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31 अगस्त 2016

सरकारी एजेंसियां दलहन की एमएसपी पर करेगी खरीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में दलहन की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकारी एजेंसियां करेगी। उपभोक्ता मामले मंत्रालय के सचिव हेम पांडे के मुताबिक जिस तरह से राज्यों में खरीफ दलहन की आवक होगी, उसी के आधार पर खरीद की जायेगी।
उन्होंने बताया कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और नैफेड किसानों से सीधे एमएसपी पर दलहन की खरीद करेंगी तथा कर्नाटका में मूंग की आवक षुरु हो गई है इसलिए कर्नाटका की मंडियों से जल्द ही मूंग की एमएसपी पर खरीद षुरु की जायेगी। उन्होंने बताया कि एमएसपी के साथ दलहन की खरीद पर किसानों को सरकार द्वारा घोषित बोनस भी दिया जायेगा।..........आर एस राणा

चीनी निर्यात में गिरावट

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के चौथे सप्ताह (22 अगस्त से 28 अगस्त) के दौरान चीनी के निर्यात में 23 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 30.7 हजार टन का ही हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में 39.8 हजार टन चीनी का निर्यात हुआ था। केंद्र सरकार द्वारा चीनी के निर्यात पर 20 फीसदी षुल्क लगा देने के बाद से लगातार इसके निर्यात में कमी देखी जा रही है। मालूम हो कि चालू महने के दूसरे सप्ताह में देष से 50.8 हजार टन चीनी का निर्यात हुआ था।...........आर एस राणा

महंगी नहीं अब सस्ती दाल से सरकार की चिंता

दाल की महंगाई पर लोगों के गुस्से को झेल रही सरकार अब इसकी कीमतों में आई तेज गिरावट पर चिंतित हो गई है। पिछले एक महीने में दाल के थोक भाव में करीब 40 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। कुछ मंडियों में मूंग का दाम एमएसपी के बेहद करीब आ गया है। ऐसे में केंद्र खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने दाल की गिरती कीमतों पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि एमएसपी से नीचे जाने पर सरकार को किसानों से दाल की खरीद शुरू करनी पड़ सकती है।

पहली तिमाही में हल्दी निर्यात 20 फीसदी बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान हल्दी के निर्यात में 20 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 29,000 टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 24,085 टन का ही हुआ था।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार इस समय विष्व बाजार में भारतीय हल्दी का भाव 3.42 डॉलर प्रति किलो है जबकि पिछले महीने की समान अवधि में इसका भाव 3.31 डॉलर प्रति किलो था।
चालू सीजन में हल्दी की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, साथ ही मौसम भी अभी तक फसल के अनुकूल है इसलिए अभी हल्दी की कीमतों में बढ़ी तेजी की संभावना नहीं है।..........आर एस राणा

मैंथा उत्पादों का निर्यात 2 फीसदी ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान मैंथा उत्पादों का निर्यात 2 फीसदी बढ़कर 4,200 टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 4,106 टन का ही हुआ था।
इस समय उत्पादक मंडियों में मैंथा तेल की दैनिक आवक 350 से 400 ड्रम (एक ड्रम-180 किलो) की हो रही है तथा संभल मंडी में मैंथा तेल के भाव 1,034 रुपये और चंदौसी में भाव 1,035 रुपये प्रति कलो रहे। .....आर एस राणा

पहली तिमाही में जीरा निर्यात 55 फीसदी बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान देष से जीरा के निर्यात में 55 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 41,000 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2015-16 की समान अवधि में इसका निर्यात 26,529 टन का ही हुआ था।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार विष्व बाजार में इस समय जीरा का भाव 3.75 डॉलर प्रति किलो है जबकि पिछले महीने इसका भाव 3.31 डॉलर प्रति किलो था।
उंझा मंडी में जीरा के भाव 3,300 से 3,800 रुपये प्रति 20 किलो हैं तथा दैनिक आवक केवल 1,500 बोरी की रही जबकि दैनिक सौदे 3,400 बोरी के हुए। उंझा मंडी में चालू सीजन में जनवरी से अभी तक जीरा की कुल आवक 22,47,200 बोरी (एक बोरी-45 किलो) की हो चुकी है। ......आर एस राणा

लॉबिंग तेज, क्रूड में आगे क्या करें

कल की गिरावट के बाद कच्चा तेल संभल गया है। लेकिन 26-28 सितंबर को आपेके और नॉन-ओपेक देशों की कच्चे तेल पर होने वाली बैठक में कोई नतीजा निकलने की संभावना कम है। हालांकि दुनियाभर की दिग्गज एजेंसियों के अनुमान के मुताबिक कच्चे तेल का भाव 40 डॉलर के नीचे नहीं जाएगा। लेकिन बहुत ऊपर जाने की भी गुंजाइश कम है।
ईआईए के मुताबिक दिसंबर तक क्रूड का भाव 44.02 डॉलर तक जाएगा, तो सीएमई ग्रुप का कहना है कि क्रूड का भाव 47.63 डॉलर तक जा सकता है। इकोनॉमिक फोरकास्ट एजेंसी ने अनुमान जताया है कि दिसंबर तक क्रूड 50.85 तक जाएगा और कॉर्नरस्टोन एनालिटिक्स का मानना है कि क्रूड 85 डॉलर तक जा सकता है। सैक्सो बैंक का कहना है कि दिसंबर तक क्रूड 80-100 डॉलर तक जा सकता है।
क्रूड के दाम बढ़ने के पक्ष में जो तर्क दिए जा रहे हैं, वो ये कि तेल ब्लॉक की खोज इस साल 60 साल के निचले स्तर पर है और नई सप्लाई नहीं आने से दाम बढ़ेंगे। वहीं क्रूड के दाम घटने के पक्ष में जो तर्क दिए जा रहे हैं, वो ये कि ओपेक और रूस की पिछली बैठक असफल रही थी। साथ ही अब ओपेक की बैठक में नतीजा निकलने की उम्मीद कम है। मार्केट शेयर बढ़ाने के लिए ईरान से उत्पादन बढ़ने की आशंका है। ईरान, इराक या सऊदी अरब मार्केट शेयर कम करने को तैयार नहीं हैं।
इस सबके बीच घरेलू बाजार में आज एमसीएक्स पर कच्चा तेल 0.4 फीसदी फिसलकर 3110 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। वहीं नैचुरल गैस 0.2 फीसदी गिरकर 190.3 रुपये पर आ गया है। साथ ही ग्लोबल मार्केट में सोने का दाम पिछले 2 महीने के निचले स्तर पर आ गया है। ग्लोबल मार्केट में सोना 1310 डॉलर के पास है, ऐसे में घरेलू बाजार में कल इसकी कीमतें 31000 रुपये के नीचे आ गईं थी। दरअसल अमेरिका में कंज्यूमर कॉन्फिडेंस पिछले 11 महीने की ऊंचाई पर जाने से डॉलर में मजबूती आई और ये 3 महीने के ऊपरी स्तर पर चला गया है। फिलहाल एमसीएक्स पर सोना 0.15 फीसदी की मामूली गिरावट के साथ 30775 रुपये पर कारोबार कर रहा है। चांदी करीब 0.5 फीसदी की बढ़त के साथ 44135 रुपये पर कारोबार कर रही है।
बेस मेटल्स में कमजोरी छाई हुई है और इस महीने कॉपर और निकेल का दाम लंदन मेटल एक्सचेंज पर करीब 6-7 फीसदी गिर गया है। हालांकि जिंक और लेड में इस महीने करीब 3 फीसदी की तेजी आई है। एमसीएक्स पर कॉपर 0.1 फीसदी की मामूली बढ़त के साथ 313.4 रुपये पर कारोबार कर रहा है। निकेल 0.1 फीसदी की बढ़त के साथ 662.3 रुपये पर कारोबार कर रहा है। एल्युमिनियम में 0.15 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि लेड 0.3 फीसदी गिरा है और जिंक 0.5 फीसदी गिरा है। (hindimoneycantrol.com)

