों में पेराई चल रही है।
सबसे बड़े चीनी उत्पादन राज्य महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर से 15 दिसंबर तक 17.25 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 22.50 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था। चालू सीजन में राज्य में अभी तक केवल 144 चीनी मिलों में ही पेराई चल रही है जबकि पिछले साल इस समय तक 164 चीनी मिलों में पेराई चल रही थी।
उत्तर प्रदेष में चालू पेराई सीजन में 15 दिसंबर तक 17.66 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 8.52 लाख टन चीनी का उत्पादन ही हुआ था। उधर कर्नाटका में चालू पेराई सीजन में अभी तक 11 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 0.71 लाख टन ज्यादा है। अन्य राज्यों में गुजरात में 2.40 लाख टन, आंध्रप्रदेष और तेलंगाना में एक लाख टन, तमिलनाडु में 0.75 लाख टन, बिहार में 0.75 लाख टन, पंजाब में 0.45 लाख टन, हरियाणा में 0.70 लाख टन और मध्य प्रदेष में भी 0.75 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है।
इस्मा के अनुसार चीनी की एक्स फैक्ट्री कीमतों में चालू पेराई सीजन में अभी तक 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। चीनी में बड़ी खपत कंपनियों की मांग कमजोर बनी हुई है, क्योंकि बाजार में नकदी का प्रवाह नहीं बढ़ रहा है। चालू पेराई सीजन में अक्टूबर से अभी तक चीनी की बिक्री में काफी कमी आई है।
इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी की सालाना खपत 255 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 248 लाख टन चीनी की खपत हुई थी। .............आर एस राणा

डॉलर 14 साल की ऊंचाई पर

सोना इस साल की बढ़त कमोबेश गंवा चुका है। जुलाई तक करीब 30 फीसदी रिटर्न देने वाले सोना अब जनवरी के मुकाबले मुश्किल से 6 फीसदी ऊपर रह गया है। अमेरिका में ट्रंप की जीत और उसके बाद ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद सोना करीब 12 फीसदी लुढक गया है। कल इसमें भारी गिरावट आई थी। हालांकि आज ये संभलने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद कॉमैक्स पर ये 1130 डॉलर के आसपास है। जो पिछले 11 महीने का निचला स्तर है। चांदी में भी कल भारी गिरावट के बाद आज हल्की रिकवरी है। दरअसल डॉलर 14 साल की ऊंचाई पर चला गया है। वहीं सोने की मांग में भारी कमी आई है। ऐसे में इसकी कीमतों पर दबाव बढ़जा जा रहा है। इस बीच कच्चे तेल में कल की गिरावट के बाद आज रिकवरी आई है। अमेरिका में आज हाउसिंग डाटा आने वाला है। इससे पहले ब्रेंट फिर से 54 डॉलर के ऊपर चला गया है। वहीं डॉलर के मुकाबले आज रुपये में बेहद छोटे दायरे में कारोबार हो रहा है।

15 दिसंबर 2016

कनाडा में मटर और मसूर की रिकार्ड पैदावार का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2016-17 में कनाडा में मटर के साथ ही मसूर की रिकार्ड पैदावार होने का अनुमान है। हाल ही में जारी कनाडा के कृषि मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार फसल सीजन 2016-17 में मटर की पैदावार बढ़कर 48 लाख टन होने का अनुमान है, जोकि फसल सीजन 2013-14 की रिकार्ड पैदावार से 10 लाख टन ज्यादा है।
इसी तरह से कनाडा में चालू फसल सीजन 2016-17 में मसूर की पैदावार 32 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार 25 लाख टन की हुई थी।.............आर एस राणा

विष्व में सोयाबीन की पैदावार ज्यादा-यूएसडीए

आर एस राणा
नई दिल्ली। विष्व में चालू फसल सीजन 2016-17 में सोयाबीन की पैदावार 338 मिलियन टन होने का अनुमान है। यूनाईटेड स्टेट डिपार्टमेंट आफ एग्रीकल्चर (यूएसडीए) के अनुसार फसल सीजन 2015-16 में विष्वभर में सोयाबीन की पैदावार 313 मिलियन टन की हुई थी।
यूएसडीए के अनुसार भारत और कनाडा में पैदावार ज्यादा होने से दिसंबर महीने के आंकलन के अनुसार विष्वभर में सोयाबीन की पैदावार 338 मिलियन टन होने का अनुमान है, जबकि नवंबर महीने में 336 मिलियन टन सोयाबीन के उत्पादन का अनुमान था। भारत में पहले सोयाबीन के उत्पादन का अनुमान 108 लाख टन का था, जबकि ताजा अनुमान के अनुसार भारत में पैदावार 115 लाख टन होने का अनुमान है।
अमेरिका में सोयाबीन की पैदावार फसल सीजन 2016-17 में 119 मिलियन टन, ब्राजील में 102 मिलियन टन और अर्जेटीना में 57 मिलियन टन होने का अनुमान है। इसके अलावा चीन में 13 मिलियन टन, पैरागेवे में 9 मिलियन टन और कनाडा में 6 मिलियन टन तथा अन्य देषों में 21 मिलियन टन सोयाबीन की पैदावार का अनुमान है।
चालू फसल सीजन में सोयाबीन का निर्यात विष्व भर में 5.53 फीसदी बढ़कर 139.3 मिलियन टन होने का अनुमान है। अमेरिका के साथ ही ब्राजील और अर्जेटीना विष्व के सबसे बड़े सोयाबीन निर्यातक देष हैं, जबकि चीन, यूरोपीय यूनियन (ईयू) और मैक्सिको सबसे ज्यादा आतात करते हैं। इसके अलावा ईरान, ताईवान और इंडोनेषिया भी आयात करते हैं, तथा चालू फसल सीजन में इनके द्वारा भी आयात ज्यादा किए जाने का अनुमान है।
यूएसडीए के अनुसार भारत में सोयाबीन का उत्पादन 115 लाख टन होने का अनुमान है, जोकि पिछले साल के 71 लाख टन की तुलना में 61 फीसदी ज्यादा है। सोयाबीन की पैदावार ज्यादा होने के कारण आगामी महीनों में खाद्य तेलों का आयात पिछले साल की तुलना में कम होने का अनुमान है। ............आर एस राणा