कमोडिटी बाजार: आज क्या हो आपकी रणनीति

ग्लोबल मार्केट में सोने का दाम पिछले 2 महीने के निचले स्तर पर आ गया है। ग्लोबल मार्केट में ये 1310 डॉलर के पास है। ऐसे में घरेलू बाजार में कल इसकी कीमतें 31000 रुपये के नीचे आ गईं। दरअसल अमेरिका में कंज्यूमर कॉन्फिडेंस पिछले 11 महीने की ऊंचाई पर जाने से डॉलर में मजबूती आई और ये तीन महीने के ऊपरी स्तर पर चला गया है। ऐसे में गोल्ड ईटीएफ समेत पूरी दुनिया में सोने में बिकवाली बढ़ गई। हालांकि आज हल्की रिकवरी दिखा रहा है। लेकिन कारोबार बेहद छोटे दायरे में हैं। बाजार की नजर अब शुक्रवार को अमेरिका में जारी होने वाले नॉन फार्म पेरोल आंकड़ों पर है।
इस बीच कच्चे तेल में गिरावट बढ़ गई है। डॉलर में रिकवरी के साथ-साथ अमेरिका में भंडार बढ़ने से क्रूड की कीमतों पर दोहरा दबाव पड़ा है। दरअसल कल अमेरिकी पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया है कि अमेरिका में क्रूड का भंडार 9.2 लाख बैरल बढ़ गया है। वैसे ये इंडस्ट्री की रिपोर्ट है, सरकारी रिपोर्ट आज आएगी जिसका बाजार को इंतजार है। इस बीच डॉलर के मुकाबले रुपया कल के स्तर के आसपास हल्की कमजोरी के साथ कारोबार कर रहा है।
फिलहाल एमसीएक्स पर सोना 0.1 फीसदी की बढ़त के साथ 30860 रुपये पर कारोबार कर रहा है। चांदी करीब 1 फीसदी की मजबूती के साथ 44360 रुपये पर कारोबार कर रही है। वहीं एमसीएक्स पर कच्चा तेल 0.3 फीसदी फिसलकर 3120 रुपये के नीचे कारोबार कर रहा है। नैचुरल गैस 0.2 फीसदी बढ़कर 191.1 रुपये पर कारोबार कर रहा है।
एमसीएक्स पर कॉपर 0.3 फीसदी की तेजी के साथ 314.1 रुपये पर कारोबार कर रहा है। निकेल 0.25 फीसदी की बढ़त के साथ 663.6 रुपये पर कारोबार कर रहा है। एल्युमिनियम की चाल सपाट है, जबकि लेड 0.1 फीसदी गिरा है और जिंक 0.25 फीसदी गिरा है। (Hindimoneycantyorl.com)

30 अगस्त 2016

चालू खरीफ में 336 लाख गांठ कपास का उत्पादन अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में कपास का उत्पादन 336 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) होने का अनुमान है जोकि फसल सीजन 2015-16 के 337.75 लाख गांठ से कम है। कॉटन एसोसिएषन ऑफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कपास का उत्पादन 42 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इन राज्यों में 40.50 लाख गांठ का ही उत्पादन हुआ था।
मध्य भारत के राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेष में कपास का उत्पादन 195 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इन राज्यों में 184.75 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। दक्षिण भारत के राज्यों तेलंगाना, आंध्रप्रदेष, कर्नाटका और तमिलनाडु में कपास का उत्पादन घटकर 93 लाख गांठ होने की संभावना है जबकि पिछले साल इन राज्यों में 107.50 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था।
सीएआई के अनुसार चालू सीजन में 31 जुलाई 2016 तक उत्पादक मंडियों में 334 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है।
हालांकि जानकारों के अनुसार चालू खरीफ में कपास का उत्पादन सीआईए के अनुमान से कम होने की आषंका है तथा उत्पादन 300 लाख गांठ से भी कम रहेगा।.......आर एस राणा

हल्दी की पैदावार बढ़ने के अनुमान से बड़ी तेजी की संभावना नहीं

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में हल्दी की पैदावार बढ़कर 90 लाख बोरी (एक बोरी-65 किलो) होने का अनुमान है जबकि नई फसल पर 24 से 25 लाख बोरी का बकाया स्टॉक भी बचेगा। ऐसे में हल्दी की उपलब्धता ज्यादा होने से बड़ी तेजी की संभावना तो नहीं है लेकिन हल्दी का पुराना स्टॉक मजबूत हाथों में है तथा नई फसल जनवरी-फरवरी में आयेगी, ऐसे में स्टॉकिस्टों की खरीद से अगर भाव में तेजी आये तो स्टॉक बेचना चाहिए।
जानकारों के अनुसार चालू सीजन में अभी तक मौसम फसल के अनुकूल है तथा आगे भी मौसम अनुकूल रहा तो पैदावार तो 85 से 90 लाख बोरी की होगी ही, साथ ही 24 से 25 लाख बोरी बकाया स्टॉक को मिलाकर कुल उपलब्धता 110 लाख बोरी से ज्यादा की ही होगी जबकि देष में हल्दी की सालाना खपत केवल 65 से 68 लाख बोरी की ही होती है।
चालू खरीफ में महाराष्ट्र में हल्दी का उत्पादन 25 से 26 लाख बोरी, आंध्रप्रदेष और तेलंगाना को मिलाकर 24 से 28 लाख बोरी उत्पादन का अनुमान है। इसके अलावा तमिलनाडु, कर्नाटका और केरल तीन राज्यों में भी 24 से 26 लाख बोरी उत्पादन का अनुमान है जबकि उड़ीसा, बिहार और असम में 5 से 7 लाख बोरी का उत्पादन होगा।
चालू खरीफ में तेलंगाना में हल्दी की बुवाई बढ़कर 44,920 हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 39,431 हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। राज्य में सामान्यतः हल्दी की बुवाई 48,083 हैक्टेयर में होती है। इसी तरह से आंध्रप्रदेष में हल्दी की बुवाई चालू खरीफ में 9,982 हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि कुल बुवाई खरीफ में 11,754 हैक्टेयर में होती है।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले दो महीनों अप्रैल-मई में हल्दी का निर्यात 31 फीसदी बढ़कर 21,256 टन का हुआ है। विष्व बाजार में हल्दी का भाव 3.42 डॉलर प्रति किलो है जबकि पिछले महीने इसका भाव 3.31 डॉलर प्रति किलो था।......आर एस राणा

चीनी मिलों पर लग सकती है स्टॉक लिमिट

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने चीनी मिलों पर स्टॉक लिमिट लगाने की तैयारी कर ली है। सूत्रों के अनुसार आवष्यक वस्तु अधिनियम के तहत चीनी मिलों पर दो महीने के लिए लिए स्टॉक लिमिट लगाई जायेगी। इसके तहत सितंबर महीने में चीनी मिलें पेराई सत्र 2015-16 की कुल पेराई का 37 फीसदी स्टॉक ही रख सकती है जबकि अक्टूबर महीने में चीनी मिलें कुल पेराई का 24 फीसदी ही स्टॉक रख सकेंगी। सूत्रों के अनुसार चीनी मिलों पर स्टॉक लिमिट की अवधि 2 महीने यानि 31 अक्टूबर 2016 तक होगी तथा स्टॉक लिमिट सूचना प्रकाषित होने के तत्काल बाद प्रभाव से लागू हो जायेगी। माना जा रहा है कि अगले एक-दो दिन में इसे लागू कर दिया जायेगा।..........आर एस राणा

27 अगस्त 2016

एग्री कमोडिटी में मुनाफे का अच्छा अवसर

एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........

आर एस राणा
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केस्टर तेल के निर्यात में बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के पहले तीन सप्ताह में देष से 32,327.56 टन केस्टर तेल का निर्यात हुआ है जबकि जुलाई महीने की समान अवधि में 29,589.54 टन केस्टर तेल का निर्यात हुआ था। इस दौरान केस्टर तेल के निर्यात सौदे 1,191.54 डॉलर प्रति टन की दर से हो रहे हैं। जानकारों के अनुसार इस समय जहां केस्टर तेल के निर्यात ज्यादा मात्रा में हो रहे हैं वहीं केस्टर सीड की दैनिक आवक कम है इसलिए उत्पादक मंडियों में भाव मजबूत बने हुए हैं।
चालू खरीफ में केस्टर सीड की बुवाई में 27.91 फीसदी की कमी आकर कुल बुवाई 5.77 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 7.63 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। खरीफ में औसतन कैस्टर सीड की बुवाई 11.43 लाख हैक्टेयर में होती है। माना जा रहा है कि चालू खरीफ में कुल बुवाई पिछले साल की तुलना में कम रहेगी।............आर एस राणा

दलहन आयात में आयेगी कमी, भाव में और गिरावट की उम्मीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में दलहन की बुवाई में हुई भारी बढ़ोतरी को देखते हुए आयातकों ने आयात सौदे कम कर दिए हैं, तथा माना जा रहा है कि आगामी दिनों में खासकर के उड़द, मूंग और अरहर के आयात में और कमी आयेगी। चालू महीने के तीसरे सप्ताह में दलहन आयात घटकर 53.5 हजार टन का ही हुआ है।
चालू खरीफ में दलहन की बुवाई में भारी बढ़ोरती हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में दलहन की बुवाई बढ़कर 139.42 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 103.82 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। सामान्यतः खरीफ सीजन में देष में केवल 108.69 लाख हैक्टेयर में दलहन की बुवाई होती है।
खरीफ की प्रमुख दलहन अरहर की बुवाई बढ़कर 51.20 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 34.85 लाख हैक्टेयर में ही इसकी बुवाई हुई थी। अरहर की बुवाई खरीफ में सामान्यत 40.05 लाख हैक्टेयर में होती है। इसी तरह से उड़द की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 33.67 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 26.48 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। सामान्यतः खरीफ में उड़द की बुवाई 24.42 लाख हैक्टेयर में होती है। मूंग की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 31.96 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 23.40 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। सामान्यतः खरीफ में मूंग की बुवाई 23.60 लाख हैक्टेयर में होती है।
कर्नाटका के साथ ही महाराष्ट्र में नई उड़द की आवक षुरु हो गई है तथा आगामी दिनों में आवक बढ़ेगी। आवक बढ़ने पर उत्पादक मंडियों में इसके भाव घटकर 5,000 रुपये प्रति क्विंटल तक आने का अनुमान है। मूंग की आवक भी राजस्थान की मंडियों मंे अगले महीने बढ़ जायेगी जबकि कर्नाटका की गुलबर्गा मंडी में नई आवक चल रही है। मंडियो में भाव घटकर 4,200 से 4,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं आवक बढ़ने पर मौजूदा कीमतों में और भी 500 से 700 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने का अनुमान है। अरहर की नई फसल की आवक दिसंबर-जनवरी में बनेगी, तथा इसकी कीमतों में भी लगातार गिरावट बनी हुई है।.......आर एस राणा

26 अगस्त 2016

विष्व बाजार में सोयाबीन, मक्का और गेहूं मंदा

आर एस राणा
नई दिल्ली। विष्व बाजार में एग्री जिंसों खासकर के सोयाबीन, मक्का और गेहूं की कीमतों पर लगातार दबाव बना हुआ है। इस सप्ताह विष्व में जहां सोयाबीन की कीमतों में 2.5 फीसदी की गिरावट आई है, वहीं मक्का की कीमतों में भी 3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। गेहंू की कीमतों में इस सप्ताह 4.5 फीसदी की भारी गिरावट आई है। इंटरनेषनल ग्रेन काउंसिल ने इस साल दुनिया में गेहूं ओर मक्के की रिकार्ड पैदावार का अनुमान जारी किया है जबकि अमेरिकी कृषि विभाग ने दुनिया में सोयाबीन की पैदावार बढ़ने की उम्मीद जताई है। ऐसे में इनकी कीमतों पर लगातार दबाव बना हुआ है।...............आर एस राणा