सोने में भारी गिरावट

ग्लोबल मार्केट में सोने में भारी गिरावट आई है और कॉमैक्स पर इसका दाम पिछले 11 महीने के निचले स्तर पर आ गया है। फिलहाल इसका दाम 1140 डॉलर के स्तर पर आ गया है। दरअसल अमेरिका में फेडरल रिजर्व ने ब्याज ब्याज दर 0.25 फीसदी बढ़ा दी है। साथ ही अगले साल भी कम से कम 3 बार ब्याज दरें बढ़ाने का संकेत दिया है। ऐसे में डॉलर 14 साल की ऊंचाई पर चला गया है। वहीं दुनिया के सबसे बड़े गोल्ड ईटीएफ-एसपीडीआर गोल्ड फंड की होल्डिंग गिरकर 850 टन के नीचे आ गई है। ऐसे में सोने पर दबाव बढ़ता जा रहा है। वहीं चांदी में भी गिरावट आई है। साथ ही डॉलर में आई बढ़त से कच्चे तेल पर भी दबाव है। ओपेक का उत्पादन बढ़ने से भी क्रूड की कीमतों पर असर पड़ा है। हालांकि लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर हल्की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है। जबकि डॉलर में आई बढ़त से रुपया करीब 0.5 फीसदी कमजोर हो गया है।

14 दिसंबर 2016

कमजोर निर्यात मांग से कपास की कीमतों में और गिरावट की उम्मीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। कपास में निर्यातकों की मांग कमजोर होने से मौजूदा भाव में और भी 1,000 से 1,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) की गिरावट आने का अनुमान है। गुजरात की अहमदाबाद मंडी में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव 38,000 से 39,000 रुपये प्रति कैंडी चल रहा है जबकि सभी उत्पादक राज्यों को मिलाकर कुल दैनिक आवक करीब 1.40 से 1.50 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) की हो रही है। माना जा रहा है कि आगामी दिनों में उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक में और बढ़ोतरी होगी।
पहली अक्टूबर 2016 से चालू हुए सीजन में 27 नवंबर 2016 तक कपास की कुल आवक 45.43 लाख गांठ की ही हुई है, जोकि पिछले साल की तुलना में कम है। नवंबर महीने में कुल आवक 34 लाख गांठ की हुई है। चालू सीजन में अभी तक कपास का निर्यात केवल 10 से 12 लाख गांठ का ही हुआ है जोकि पिछले साल की तुलना में करीब 35 फीसदी कम है। माना जा रहा है कि चालू फसल सीजन 2016-17 में पाकिस्तान द्वारा केवल 7 से 8 लाख गांठ कपास का आयात किया जायेगा, जबकि पिछले सीजन में पाकिस्तान ने 25 लाख गांठ कपास का आयात किया था। चालू सीजन में पाकिस्तान में कपास की पैदावार पिछले साल की तुलना में ज्यादा हुई है, इसलिए वहां उपलब्धता ज्यादा है।
निर्यातकों के अनुसार चालू फसल सीजन 2016-17 में कपास का निर्यात घटकर 50 लाख गांठ के करीब ही होने का अनुमान है जोकि पिछले साल की तुलना में कम होगा। कॉटन एसोसिएषन ऑफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार चालू सीजन में कपास की पैदावार 356 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार कपास की पैदावार 321.2 लाख गांठ होने का अनुमान है।............आर एस राणा

कॉमैक्स पर सोने में 1160 डॉलर के पास

अमेरिका में ब्याज दरों पर फेडरल रिजर्व आज अपना फैसला देगा। माना ये जा रहा है कि इस बार ब्याज दरें बढ़नी तय हैं और इससे पहले सोना और चांदी लगातार छोटे दायरे में सिमटे हुए हैं। इस पूरे हफ्ते के दौरान सोना मुश्किल से 5 डॉलर के दायरे में घुमता नजर आया है। इसमें बेहद सुस्त कारोबार हो रहा है। हालांकि आज ये हल्की बढ़त बनाने में कामयाब रहा है और कॉमैक्स पर सोने में 1160 डॉलर के पास कारोबार हो रहा है। उधर कच्चे तेल में गिरावट बढ़ गई है। अमेरिका में भंडार बढ़ने के अनुमान से कीमतों पर दबाव है। नायमैक्स पर क्रूड का दाम करीब 1 फीसदी गिरकर 53 डॉलर के नीचे आ गया हे। वहीं ब्रेंट में भी 1 फीसदी नीचे कारोबार हो रहा है। इस बीस इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने कहा है कि नवंबर के दौरान दुनिया में क्रूड की सप्लाई 9.82 करोड़ बैरल के स्तर पर पहुंच चुकी है। जबकि इस दौरान मांग 9.7 करोड़ बैरल ही रही है। ऐसे में ओवर सप्लाई की स्थिति लगातार बनी हुई है। इस बीच डॉलर के मुकाबले रुपये में हल्की मजबूती है।

नवंबर में खाद्य तेलों का आयात 12 फीसदी घटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। खरीफ में तिलहन की बंपर पैदावार से खाद्य तेलों की उपलब्धता ज्यादा होने के अनुमान से आयातकों द्वारा नवंबर महीने में खाद्य तेलों के आयात सौदे कम मात्रा में किए गए हैं। इसीलिए नवंबर महीनें खाद्य तेलों का आयात 12 फीसदी घटकर 1,175,464 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल नवंबर महीने में 1,155,863 टन खाद्य तेलों का आयात किया गया था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएषन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार पहली दिसंबर को बंदरगाहों पर खाद्य तेलों का स्टॉक 655,000 का है। इसमें सीपीओ 220,000 टन के अलावा आरबीडी पामोलीन का स्टॉक 150,000 टन का है। इसके अलावा सोयाबीन डीगम का 180,000 टन, क्रुड सनफलावल तेल का 90,000 टन और सरसों (कनोला तेल) का 15,000 टन का स्टॉक है।
अक्टूबर के मुकाबले नवंबर महीने में आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। आयातित आरबीडी पामोलीन का भाव भारतीय बंदरगाह पर अक्टूबर महीने में जहां 709 डॉलर प्रति टन का था, वहीं नवंबर महीने में इसका भाव बढ़कर 729 डॉलर प्रति टन हो गया। इसी तरह से क्रुड पॉम तेल का भाव नवंबर महीने में बढ़कर 729 डॉलर प्रति टन हो गया जबकि अक्टूबर महीने में इसका भाव 704 डॉलर प्रति टन था। क्रुड सोयाबीन तेल का भाव जहां अक्टूबर महीने में 827 डॉलर प्रति टन था, वहीं नवंबर में इसका भाव बढ़कर भारतीय बंदरगाह पर 844 डॉलर प्रति टन हो गया। आरबीडी पामोलीन और क्रुड पाम तेल की कीमतों में अंतर नहीं होने के कारण आयातक आरबीडी पामोलीन का आयात ज्यादा मात्रा में कर रहे हैं।......आर एस राणा