खरीफ में दलहन, धान, तिलहन और मोटे अनाजों की बुवाई बढ़ी

कपास के साथ ही गन्ने और केस्टर सीड की बुवाई में कमी
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में अनुकूल मौसम से जहां दलहन, धान के साथ ही तिलहन और मोटे अनाजों की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, वहीं कपास के साथ ही गन्ने की बुवाई में कमी है। दलहन की बुवाई में चालू खरीफ में 40.54 फीसदी, तिलहन की बुवाई में 1.72 फीसदी और मोटे अनाजों की बुवाई में 3.50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उधर कपास की बुवाई में 11.10 फीसदी और गन्ने की बुवाई में 1.43 फीसदी की कमी बनी हुई है। केस्टर सीड की बुवाई में भी 27.91 फीसदी की कमी बनी हुई है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार देषभर में मानसूनी बारिष अच्छी होने से दलहन की बुवाई में इस दौरान भारी बढ़ोतरी हुई है। देषभर में अभी तक 139.42 लाख हैक्टेयर में दलहन की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुवाई 103.85 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुवाई बढ़कर 51.20 लाख हैक्टेयर में, मूंग की बुवाई 31.96 लाख हैक्टेयर में और उड़द की बुवाई 33.67 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इनकी बुवाई क्रमषः 34.85 लाख हैक्टेयर, 23.40 लाख हैक्टेयर और 26.48 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।
मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में अभी तक 1,019.10 लाख हैक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 973.40 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो पाई थी। तिलहन की बुवाई चालू खरीफ में अभी तक 177.74 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 174.58 लाख हैक्टेयर में ही तिलहनों की बुवाई हुई थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुवाई चालू खरीफ में घटकर 112.08 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 114.17 लाख हैक्टेयर में ही चुकी थी। हालांकि मूंगफली की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 43.84 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 34.71 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी।
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में अभी तक 363.07 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 352.23 लाख हैक्टेयर में रोपाई हो पाई थी। मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ में अभी तक 182.99 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 172.73 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। कपास की बुवाई चालू खरीफ में अभी तक केवल 102.78 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 112.68 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। गन्ने की बुवाई चालू खरीफ में 45.55 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले की समान अवधि में 49.60 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। इसी तरह से केस्टर सीड की बुवाई चालू खरीफ में अभी तक 5.77 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 7.63 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।.............आर एस राणा

केंद्र सरकार 90 हजार टन दलहन का आयात करेगी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार सार्वजनिक कंपनियों के माध्यम से 90 हजार टन दलहन का और आयात करेगी। हालांकि दलहन की थोक कीमतों में गिरावट आ चुकी है तथा इनके भाव उत्पादक राज्यों में काफी नीचे आ चुके हैं लेकिन सरकार लगातार आयात कर रही है।
खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के सचिव हेम पंाडे के मुताबिक 90 हजार दलहन में 40 हजार टन मसूर का आयात किया जायेगा, इसके अलावा 20 हजार अरहर, 20 हजार टन देसी चना और 10 हजार टन उड़द का आयात किया जायेगा। उन्होने बताया कि इसके साथ ही 1,76,000 टन दलहन का आयात हो जायेगा। इसके अलावा अभी तक सार्वजनिक कंपनियां 1,20,000 टन दलहन की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कर चुकी हैं।
उन्होंने बताया कि खरीफ की फसल आने पर बफर स्टॉक के लिए दलहन की सरकारी खरीद तेज की जायेगी। उन्होनें माना की दलहन की थोक कीमतों में गिरावट आई है लेकिन खुदरा भाव अभी भी उंचे बने हुए हैं। .....आर एस राणा

आईएमडी ने मॉनसून का अनुमान घटाया

मौसम विभाग ने मॉनसून के अनुमान में कटौती की है। आईएमडी के ताजा अनुमान के मुताबिक पूरे सीजन में बारिश सामान्य रहने के आसार हैं। पहले मॉनसून सामान्य से ज्यादा रहने की संभावना जताई गई थी। मौसम विभाग का कहना है कि ला नीना की संभावना धूमिल हो रही है जिससे अनुमान में कटौती की गई। पूरे सीजन में अब तक मॉनसून सामान्य से 2 फीसदी कम रहा है।  पिछले चौबिस घंटे में देश में सामान्य से 32 फीसदी कम बारिश हुई है। जबकि इस पूरे सीजन के दौरान 2 फीसदी कम बारिश हुई है। सबसे ज्यादा कमी दक्षिण भारत में देखी जा रही है। मौसम विभाग ने कहा है कि अब ला-नीना बनने में देरी होगी।

24 अगस्त 2016

तेलंगाना में हल्दी की बुवाई ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में अनुकूल मौसम से तेलंगाना में हल्दी की बुवाई में 17 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। राज्य के कृषि निदेषालय के अनुसार अभी तक 0.45 लाख हैक्टेयर में हल्दी की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में 0.39 लाख हैक्टेयर में हल्दी की बुवाई हुई थी।......आर एस राणा

जन्माष्टमी

आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई!


धन्यवाद,
आर एस राणा
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ग्वार गम उत्पादों का निर्यात बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के तीसरे सप्ताह 15 अगस्त से 21 अगस्त के दौरान ग्वार गम उत्पादों (ग्वार गम पाउडर, स्पलिट और मील) के निर्यात में 45.21 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 6,925 टन का हुआ है जबकि चालू महीने के पहले सप्ताह में केवल 4,769 टन ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ था।
सूत्रों के अनुसार तीसरे सप्ताह में ग्वार गम पाउडर का निर्यात 4,506 टन का हुआ है तथा इस दौरान निर्यात सौदे 1,292.12 डॉलर प्रति टन की दर हुए हैं। इस दौरान 601 टन ग्वार स्पलिट का निर्यात हुआ है तथा इसके निर्यात सौदे औसतन 969.3 डॉलर प्रति टन की दर से और 1,818 टन ग्वार मील का निर्यात 506.59 डॉलर प्रति टन की दर से हुए हैं। ग्वार गम पाउउर के निर्यात सौदे चालू महीने के तीसरे सप्ताह में पहले सप्ताह की तुलना में ज्यादा भाव पर हुए हैं।..........आर एस राणा

चीनी निर्यात में 22 फीसदी की गिरावट

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के तीसरे सप्ताह 15 से 21 अगस्त के दौरान देष से चीनी के निर्यात में 22 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 39.8 हजार टन का ही हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में देष से 50.8 हजार टन चीनी का निर्यात हुआ था। केंद्र सरकार ने जब से चीनी के निर्यात पर 20 फीसदी का निर्यात षुल्क लगाया है तब से लगातार चीनी के निर्यात में कमी देखी जा रही है।.....आर एस राणा

23 अगस्त 2016

इलायची की कीमतों में और तेजी की उम्मीद

पैदावार 30 फीसदी कम होने की आषंका
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू सीजन में इलायची की नई फसल की आवक एक से डेढ़ महीने देरी से आई है, साथ ही मई-जून में उत्पादक राज्यों में मौसम प्रतिकूल रहा है जिससे पैदावार 25 से 30 फीसदी कम होने की आषंका है। इसीलिए इलायची के भाव तेज बने हुए हैं, माना जा रहा है मौजूदा कीमतों में और भी तेजी आने की संभावना है।
जानकारों के अनुसार चालू फसल सीजन में इलायची की फसल 20 से 21 हजार टन ही होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 25,000 से 26,000 टन का हुआ था। अतः इस बार पैदावार करीब 25 से 30 फीसदी कम रहेगी। इस समय नीलामी केंद्रों पर इलायची के भाव 800 से 1,100 रुपये और बोल्ड क्वालिटी के भाव 1,200 से 1,400 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं। हालांकि इस समय इलायची में निर्यातकों की मांग कम है तथा चालू महीने के पहले सप्ताह एक अगस्त से 6 अगस्त के दौरान केवल 33 टन इलायची का निर्यात हुआ है।
इस समय भारतीय इलायची का भाव विष्व बाजार में 13 से 20 डॉलर प्रति किलो का चल रहा है जबकि ग्वाटेमाला की इलायची का भाव 5 से 13 डॉलर प्रति किलो है। अतः ग्वाटेमाला से ज्यादा निर्यात हो रहा है। माना जा रहा है कि ग्वाटेमाला के पास बोल्ड क्वालिटी का माल कम है इसलिए आगे मांग भारत से ज्यादा रहेगी, इसलिए भाव में तेजी आने का ही अनुमान है। ग्वाटेमाला में नई फसल अक्टूबर-नवंबर में आयेगी तथा वहां से षिपमेंट जनवरी-फरवरी में हो पायेगी। इस समय इलायची में स्टॉकिस्टों की मांग अच्छी है, तथा त्यौहारी सीजन के कारण आगामी दिनों में घरेलू मांग और बढ़ेगी। इलायची में स्टॉकिस्टों की खरीद नवंबर-दिसंबर में बनेगी, क्योंकि उस समय हमारे यहां बोल्ड क्वालिटी की इलायची की आवक ज्यादा होती है।...........आर एस राणा

बारिश और बाढ़ से खरीफ फसल को नुकसान की आशंका

पांच राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ से खरीफ फसल को नुकसान की आशंका जताई जा रही है। ये राज्य हैं यूपी, एमपी, बिहार, झारखंड और उत्तराखंड। शुरुआती रिपोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा है कि करीब 10 हजार हेक्टेयर में धान की फसल बर्बाद हो गई है। हालांकि सभी राज्यों की ओर से अभी पूरी रिपोर्ट नहीं मिली है। राज्य सभी नुकसान का आंकलन कर रहे हैं। लेकिन माना ये जा रहा है कि आगे चलकर सोयाबीन और दाल की फसल पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है।

चीनी की बढ़ती कीमतों पर सरकार हरकत में

चीनी की बढ़ती कीमतों पर सरकार हरकत में आ गई है। सरकार कुछ दिनों तक चीनी के दामों पर नजर रखेगी। एनसीडीईएक्स ने चीनी वायदा पर मार्जिन बढ़ा दिया है। बढ़ती कीमतों को काबू में करने के लिए सरकार चीनी वायदा पर रोक लगाने पर भी विचार कर रही है और इस मामले में वित्त मंत्री ने संबंधित मंत्रालयों के साथ बैठक भी की है। इस बैठक में उपभोक्ता, खाद्य और कृषि मंत्री शामिल हुए।

22 अगस्त 2016

एनसीडीईएक्स धनिया वायदा में गड़बड़ी की आशंका

एनसीडीईएक्स के धनिया वायदा में भारी गड़बड़ी की आशंका है, खबर है कि पिछले 3 दिनों में एक्सचेंज के गोदामों में धनिया की आवक करीब 10 गुना तक बढ़ गई है, व्यापारियों का मानना है कि कोई बड़ा व्यापारी माल डम्प कर रहा है और ये माल खराब क्वालिटी का है।  व्यापारियों ने इस मामले में एनसीडीईएक्स से शिकायत भी की है। एनसीडीईएक्स में 16 से 20 अगस्त के बीच डीमैट स्टॉक 550 गाड़ी से बढ़कर 1000 गाड़ी हो गया है।  धनिया का स्टॉक केवल गुजरात में बढ़ रहा है। सूत्रों के मुतीबिक मंडियों में धनिया की आवक अचानक 10 गुना तक बढ़ गई है। राजस्थान की रामगंज मंडी में आवक 4000/5000 बोरी से बढ़कर 50 हजार बोरी हो गई है। मडियों में 10-15 गाड़ी की आवक के मुकाबले आवक तीन गुना बढञ गई है। जिससे काफी पुराने माल को डम्प करने की आशंका जाहिर की जा रही है। सवाल ये है कि इस समय धनिया में नमी 12-13 फीसदी होती है तो माल 10 फीसदी नमी के नाम पर कैसे जमा हो रहा है।  धनिया का डीमैट स्टॉक अचानक बढ़ गया है अगस्त 11 को ये स्टॉक 3500 टन था जो 12 अगस्त को 4400 टन, 13 अगस्त को 5000 टन, 14 अगस्त को 5500 टन, 15 अगस्त को 5800 टन और 16 अगस्त को अचानक 9800 हो गया।  इस बीच एनडीएक्स ने भी इस खबर पर प्रतिक्रिया दी है। एक्सचेंज ने माना है कि उसे धनिया वायदा से जुड़ी करोबारियों की काफी शिकायतें मिली हैं और एक्सचेंज अब हरकत में आ गया है। गोदामों में जमा होने वाले माल की क्वालिटी जांचने के लिए एक्सचेंज ने अपने आदमी भेजे हैं। गोदामों की भूमिका की भी इसमें जांच की जा रही है। गोदामों में स्टॉक की गुणवत्ता को जांचने के लिए स्वतंत्र एसेयर की भी मदद ली जा रही है। एनसीडीईएक्स ने दावा किया है कि एक्सचेंज किसी भी कीमत पर खराब माल न जमा करेगा और ना ही इसकी डिलिवरी देगी।

20 अगस्त 2016

एग्री कमोडिटी में मुनाफे का अच्छा अवसर

एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........