13 दिसंबर 2016

दलहन पर स्टॉक लिमिट हटाने की मांग

आर एस राणा
नई दिल्ली। इंडियन पल्सेज एंड ग्रेन एसोसिएषन (आईपीजीए) ने केंद्र सरकार से आयातकों के साथ ही थोक विक्रेताओं और दाल मिलों पर लगी स्टॉक लिमिट को हटाने की मांग की है। आईपीजीए के अनुसार चालू खरीफ में दलहन की पैदावार ज्यादा हुई है, साथ ही रबी में भी इसकी बुवाई अभी तक बढ़ी है, इसलिए केंद्र सरकार के साथ ही राज्यों को भी दलहन पर लगी स्टॉक लिमिट को हटा देना चाहिए। इससे किसानों को भी फायदा होगा।
केंद्र सरकार ने दलहन की कीमतों को काबू करने के लिए सितंबर महीने में स्टॉक लिमिट लगाई थी, तथा स्टॉक लिमिट की अवधि 30 सितंबर 2017 तक है। आईपीजीए के अध्यक्ष ने कहां कि हमने वर्ष 2017-18 के लिए बजट पर केंद्र सरकार द्वारा मांगी गई राय में दलहन पर स्टॉक लिमिट हटाने का सुझाव दिया है। उन्होंने बताया कि सितंबर तक दिसंबर तक के दौरान करीब 30 लाख टन दलहन आयात होने का अनुमान है।.................आर एस राणा

सोना पिछले करीब 10 महीने के निचले स्तर पर

अमेरिका में आज से फेडरल रिजर्व की दो दिनों की बैठक शुरू होने जा रही है और इससे पहले सोने पर दबाव बढ़ गया है। ग्लोबल मार्केट में सोना पिछले करीब 10 महीने के निचले स्तर पर कारोबार कर रहा है। इस तिमाही के दौरान सोने में करीब 12 फीसदी की गिरावट आ चुकी है और पिछले 18 साल में सोने के लिए ये दूसरी सबसे खराब तिमाही साबित होने जा रही है। माना जा रहा है कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने के बाद सोने में गिरावट गहरा सकती है, इसीलिए गोल्ड ईटीएफ से लोग लगातार पैसा निकाल रहे हैं। सोने के साथ चांदी में भी कमजोरी है। वहीं कल की तेजी के बाद कच्चे तेल में भी आज कमजोर कारोबार हो रहा है। नायमैक्स पर क्रूड 53 डॉलर के नीचे है जबकि ब्रेंट में 56 डॉलर के नीचे कारोबार हो रहा है। इस बीच लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर में भी कमजोरी देखी जा रही है। वहीं डॉलर के मुकाबले रुपये में भी हल्की कमजोरी है।

12 दिसंबर 2016

भाव में आई कमी का असर मूंग की बुवाई पर

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक मंडियों में मूंग की कीमतों में आई गिरावट का असर चालू रबी में इसकी बुवाई पर पड़ा है। उत्पादक मंडियों में मूंग के भाव 4,500 से 4,800 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि खरीफ विपणन सीजन 2016-17 के लिए केंद्र सरकार मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,225 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में मूंग की बुवाई 9 दिसंबर 2016 तक केवल 1.72 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 2.23 लाख हैक्टेयर में हुई थी। मंत्रालय के अनुसार खरीफ 2016-17 के प्रारंभिक अनुमान के अनुसार मूंग का उत्पादन बढ़कर 13.5 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल खरीफ सीजन में इसकी पैदावार केवल 10.2 लाख टन की हुई थी।........आर एस राणा

कृषि मंत्रालय द्वारा जारी बुवाई आंकड़ों में की जा रही है हेराफेरी

मंत्रालय ने रबी मक्का के साथ ही धान और मूंगफली की बुवाई आंकड़े घटाए
आर एस राणा
नई दिल्ली। जैसे-जैसे दिन बीतते हैं उस हिसाब से रबी फसलों की बुवाई आंकड़ो में बढ़ोतरी होती है, यह बात तो हम सभी जानते हैं लेकिन अगर कृषि मंत्रालय बुवाई आंकड़ो में सप्ताह के बाद कमी दर तो क्या समझा जाये। मतलब साफ है कि बुवाई आंकड़ो की सत्यता पर ही सवाल उठना लाजिमी है। ऐसा ही किया है कृषि मंत्रालय ने, हाल ही में जारी रबी सीजन में हुई मक्का, धान और मूंगफली की बुवाई के आंकड़ों में।
कृषि मंत्रालय ने 2 दिसंबर 2016 को बुवाई आंकड़े जारी किए, जिसमें बताया गया कि 2 दिसंबर 2016 तक मक्का की बुवाई 10.15 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी जबकि रबी फसल सीजन 2015-16 की समान अवधि में 9.53 लाख हैक्टेयर में मक्का बुवाई होने की बात कही गई थी। इसके बाद 9 दिसंबर 2016 को मंत्रालय ने मक्का की बुवाई चालू रबी में तो कम की ही, साथ ही पिछले साल के बुवाई आंकड़े भी बदल दिए।
कृषि मंत्रालय ने 9 दिसंबर 2016 को मक्का के जो बुवाई आंकड़े जारी किए, उसके अनुसार मक्का की बुवाई केवल 8.99 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 8.63 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। होना तो यह चाहिए था कि 2 दिसंबर 2016 के बाद 9 दिसंबर 2016 को जारी किए गए आंकड़ो में मक्का की बुवाई में बढ़ोतरी हुई हो, लेकिन यहां तो उल्टा बुवाई कम हो गई।
इसी तरह से धान के रौपाई मंत्रालय द्वारा जारी 9 दिसंबर 2016 के अुनसार 8 लाख हैक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रौपाई 10.98 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी, जबकि मंत्रालय द्वारा जारी 2 दिसंबर 2016 को जो आंकड़े जारी किए थे, उसके अनुसार 2 दिसंबर 2016 तक धान की रौपाई 13.37 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रौपाई 14.84 लाख हैक्टेयर में होने के आंकड़े जारी किए गए थे।
इसी तरह से रबी मूंगफली की बुवाई मंत्रालय द्वारा जारी 2 दिसंबर 2016 के आंकड़ों के अनुसार 4.63 लाख हैक्टेयर में हो चुकी बताई गई, जबकि इसके पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 4.13 लाख हैक्टेयर में होने की बात कही गई, लेकिन 9 दिसंबर 2016 को जो आंकड़े जारी किए गए उसमें चालू रबी सीजन 2016-17 में मूंगफली की बुवाई केवल 3.15 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 2.34 लाख हैक्टेयर में ही हुई है।
चालू रबी में ज्वार के बुवाई आंकड़ो में भी गड़बड़ी हुई है, मंत्रालय के अनुसार 2 दिसंबर 2016 तक देषभर में 27.62 लाख हैक्टेयर में ज्वार की बुवाई हुई थी, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 35.12 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी, जबकि मंत्रालय द्वारा जारी 9 दिसंबर 2016 के अनुसार चालू रबी में ज्वार की बुवाई 29.32 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है तथा पिछले साल इस समय तक 34.58 लाख हैक्टेयर में ही मक्का की बुवाई होने के आंकड़े जारी किए है। अतः पिछले साल 2 दिसंबर तक जब 35.12 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी तो फिर 9 दिसंबर को घटकर 34.58 लाख हैक्टेयर में ही कैसे रह गई।............आर एस राणा