आर एस राणा
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09811470207

सोयाबीन की बुवाई मध्य प्रदेष में कम, महाराष्ट्र में ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में जहां मध्य प्रदेष में सोयाबीन की बुवाई में कमी आई है, वहीं महाराष्ट्र का क्षेत्रफल बढ़ा है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में अभी तक मध्य प्रदेष में केवल 53.61 लाख हैक्टेयर में ही सोयाबीन की बुवाई हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 58.34 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। वहीं महाराष्ट्र में सोयाबीन की बुवाई बढ़कर चालू खरीफ में 39.13 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 35.15 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी।
अन्य राज्यों राजस्थान में सोयाबीन की बुवाई 10.12 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 10.97 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। तेलंगाना में अभी तक 2.98 लाख हैक्टेयर में, कर्नाटका में 3.23 लाख हैक्टेयर में और गुजरात में 1.31 तथा छत्तीसगढ़ में 1.32 लाख हैक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हो चुकी है। चालू खरीफ में अभी तक देषभर में सोयाबीन की बुवाई 112.82 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 112.77 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी।
माना जा रहा है कि चालू खरीफ में सोयाबीन की पैदावार बढ़कर करीब 100 लाख टन होने का अनुमान जबकि कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2015-16 में पैदावार 85.92 लाख टन की हुई थी।
सोयाबीन के भाव उत्पादक मंडियों में षनिवार को 3,450 से 3,550 रुपये और इंदौर मंडी में 3,575 से 3,650 रुपये प्रति क्विंटल रहे। चालू खरीफ में भारत में तो सोयाबीन की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है ही, साथ विष्व में भी पैदवार ज्यादा होगी जबकि इस समय सोया डीओसी का निर्यात कम हो रहा है इसलिए अभी सोयाबीन की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है।.............आर एस राणा

गुजरात और आंध्रप्रदेष में मूंगफली की बुवाई बढ़ी, राजस्थान में घटी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में जहां गुजरात के साथ ही आंध्रप्रदेष में मूंगफली की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, वहीं राजस्थान में इसकी बुवाई में कमी आई है। गुजरात में मूंगफली की बुवाई बढ़कर 16.19 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 12.89 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। इसी तरह से आंध्रप्रदेष में चालू खरीफ में मूंगफली की बुवाई बढ़कर 8.85 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 5.08 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में मूंगफली की कुल बुवाई बढ़कर 43.29 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 33.68 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो पाई थी। राजस्थान में चालू खरीफ में मूंगफली की बुवाई केवल 4.23 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 4.57 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। कर्नाटका में चालू खरीफ में मूंगफली की बुवाई 5.09 लाख हैक्टेयर में और मध्य प्रदेष में 2.21 लाख हैक्टेयर में मूंगफली की बुवाई हो चुकी है।
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2015-16 में खरीफ सीजन में मूंगफली की पैदावार 53.40 लाख टन की हुई थी जबकि चालू खरीफ में पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है। मूंगफली का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) केंद्र सरकार ने चालू खरीफ सीजन के लिए 4,220 रुपये प्रति क्विंटल (100 रुपये बोनस) सहित तय किया हुआ है जबकि षनिवार को दिसा मंडी में मूंगफली का भाव 5,000 से 5,600 रुपये प्रति क्विंटल रहा। आगामी दिनों में मूंगफली की कीमतों में 400 से 500 रुपये प्रति क्विंटल की और गिरावट आने का अनुमान है। .................आर एस राणा

सितंबर में मक्का की कीमतों में गिरावट की संभावना

आर एस राणा
नई दिल्ली। सितंबर महीने में उत्तर प्रदेष में मक्का की नई फसल की आवक बनने की संभावना है जिससे मौजूदा कीमतों में करीब 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने का अनुमान है। इस समय मक्का के भाव दिल्ली में 1,550 रुपये, दावणगिरी में 1,725 रुपये, निजामाबाद में 1,650 से 1,700 रुपये और गुलाबबाग मंडी में 1,450 से 1,550 रुपये प्रति क्विंटल हैं।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में मक्का की बुवाई बढ़कर 82.22 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 72.74 लाख हैक्टेयर में मक्का की बुवाई हुई थी। मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2015-17 खरीफ सीजन में मक्का की पैदावार 152.4 लाख टन की हुई थी जबकि चालू खरीफ में पैदावार 170 लाख टन से ज्यादा होने का अनुमान है।
खरीफ में प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेष में मक्का की बुवाई 12.59 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 10.89 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। कर्नाटक में चालू खीरफ में बुवाई बढ़कर 12.18 लाख हैक्टेयर में, महाराष्ट्र में 9.09 लाख हैक्टेयर में, राजस्थान में 9.62 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमषः 9.07 लाख हैक्टेयर में, 7.24 लाख हैक्टेयर में और 8.94 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। तेलंगाना में चालू खरीफ में मक्का की बुवाई 5.63 लाख हैक्टेयर में और उत्तर प्रदेष में 7.81 लाख हैक्टेयर में मक्का की बुवाई हो चुकी है।
खरीफ विपणन सीजन 2016-17 के लिए केंद्र सरकार मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1,365 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।..........आर एस राणा

दाल के खुदरा कारोबारियों पर कसेगा शिकंजा

दाल के खुदरा कारोबारियों पर शिकंजा कसा जाएगा। खुदरा कारोबारियों पर 30 फीसदी तक मुनाफा कमाने का मामला सामने आया है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई में दाल की थोक कीमत और खुदरा कीमत में 30 फीसदी तक का अंतर सामने आया है। दाल की थोक कीमत और खुदरा कीमत में सबसे कम अंतर 7-8 फीसदी कोलकाता में पाया गया। महंगाई को लेकर आज कंज्यूमर अफेयर्स सचिव और राज्यों के सचिवों की बैठक हुई। जिसमें राज्यों ने खुदरा कारोबारियों पर सख्ती का भरोसा दिलाया।  बैठक में त्यौहारी सीजन के दौरान कीमतों पर काबू पाने के लिए सख्त कदम उठाने का फैसला लिया गया और डब्बा बंद खाने के सामान की कीमतों पर काबू पाने की रणनीति भी बनाई गई। इस बैठक में त्यौहारी सीजन में खाने के मिलावटी सामान पर काबू पाने की भी रणनीति बनाई गई।

अब बारिश ज्यादा नहीं, सामान्य ही होगी मौसम

पूर्वानुमान जारी करने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट ने आज 2016 के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के अपने पूर्वानुमान को घटाकर लंबी अवधि के औसत (एलपीए) का 100 फीसदी कर दिया। एलपीए की 100 फीसदी बारिश को सामान्य माना जाता है। यह उसके अप्रैल के पूर्वानुमान से कम है, जिसमें बारिश एलपीए की 105 फीसदी रहने की बात कही गई थी। दोनों ही पूर्वानुमानों में बारिश 4 फीसदी अधिक या कम रहने का मॉडल एरर माना गया है।    स्काईमेट ने कहा कि अनुमान को इसलिए घटाया गया है क्योंकि अगस्त में बारिश अनुमान से कम रही है। अगस्त में बारिश एलपीए की करीब 92 फीसदी रहने का अनुमान है, जबकि पहले यह एलपीए की 108 फीसदी रहने का अनुमान था। अगस्त में लंबी अवधि का औसत करीब 261 मिलीमीटर बारिश है। हालांकि इससे खरीफ की फसलों पर कोई असर नहीं पडऩे के आसार हैं क्योंकि फसलों की बुआई लगभग पूरी हो चुकी है और मिट्टी में नमी पर्याप्त है। स्काईमेट के सीईओ जतिन सिंह ने कहा, 'इस समय आईओडी नकारात्मक है और एमजेओ भारत के लिए अनुकूल नहीं बना हुआ है। आखिरकार अल नीनो तटस्थ चरण में आ गया है, लेकिन हमें यह देखने के लिए कुछ महीने इंतजार करना पड़ेगा कि क्या यह ला नीना में बदल सकता है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए स्काईमेट वेदर ने मॉनसून 2016 के पूर्वानुमान में संशोधन किया है।'   वर्ष 2009 में सूखे के सटीक अनुमान के बाद स्काईमेट सुर्खियों में आई थी। 2009 का सूखा तीन दशकों में सबसे भयंकर था। हालांकि स्काईमेट का पिछले साल का पूर्वानुमान गलत साबित हुआ, जब उसने 'सामान्य' मॉनसून का अनुमान जताया था। देश को लगातार दूसरे साल सूखे का सामना करना पड़ा था। इस साल स्काईमेट ने अनुमान जताया था कि चार महीने के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीजन के दौरान बारिश एलपीए की 105 फीसदी के बराबर रहेगी। पूरे साल के एलपीए का मतलब देश में 1951 से 2001 के बीच हुई औसत बारिश से है और यह 887 मिलीमीटर अनुमानित है। स्काईमेट ने कहा कि जून में मॉनसून की शुरुआत सुस्त रही और इसने जुलाई में तेजी पकड़ी।

19 अगस्त 2016

जीरा में निर्यात मांग ज्यादा, तेजी की संभावना

आर एस राणा
नई दिल्ली। जीरा में इस समय निर्यातकों के साथ ही घरेलू मांग अच्छी बनी हुई है इसलिए जीरा की कीमतों में और भी तेजी आने का अनुमान है। उंझा मंडी में जीरा के भाव 3,450 से 3,900 रुपये प्रति 20 किलो रहे जबकि दैनिक आवक केवल 2,000 से 3,000 बोरी की ही हो रही है।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के दौरान जीरा का निर्यात 25 फीसदी बढ़कर 50,000 टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 40,000 टन का ही हुआ था। जानकारों के अनुसार टर्की और सीरिया में राजनीतिक गतिरोध के कारण इस समय भारत से ही निर्यात सौदे ज्यादा मात्रा में हो रहे हैं।
चालू महीने के पहले सप्ताह 1 अगस्त से 6 अगस्त के दौरान जीरा का निर्यात 2,430 टन का हुआ है। इस समय विष्व बाजार में भारतीय जीरा का भाव 3.75 डॉलर प्रति किलो है जबकि पिछले साल इस समय भाव 3.42 डॉलर प्रति किलो था।

चालू सीजन में जनवरी से 13 अगस्त तक उंझा मंडी में जीरा की आवक 22,36,300 बोरी (एक बोरी-55 किलो) की हो हुई है।..............आर एस राणा

दलहन, तिलहन के साथ मोटे अनाजों की बुवाई भी ज्यादा

खरीद में बढ़ी धान की रोपाई, कपास की बुवाई अभी भी पिछे
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में अनुकूल मौसम से जहां दलहन के साथ ही तिलहन और मोटे अनाजों की बुवाई में हुई बढ़ोतरी से इनकी पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है, वहीं खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई भी ज्यादा हुई है। हालांकि अभी भी कपास की बुवाई पिछे ही चल रही है तथा माना जा रहा है कपास की कुल बुवाई चालू खरीफ में कम ही रहेगी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार देषभर में मानसूनी बारिष अच्छी होने से दलहन की बुवाई में इस दौरान भारी बढ़ोतरी हुई है। देषभर में अभी तक 136.04 लाख हैक्टेयर में दलहन की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुवाई 100.57 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुवाई बढ़कर 49.89 लाख हैक्टेयर में, मूंग की बुवाई 31.38 लाख हैक्टेयर में और उड़द की बुवाई 32.40 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इनकी बुवाई क्रमषः 33.49 लाख हैक्टेयर, 22.83 लाख हैक्टेयर और 25.48 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।
मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में अभी तक 992.76 लाख हैक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 938.57 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो पाई थी। तिलहन की बुवाई चालू खरीफ में अभी तक 175.49 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 168.49 लाख हैक्टेयर में ही तिलहनों की बुवाई हुई थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 112.82 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 112.77 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। इसी तरह से मूंगफली की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 43.29 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 33.68 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी।
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में अभी तक 346.38 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 334.26 लाख हैक्टेयर में रोपाई हो पाई थी। मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ में अभी तक 180.20 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 167.69 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। कपास की बुवाई चालू खरीफ में अभी तक केवल 101.54 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 110.23 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। गन्ने की बुवाई चालू खरीफ में 45.55 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले की समान अवधि में 49.60 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। इसी तरह से केस्टर सीड की बुवाई चालू खरीफ में अभी तक 4.25 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 5.02 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।.............आर एस राणा

बासमती चावल में निर्यात मांग कमजोर, भाव नरम

पहली तिमाही में बासमती चावल के निर्यात में हुई बढ़ोतरी
आर एस राणा
नई दिल्ली। इस समय बासमती चावल की निर्यात मांग कमजोर बनी हुई है जिससे भाव में गिरावट का रुख देखा जा रहा है। दिल्ली में पूसा 1,121 बासमती चावल सेला का भाव 4,300 रुपये, स्टीम का 5,400 रुपये और रॉ का भाव 5,500 रुपये प्रति क्विंटल है, पिछले दस दिनों में इनकी कीमतों में करीब 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। चालू खरीफ में धान की रौपाई ज्यादा हुआ है तथा इस समय खाड़ी देषों की आयात मांग कमजोर है इसलिए चावल की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान देष से बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 11,86,317 टन का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 11,31,331 टन का ही हुआ था।
इसी तरह से चालू वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही में गैर-बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 17,44,523 टन का हो चुका है जबकि इसके पहले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 17,04,823 टन गैर-बासमती चावल का निर्यात हुआ था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान मूल्य के हिसाब बासमती चावल का निर्यात 6,197.83 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 6,780.61 करोड़ रुपये का हुआ था। इस अवधि में गैर बासमती चावल का निर्यात 4,255.13 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में गैर बासमती चावल का निर्यात 3,961.11 करोड़ रुपये का हुआ था।

दाल पर सरकार का एक्शन प्लान हुआ फेल!