10 दिसंबर 2016

एग्री कमोडिटी में आगे की रणनीति कैसे बनाए

एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे
एग्री जिंसों के अलावा किराना में हल्दी, जीरा, धनिया, लालमिर्च, बादाम, पिस्ता, इलायची, कालीमिर्च आदि की जानकारी भी हिंदी में ई-मेल के माध्यम से दी जायेगी। हमें ई-मेल करे या फिर फोन पर संपक करें।

............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........

आर एस राणा
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09811470207

मिलों की मांग से धान की कीमतों में तेजी की संभावना

आर एस राणा
नई दिल्ली। इस समय चावल मिलों की अच्छी मांग से पूसा 1,121 बासमती धान के साथ ही डीपी, सुगंधा और 1,509 किस्म के धान की कीमतों में तेजी बनी हुई है। माना जा रहा है कि चालू फसल सीजन में धान की पैदावार में कमी आई है, साथ ही कई क्षेत्रों में फसल में बीमारी से नुकसान भी हुआ है। ऐसे में आगामी दिनों में इनकी मौजूदा कीमतों में और भी 4,00 से 5,00 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने का अनुमान है।
इस समय पूसा 1,121 बासमती चावल में निर्यात मांग अच्छी है, तथा उत्तर भारत की करीब 14 राइस मिलों से चीन के आयातकों ने आयात सौदे किए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि आगामी दिनों में चावल के निर्यात में और तेजी आयेगी। प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में पूसा 1,121 धान की कीमतें मंडियों में बढ़कर 2,500 से 2,600 रुपये, डीपी धान के भाव 2,350 से 2,425 रुपये और सुगंधा के भाव 2,250 से 2,300 रुपये तथा पूसा 1,509 धान के भाव 2,350 से 2,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। बासमती धान के मंडियों में 3,300 से 3,500 रुपये प्रति क्विंटल हैं।
धान की दैनिक आवक मंडियों में पिछले साल की तुलना में कम है, पिछले साल जहां इन दिनों दिल्ली की नरेला मंडी में धान की दैनिक आवक 2 लाख बोरी की हो रही थी, वहीं इस समय दैनिक आवक एक से सवा लाख बोरी की हो रही है। इस तरह से अन्य मंडियों में भी दैनिक आवक पिछले साल की तुलना में काफी कम है।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान जहां मूल्य के हिसाब से बासमती चावल के निर्यात में कमी आई है, वहीं गैर-बासमती चावल का निर्यात मूल्य के हिसाब से बढ़ा है। हालांकि चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में मात्रा के हिसाब से बासमती चावल के साथ ही गैर-बासमती चावल के निर्यात में भी बढ़ोतरी हुई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार अप्रैल से अक्टूबर के दौरान मूल्य के हिसाब से बासमती चावल का निर्यात 12,164.61 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 14,015.04 करोड़ रुपये का हुआ था। गैर बासमती चावल का निर्यात अप्रैल से अक्टूबर के दौरान मूल्य के हिसाब से 3.14 फीसदी बढ़कर 9,588.79 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 9,296.90 करोड़ रुपये का हुआ था।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान 17.75 लाख टन चावल का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 16.78 लाख टन का निर्यात हुआ था। वहीं गैर बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष 2016-17 के अप्रैल से अगस्त के दौरान बढ़कर 30.08 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 29.83 लाख टन का हुआ था।...........आर एस राणा

गुजरात में जीरा की बुवाई बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू सीजन में उंचे भाव होने के कारण गुजतरा में जीरा की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है। राज्य के कृषि निदेषालय के अनुसार राज्य में जीरा की बुवाई बढ़कर 1,80,300 हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 1,27,600 हैक्टेयर में ही हुई थी। गुजरात में जीरा की बुवाई सामान्यतः 3,39,000 हैक्टेयर में होती है।
जानकारों के अनुसार गुजरात में तो जीरा की बुवाई चालू सीजन में पिछले साल से ज्यादा होने का अनुमान है लेकिन राजस्थान में बुवाई में 8 से 10 फीसदी की कमी आने की आषंका है। उंझा मंडी में आज जीरा का भाव 3,100 से 3,700 रुपये प्रति 20 किलो रहा, जबकि दैनिक आवक 1,500 बोरी की हुई जबकि दैनिक सौदे करीब 2,400 बोरी के हुए। इस समय जीरा में निर्यात मांग अच्छी है तथा नई फसल आने में अभी काफी समय है, इसलिए भाव में और भी तेजी आने का अनुमान है।
चालू वित्त वर्ष वर्ष 2016-17 की पहली छमाही अप्रैल से सिंतबर में जीरा का निर्यात 51 फीसदी बढ़कर 70,809 टन का हुआ है। हालांकि सितंबर में जीरा के निर्यात में कमी आई थी। सितंबर महीने में कुल 7,012 टन जीरा का ही निर्यात हुआ था जोकि पिछले साल के सितंबर महीने की तुलना में 8.84 फीसदी कम था। इस समय विष्व बाजार में भारतीय जीरा का भाव 3.70 डॉलर प्रति किलो है जबकि पिछले महीने इसका भाव 3.53 डॉलर प्रति किलो था।..............आर एस राणा

09 दिसंबर 2016

गेहूं की बुवाई 225 लाख हैक्टेयर के पार, दलहन और तिलहन की भी ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में जहां गेहूं की बुवाई बढ़कर 225 लाख हैक्टेयर से ज्यादा हो गई है, जोकि पिछले साल की तुलना में ज्यादा है, लेकिन औसतन बुवाई में कमी आई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में अभी तक गेहूं की बुवाई बढ़कर 225.63 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 202.28 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। हालांकि सामान्यतः 9 दिसंबर तक औसतन गेहूं की बुवाई 230.76 लाख हैक्टेयर में हो जाती है।
चालू रबी में जहां दलहन और तिलहनों की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है वहीं मोटे अनाजों के साथ ही धान की रोपाई अभी भी पिछे चल रही है। मंत्रालय के अनुसार चालू रबी अभी तक देषभर में 472.43 लाख हैक्टेयर में फसलों की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 438.90 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
रबी दहलन की बुवाई अभी तक 121.74 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 110.80 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई बढ़कर 80.87 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 74.06 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। मसूर की बुवाई भी बढ़कर चालू रबी में अभी तक 13.96 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 11.37 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।
रबी तिलहनों की बुवाई चालू सीजन में अभी तक 72.23 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 65.71 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई 64.20 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 57.27 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 3.15 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 2.34 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
हालांकि मोटे अनाजों की बुवाई अभी भी पिछे चल रही है, अभी तक देषभर में केवल 44.83 लाख हैक्टेयर में ही मोटे अनाजों की बुवाई हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 49.13 लाख हैक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी। मोटे अनाजों में सबसे ज्यादा कमी ज्वार की बुवाई में आई है। ज्वार की बुवाई चालू रबी में अभी तक केवल 29.32 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 34.58 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। रबी मक्का की बुवाई भी चालू सीजन में अभी तक 8.99 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 8.63 लख हैक्टेयर में इसकी बुवाई हुई थी। जौ की बुवाई चालू रबी में 6.19 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 5.39 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। धान की रोपाई चालू रबी में अभी तक केवल 8 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 10.98 लाख हैक्टेयर में धान की रोपाई हो चुकी थी।...........आर एस राणा

ग्लोबल मार्केट में सोने पर दबाव

डॉलर में उछाल से सोना दबाव में आ गया है और ग्लोबल मार्केट में सोने पर दबाव बढ़ गया है। कॉमैक्स पर सोना करीब 1165 डॉलर आसपास कारोबार कर रहा है। चांदी में सोने से ज्यादा गिरावट आई है। इसका दाम फिर से 17 डॉलर के नीचे आ गया है। दरअसल डॉलर में फिर से बढ़त देखने को मिली है और डॉलर इंडेक्स दोबारा 101 के पार चला गया है। ऐसे में ग्लोबल मार्केट में कमोडिटी की कीमतों पर दबाव बढ़ गया है। कल की बढ़त के बाद कच्चे तेल में भी अब दबाव शुरू हो गया है। ब्रेंट में गिरावट देखी जा रही है। लंदन मेटल एक्सचेंज पर बेस मेटल्स में बेहद छोटे दायरे में कारोबार हो रहा है। इस बीच डॉलर के मुकाबले रुपये में आज कमजोरी बढ़ गई है। घरेलू बाजार में रुपया करीब 0.5 फीसदी की कमजोरी के साथ कारोबार कर रहा है। 1 डॉलर की कीमत 67.60 रुपये के स्तर पर पहुंच गई है। गौर करने वाली बात ये है कि कल रुपया 1 महीने के ऊपरी स्तर पर चला गया था।

27 लाख टन दलहन का हो चुका है आयात, भाव में गिरावट की उम्मीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान 27.48 लाख टन दलहन का आयात हो चुका है। पिछले वित्त वर्ष 2015-16 में कुल आयात 57.97 लाख टन का हुआ था।
खाद्य मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष में कुल दलहन के आयात में पिछले साल की तुलना में कमी आयेगी, क्योंकि फसल सीजन 2015-16 में खरीफ और रबी को मिलाकर दालों की कुल पैदावार 200 लाख टन होने का अनुमान है। ऐसे में अगर 40 लाख टन दालों का आयात होता है, तो कुल उपलब्धता 240 लाख टन की होगी, जबकि देष में सालाना दालों की खपत 220 से 225 लाख टन की ही होती है। कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ में दलहन की पैदावार 87 लाख टन होने का अनुमान है जबकि रबी में 130 लाख टन होने का अनुमान है। चालू रबी में चना की बुवाई में जहां 36 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, वहीं मसूर की बुवाई भी अभी तक 13 फीसदी ज्यादा है।
जानकारों के अनुसार दिसंबर में दलहन का आयात ज्यादा मात्रा में होगा, लेकिन आगे जनवरी से दलहन के आयात के सौदों में कमी आ सकती है। इसलिए आगामी दिनों में सभी दलहन चना, अरहर, मसूर और उड़द तथा मटर के साथ ही मूंग की कीमतों पर दबाव रहेगा।
सार्वजनिक कंपनियां एमएसटीसी और एसटीसी अभी तक 4.06 लाख टन दलहन के आसात सौदे कर चुकी हैं, तथा इसमें से 81,985 टन दलहन का आयात भी हो चुका है। यह दलहन केंद्र सरकार 20 लाख टन बफर स्टॉक के लिए आयात कर रही है, तथा इसमें से जहां 10 लाख टन दलहन की खरीद घरेलू मंडियों से की जायेगी, वहीं 10 लाख टन का आयात किया जायेगा।..............आर एस राणा

08 दिसंबर 2016

नवंबर में मक्का का निर्यात बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। नवंबर महीने में मक्का का निर्यात बढ़कर 12,801 टन का हुआ है जबकि अक्टूबर महीने में इसका निर्यात केवल 8,929 टन का ही हुआ था। नवंबर महीने में मक्का के निर्यात सौदे 259.85 डॉलर प्रति टन (एफओबी) की दर से हुए है। जानकारों के अनुसार इस दौरान मक्का का निर्यात नेपाल और यमन को डिपलोमेटिक आधार पर ही हुआ है।
स्टॉकिस्टों की मांग नहीं आने के कारण इस समय मक्का में मांग कमजोर है, जबकि नकदी की कमी के कारण उत्पादक मंडियों में मक्का की दैनिक भी आवक कम है। इसीलिए भाव लगभग स्थिर से बने हुए हैं। माना जा रहा है कि आगे जैसे ही दैनिक आवक बढ़ेगी, भाव में गिरावट ही आने का अनुमान है। चालू खरीफ में जहां मक्का की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है, वहीं विष्व बाजार में भाव कम होने के कारण मक्का का निर्यात भी सीमित मात्रा में ही हो पा रहा है।.............आर एस राणा

चीनी का निर्यात बढ़ा, आयात घटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। नवंबर महीने में जहां चीनी के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है, वहीं आयात में कमी आई है। नवंबर महीने में चीनी का निर्यात 66 फीसदी बढ़कर 0.99 लाख टन का हुआ है जबकि अक्टूबर महीने में इसका निर्यात 0.60 लाख टन का ही हुआ था।
दूसरी तरफ नवंबर महीने में चीनी का आयात घटकर 2.90 लाख टन (रॉ-षुगर) का हुआ है जबकि अक्टूर महीने में चीनी का आयात 3.76 लाख टन का हुआ था। इस समय विष्व बाजार में चीनी के भावों में चीनी के जहां निर्यात के पड़ते नहीं है, वहीं आयात भी केवल टन टू टन के आधार पर ही हो रहा है। टन टू टन के आधार पर रॉ-षुगर का आयात करके उसे व्हाईट चीनी में बदलकर निर्यात करना अनिवार्य होता है। वर्तमान में चीनी का निर्यात पहले के हुए सौदों का ही हो रहा है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान मूल्य के हिसाब से चीनी के निर्यात में 22.05 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 4,842.75 करोड़ रुपये की हुई है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 3,967.90 करोड़ रुपये मूल्य का चीनी का निर्यात हुआ था।.............आर एस राणा

गेहूं पर आयात षुल्क षून्य किय

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गेहूं के आयात पर 10 फीसदी आयात षुल्क को षून्य कर दिया है। सूत्रों के अनुसार इस बाबत जल्दी ही अधिसूचना जारी की जायेगी। गेहूं के आयात षुल्क को षून्य करने से घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतों में हल्की नरमी आने का अनुमान है। दक्षिण भारत की मंडियों में गुरुवार को गेहूं के भाव में 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है, लेकिन दिल्ली में भाव 2,150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
उत्तर भारत के राज्यों में गुरुवार को गेहूं की निविदा भारी जायेगी, माना जा रहा है कि निविदा में भाव कुछ कम हो सकते हैं। जानकारों के अनुसार गेहूं के आयात षुल्क को षून्य करने का असर उत्तर भारत के राज्यों में गेहूं की कीमतों पर ज्यादा नहीं पड़ेगा, यहां गेहूं के भाव में एफसीआई द्वारा निविदा की मात्रा में बढ़ोतरी करने के बाद ही गिरावट आ सकती है। मालूम हो कि इससे पहले सितंबर में केंद्र सरकार ने गेहूं के आयात षुल्क को 25 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी किया था।.........आर एस राणा

कच्चे तेल में तेज गिरावट

घरेलू बाजार में कच्चे तेल में तेज गिरावट आई है। दरअसल नायमैक्स पर क्रूड का दाम 50 डॉलर के नीचे है। वहीं नैचुरल गैस में भी नीचे कारोबार हो रहा है। फिलहाल एमसीएक्स पर कच्चा तेल 0.7 फीसदी फिसलकर 3370 रुपये पर आ गया है। एमसीएक्स पर नैचुरल गैस 2.25 फीसदी की गिरावट के साथ 244.1 रुपये पर आ गया है। इस बीच रुपया करीब 1 महीने के ऊपरी स्तर पर चला गया है। 1 डॉलर की कीमत 67.50 रुपये के नीचे है। वहीं ग्लोबल मार्केट में रिकवरी के बावजूद घरेलू बाजार में सोने और चांदी पर दबाव है।

07 दिसंबर 2016

गेहूं पर आयात षुल्क हटाने की संभावना

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार गेहूं के आयात पर 10 फीसदी षुल्क को षून्य कर सकती है। जानकारों के अनुसार भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) द्वारा हाल ही में कहां गया है कि मौसम सामान्य से ज्यादा गर्म रहेगा, जिसका असर गेहूं की पैदावार पर पड़ेगा, इसलिए केंद्र सरकार गेहूं के आयात षुल्क को 10 फीसदी से घटाकर षून्य करने पर विचार कर रही है।
वैसे भी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास गेहूं का भंडार पिछले पांच साल के न्यूनतम स्तर पर है, ऐसे में सरकार गेहूं के आयात को बढ़ावा देना चाहती है। इससे पहले सितंबर में केंद्र सरकार ने गेहूं के आयात षुल्क को 25 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी किया था।
जानकारों के अनुसार आयात षुल्क को अगर घटाकर षन्य किया जाता है तो गेहूं के आयात में तो बढ़ोतरी होगी, भाव में करीब 100 से 150 रुपये की गिरावट आ सकती है। अभी तक 16.80 लाख टन गेहूं का आयात हो चुका है तथा मौजूदा सौदों के आधार पर फरवरी 28 तक 23 लाख टन गेहूं आयात होने का अनुमान था, लेकिन अगर केंद्र सरकार ने आयात षुल्क षून्य कर दिया तो फिर आयात बढ़कर 27 से 28 लाख टन का हो जायेगा।
आस्ट्रेलिया से आयातित गेहूं का भाव इस समय कांडला बंदरगाह पहुंच 1,900 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि आयात षुल्क षून्य करने के बाद कांडला पहुंच भाव 1,750 रुपये प्रति क्विंटल रह जायेगा।.......आर एस राणा

नवंबर में ग्वार गम उत्पादों के कुल निर्यात में आई कमी

आर एस राणा
नई दिल्ली। नवंबर महीने में ग्वार गम उत्पादों (ग्वार गम पाउडर, ग्वार स्पलिट और मील के कुल निर्यात में अक्टूबर के मुकाबले कमी आई है। नवंबर महीने में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात घटकर 25,872 टन का ही हुआ है जबकि अक्टूबर महीने में 29,538 टन ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ था।
नवंबर महीने में जहां ग्वार गम पाउडर का निर्यात 16,053 टन का हुआ है वहीं ग्वार स्पलिट का निर्यात 3,209 टन का और ग्वार मील का निर्यात 6,610 टन का हुआ है।.........आर एस राणा

अक्टूबर में 5.41 लाख टन गेहूं का आयात हुआ

आर एस राणा
नई दिल्ली। अक्टूबर महीने में 5.41 लाख टन गेहूं का आयात औसतन 221.97 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) की दर से हुआ है। दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें इस समय आयातित गेहूं की खरीद कर रही है जबकि अगले महीने में आयातित गेहूं की कीमतों में कमी आने की आषंका है। इस लिए दक्षिण भारत में गेहूं की कीमतों में आगामी दिनों में गिरावट आ सकती है। हालांकि उत्तर भारत के कई राज्यों में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने एपीएल में गेहूं का आवंटन बंद कर दिया है इससे उत्तर भारत की मंडियों में गेहूं की कीमतों में फिर सुधार आने का अनुमान है। दिल्ली में मंगलवार को गेहूं का भाव 2,150 रुपये प्रति क्विंटल रहा।........आर एस राणा

कच्चे तेल में गिरावट बढ़ी

कच्चे तेल में गिरावट बढ़ गई है। ग्लोबल मार्केट में क्रूड का दाम करीब 1 फीसदी गिर गया है। ब्रेंट क्रूड का दाम 54 डॉलर के नीचे लुढ़क गया है। वहीं डब्ल्यूटीआई क्रूड में 50.5 डॉलर के पास कारोबार हो रहा है। पिछले हफ्ते उत्पादन में कटौती के एलान के बाद क्रूड का दाम करीब 19 फीसदी उछल गया था। लेकिन अब ऊपरी स्तर से लगातार कीमतों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। दरअसल कटौती का फैसला अगले महीने से लागू होगा और इससे पहले ओपेक और रूस दोनों का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। ऐसे में 12 लाख बैरल उत्पादन कटौती के जरिए ओवर सप्लाई पर काबू पाने की योजना पर सवाल खड़े हो गए हैं।

इस बीच सोना भी सुस्त है और ये पिछले 10 महीने के निचले स्तर पर कारोबार कर रहा है। इसका भाव 1170 डॉलर के नीचे बना हुआ है। लंदन मेटल एक्सचेंज पर बेस मेटल्स में भी कमजोरी है। वहीं डॉलर के मुकाबले रुपये में आज मजबूती आई है। 1 डॉलर की कीमत 67.80 रुपये के पास है।

06 दिसंबर 2016

मक्का का निर्यात बढ़ा, भाव में तेजी की उम्मीद नहीं

आर एस राणा
नई दिल्ली। नवंबर महीने के चौथे सप्ताह में मक्का के निर्यात में जरुर बढ़ोतरी हुई है, लेकिन खरीफ में मक्का की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है इसलिए भाव में नरमी की ही संभावना है।
नवंबर महीने के 27 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में 4,005 टन मक्का का निर्यात हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में 3,652 टन मक्का का निर्यात हुआ था। इस दौरान मक्का का निर्यात औसतन 258.65 डॉलर प्रति टन (एफओबी) की दर से हुआ है। विष्व बाजार में भाव कम होने के कारण इस समय मक्का का निर्यात नेपाल और यूएई को डिपलोमेटिक आधार पर ही हुआ है।
विष्व बाजार में मक्का के भाव कम है, इसलिए भारत से मक्का का निर्यात सीमित मात्रा में ही हो रहा है, जबकि चालू खरीफ में मक्का की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है। नकदी की कमी के कारण इस समय उत्पादक मंडियों में मक्का की दैनिक आवक कम हो रही है, लेकिन आगे जैसे ही दैनिक आवक में बढ़ोतरी होगी, भाव में गिरावट ही आने का अनुमान है।...........आर एस राणा

प्रतिकूल मौसम से तिल की पैदावार में भारी कमी की आषंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रतिकूल मौसम से चालू खरीफ में तिल की फसल को भारी नुकसान हुआ है, जिससे इसकी पैदावार में भारी कमी आने की आषंका है। सूत्रों के अनुसार चालू सीजन में तिल की पैदावार घटकर केवल 3,66,278 टन की होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार 6,07,755 टन की हुई थी।
जानकारों के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेष और उत्तर प्रदेष में बमौसम बारिष और जलभाव के कारण तिल की फसल को भारी नुकसान हुआ है, जिसकी वजह से प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में भारी कमी आई है। हालांकि सबसे बड़े उत्पादक राज्य राजस्थान में फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है।
चालू सीजन में जहां राजस्थान में 89,299 टन तिल उत्पादन का अनुमान है, वहीं उत्तर प्रदेष में 86,781 टन और मध्य प्रदेष में 64,220 टन तिल के उत्पादन की उम्मीद है।......आर एस राणा

नवंबर में खली के निर्यात में आई कमी

आर एस राणा
नई दिल्ली। नवंबर महीने में खली का निर्यात घटकर 1,08,342 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल नवंबर महीनें में इसका निर्यात 1,20,059 टन का हुआ था। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएषन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान खली के निर्यात में 27 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 6,62,489 टन का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 9,03,624 टन का हुआ था। खली के निर्यात में आई कमी का प्रमुख कारण विष्व बाजार भाव कम होने के साथ ही घरेलू बाजार में कच्चे माल की कमी होना है।..............आर एस राणा

डॉलर के मुकाबले रुपये में रिकवरी

डॉलर के मुकाबले रुपये में रिकवरी आई है। 1 डॉलर की कीमत 67 रुपये के पास आ गई है। सोना पिछले 10 महीने का निचला स्तर छू चुका है। कॉमैक्स पर सोना 1170 डॉलर के पास है। कल सोना 1160 डॉलर के भी नीचे फिसल गया था। इस बीच सिटी ग्रुप ने सोने पर अनुमान घटा दिया है। सिटी ग्रुप ने कहा है कि इस साल सोने का औसत भाव 1160 डॉलर रह सकता है। वहीं अगले साल इसका औसत भाव 1135 डॉलर रहने का अनुमान है। सिटी ग्रुप ने चांदी पर भी अनुमान घटाकर अगले साल औसत भाव 15.50 डॉलर प्रति औंस रहने की संभावना जताई है। दरअसल इस महीने अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने की संभावना है, ऐसे में सोने पर दबाव बढ़ता जा रहा है।

हालांकि नवंबर में ओपेक के रिकॉर्ड उत्पादन से कच्चे तेल में दबाव बढ़ गया है। ब्रेंट जहां 55 डॉलर के नीचे आ गया है। वहीं डब्ल्यूटीआई क्रूड 51 डॉलर के पास कारोबार कर रहा है। वहीं लंदन मेटल एक्सचेंज पर बेस मेटल्स में भारी उठापटक हो रही है। जिंक में तेजी है, जबकि कॉपर में दबाव दिख रहा है

03 दिसंबर 2016

एग्री कमोडिटी में आगे की रणनीति कैसे बनाए

एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे

एग्री जिंसों के अलावा किराना में हल्दी, जीरा, धनिया, लालमिर्च, बादाम, पिस्ता, इलायची, कालीमिर्च आदि की जानकारी भी हिंदी में ई-मेल के माध्यम से दी जायेगी। हमें ई-मेल करे या फिर फोन पर संपक करें।

............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........

आर एस राणा
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अक्टूबर में केस्टर तेल का निर्यात बढ़ा, भाव में तेजी की उम्मीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। अक्टूबर महीने में केस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 47,112 टन का हुआ है जबकि पिछले साल अक्टूबर महीने में 37,205 टन केस्टर तेल का ही निर्यात हुआ था। इस समय केस्टर तेल में निर्यात मांग अच्छी है जबकि चालू सीजन में केस्टर सीड की पैदावार में 25 से 30 फीसदी की कमी आने की आषंका है। ऐसे में आगामी दिनों में केस्टर सीड की कीमतों में और तेजी आने का अनुमान है। गुजरात की दिसा मंडी में केस्टर सीड के भाव 3,775 से 3,800 रुपये प्रति क्विंटल हैं।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएषन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान केस्टर तेल का निर्यात 3,08,158 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 2,98,082 टन का ही हुआ था। वित्त वर्ष 2015-16 में केस्टर तेल का कुल निर्यात 5,43,274 टन का ही हुआ था जबकि चालू वित्त वर्ष में केस्टर तेल के निर्यात में पिछले साल की तुलना में 8 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
सूत्रों के अनुसार चालू महीने के 21 नवंबर से 26 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में 13,500 टन केस्टर तेल का नियात औसतन 1,655.52 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ है। इस दौरान 5,500 टन केस्टर तेल का निर्यात टर्की को और 8,000 टन तेल का निर्यात साउदी अरब को क्रमषः 1,709 और 1,601.04 डॉलर प्रति टन (एफओबी) की दर से हुआ है।.............आर एस राणा

ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 12.25 फीसदी बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। ग्वार गम उत्पादों की निर्यात मांग बढ़ने से चालू महीने में लगातार तीसरे सप्ताह में इनके निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। चालू महीने के तीसरे सप्ताह 21 नवंबर से 26 नवंबर के दौरान ग्वार गम उत्पादों (ग्वार गम पाउडर, ग्वार स्पलिट और मील) का निर्यात बढ़कर 8,625 टन का हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में इनका निर्यात 7,684 टन का हुआ था। मालूम हो कि चालू महीने के दूसरे सप्ताह 6,554 टन ग्वार गम उत्पादो का निर्यात हुआ था। चालू महीने में अभी तक 26,846 टन ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हो चुका है।
चालू महीने के 21 नवंबर से 26 नवंबर के दौरान 5,056 ग्वार गम पाउडर का निर्यात औसतन 1,401.56 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ है जबकि तीसरे सप्ताह में 4,634 टन ग्वार गम पाउडर का निर्यात औसतन 1,428.58 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ था। इसी तरह से ग्वार स्पलिट का निर्यात 21 नवंबर से 26 नवंबर के दौरान 1,420 टन का औसतन 969.24 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में 859 टन ग्वार स्पलिट का निर्यात औसतन 989.5 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ था।
ग्वार मील का निर्यात चालू महीने के 21 से 26 नवंबर के दौरान 2,149 टन का औसतन 497.99 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में 2,191 टन ग्वार मील का निर्यात 516.85 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ था।.............आर एस राणा

दिसंबर में 10 से 12 लाख टन दलहन आयात होने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने में करीब 10 से 12 लाख टन दलहन आयात होने का अनुमान है। सूत्रों के अनुसार प्राइवेट आयातकों के साथ ही सार्वजनिक कंपनियों ने दिसंबर-जनवरी की षिपमेंट के सौदे ज्यादा मात्रा में किए है, ऐसे में चालू महीने में घरेलू बाजार में दलहन की कीमतों में गिरावट ही रहने का अनुमान है।
पहली दिसंबर को नवा सेवा बंदरगाह पर 536 कंटेनर दलहन के पहुंचे हैं। इसमें से करीब 7 कंटेनर चना के, 49 कंटेनर अरहर के मौजांबिक से तथा 76 कंटेनर अरहर के तंजानिया से आए हैं, इसके अलावा 53 कंटेनर मसूर के और 2 कंटेनर हरी मटर के कनाडा से मुंबई बंदरगाह पर पहुंचे हैं। इसके साथ ही 6 कंटेनर पीली मटर के पहुंचे हैं। जानकारों के अनुसार इस दौरान उड़द का कोई कंटेनर नहीं आया है।
आगामी दिनों में पीली मटर, चना के साथ ही मसूर और अरहर का आयात ज्यादा मात्रा में होगा।.............आर एस राणा

02 दिसंबर 2016

गेहूं, दलहन और तिलहनों की बुवाई बढ़ी, मोटे अनाजों की पिछड़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में जहां गेहूं के साथ ही दलहन और तिलहनों की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है वहीं मोटे अनाजों की बुवाई अभी भी पिछे चल रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी अभी तक देषभर में 415.53 लाख हैक्टेयर में फसलों की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 382.84 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई बढ़कर अभी तक 173.93 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 152.56 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। रबी दहलन की बुवाई अभी तक 112.95 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 99.83 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई बढ़कर 76.69 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 68.57 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। मसूर की बुवाई भी बढ़कर चालू रबी में अभी तक 12.38 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 9.37 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।
रबी तिलहनों की बुवाई चालू सीजन में अभी तक 70.70 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 64.21 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई 61.73 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 54.32 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 4.64 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 4.13 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
हालांकि मोटे अनाजों की बुवाई अभी भी पिछे चल रही है, अभी तक देषभर में केवल 44.59 लाख हैक्टेयर में ही मोटे अनाजों की बुवाई हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 51.40 लाख हैक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी। मोटे अनाजों में सबसे ज्यादा कमी ज्वार की बुवाई में आई है। ज्वार की बुवाई चालू रबी में अभी तक केवल 27.67 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 35.12 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। रबी मक्का की बुवाई भी चालू सीजन में अभी तक 10.15 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 9.53 लख हैक्टेयर में इसकी बुवाई हुई थी। जौ की बुवाई चालू रबी में 5.65 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 5.14 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।..............आर एस राणा

चालू पेराई सीजन में 24.71 लाख टन हो चुका है चीनी का उत्पादन

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन 2016-17 में मिलों द्वारा गन्ने की पेराई पहले आरंभ करने से 30 नवंबर 2016 तक 24.71 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 4.06 लाख टन ज्यादा है। पिछले साल की समान अवधि में 23.35 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था।
इंडियन षुगर मिल्स एसोसिएषन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में अभी तक 365 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 340 चीनी मिलों में ही पेराई आरंभ हुई थी। हालांकि सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में 30 नवंबर 2016 तक केवल 9.50 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में 12.90 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। महाराष्ट्र में चीनी मिलों में पेराई देर से आरंभ हुई है।
अन्य राज्यों में उत्तर प्रदेष में चालू पेराई सीजन में अभी तक 8.51 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 1.74 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। कर्नाटका में भी चालू पेराई सीजन में अभी तक 7 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 60 हजार टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
गुजरात में चालू पेराई सीजन में अभी तक 1.37 लाख टन जबकि अन्य राज्यों में अभी तक 1.03 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ है। माना जा रहा है कि आगामी दिनों में गन्ने की पेराई में और तेजी आयेगी, जिससे चीनी का उत्पादन और बढ़ेगा।...............आर एस राणा