दाल पर सरकार का लगाया गया दांव उल्टा पड़ गया है। आलम ये है कि अब दाल की बिक्री बढ़ाने के लिए सरकार को कदम उठाने पड़ रहे है। साथ ही विदेश से मंगाए गए दालों के स्टॉक को बचाने के लिए अब स्टोरेज की माथापच्ची भी करनी पड़ रही है। इस वक्त सरकार के पास करीब 2 लाख टन दाल का बफर स्टॉक तैयार है, लेकिन राज्य सरकार के साथ-साथ निजी कारोबारियों ने भी केंद्र की दालों को लेने से इनकार कर दिया है। इसी बजह से बाजार में दाल की कीमते 4-5 फीसदी तक नीचे भी आई है।

18 अगस्त 2016

कोटा मंडी में धनिया का स्टॉक ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन में फरवरी से अगस्त मध्य के दौरान कोटा मंडी में 7,66,300 बोरी (एक बोरी-40 किलो) धनिया की आवक हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी आवक 5,89,700 बोरी की हुई थी। अतः ऐसे में धनिया का स्टॉक पिछले साल से ज्यादा है, यही कारण है कि धनिया की कीमतों में तेजी नहीं टिक पा रही है।
इस समय धनिया में निर्यात मांग कमजोर है जबकि घरेलू मांग अच्छी आ रही है, लेकिन उत्पादक राज्यों में स्टॉक ज्यादा होने के कारण अभी तेजी आने का अनुमान नहीं है।
चालू महीने के पहले सप्ताह एक अगस्त से 6 अगस्त के दौरान देष से 610 टन धनिया का निर्यात हुआ है। विष्व बाजार में भारतीय धनिया का भाव 1.32 डॉलर प्रति किलो है जबकि पिछले साल इस समय भाव 1.98 डॉलर प्रति किलो था। वित्त वर्ष 2015-16 में देष से 40,100 टन धनिया का निर्यात हुआ था जबकि निर्यात का लक्ष्य 45,000 टन का था। वित्त वर्ष 2014-15 में देष से 46,000 टन धनिया का निर्यात हुआ था।......आर एस राणा

केस्टर सीड की बुवाई में कमी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में केस्टर सीड की बुवाई अभी तक केवल 2.67 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 3.37 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। माना जा रहा है कि चालू सीजन में केस्टर सीड के भाव कम होने के कारण किसानों ने केस्टर की बजाए अन्य फसलों दलहन, कपास और मूंगफली की बुवाई ज्यादा की है। सामान्यतः खरीफ में 11.48 लाख हैक्टेयर में केस्टर सीड की बुवाई होती है।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के दौरान देष से 1.8 लाख टन केस्टर तेल का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2015-16 की समान अवधि में केस्टर तेल का निर्यात 1.71 लाख टन का हुआ था। उत्पादक मंडियों में इस समय केस्टर सीड के भाव 3,400 से 3,450 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं तथा माना जा रहा है कि चालू सीजन केस्टर सीड की बुवाई कम रहेगी जबकि तेल की निर्यात मांग लगातार बढ़ रही है। ऐसे में नवंबर-दिसंबर में केस्टर सीड के भाव 4,000 रुपये प्रति क्विंटल के पार जाने की संभावना है।............आर एस राणा

खाद्य तेलों पर आयात षुल्क बढ़ाने की मांग

आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू बाजार में तिलहनो की कीमतों में चल रही गिरावट को रोकने के लिए खाद्य तेलों के आयात पर षुल्क बढ़ाने की मांग की है। सोयाबीन आयॅल प्रोसेसर्स एसोसिएषन (सोपा) ने केंद्र सरकार से मांग की है कि रिफाइंड तेल पर आयात षुल्क को 20 फीसदी से बढ़ाकर 45 फीसदी कर देना चाहिए, इसके अलावा क्रुड पॉम तेल पर आयात षुल्क को 12.5 फीसदी से बढ़ाकर 37.5 फीसदी कर देना चाहिए। सोपा के अनुसार अगर आयात षुल्क में बढ़ोतरी नहीं की गई तो इसका खामियाजा किसानों के साथ ही उद्योग को भी नुकसान उठाना पड़ेगा, क्योंकि खाद्य तेलों के आयात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पिछले कुछ समय में रिफाइंड खाद्य तेलों का आयात बढ़कर लगभग दोगुना हो गया है जिससे घरेलू उद्योग को नुकसान हो रहा है।..........आर एस राणा

इलायची में और तेजी की संभावना

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू सीजन में छोटी इलायची की नई फसल की आवक एक महीने की देरी होने के कारण ही इसकी कीमतों में तेजी बनी हुई है। कुमली मंडी में आज नीलामी केंद्र पर 39,290 किलो इलायची की आवक हुई तथा भाव 1,033 से 1,495 रुपये प्रति किलो रहे।
चालू सीजन में इलायची की तुड़ाई में देरी के कारण ही इसकी कीमतों में तेजी बनी हुई है, तथा मौजूदा कीमतों में अभी और भी तेजी आने की संभावना है। केरल के प्रमुख इलायची उत्पादक राज्य इदुकी में अप्रैल-मई में सूखे के कारण इलायची के पौधों को 40 से 50 फीसदी तक नुकसान हुआ था जिसका असर इस बार पैदावार पर भी पड़ने की आषंक है। माना जा रहा है कि अभी हल्के माल ज्यादा आ रहे हैं तथा बढ़िया क्वालिटी की इलायची की आवक सितंबर महीने में बनेगी। पहली जनवरी से 12 अगस्त तक इलायची की आवक 9,979 टन की हुई है जबकि इसमे से 9,508 टन की नीलामी हुई।
चालू महीने के पहले सप्ताह 1 अगस्त से 6 अगस्त के दौरान देष से 33 टन इलायची का निर्यात हुआ है। विष्व बाजार में भारतीय इलायची का भाव 14.95 डॉलर प्रति किलो हैं जबकि पिछले महीने इसका भाव 14.52 डॉलर प्रति किलो था। वित्त वर्ष 2015-16 में देष से 5,500 टन छोटी इलायची का निर्यात हुआ था जबकि निर्यात का लक्ष्य मसाला बोर्ड ने 3,500 टन का तय किया था। इसके पिछले वित्त वर्ष 2014-15 में देष से 3,795 टन इलायची का निर्यात हुआ था।..............आर एस राणा

17 अगस्त 2016

तेलंगाना में हल्दी की बुवाई बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में तेलंगाना में हल्दी की बुवाई बढ़कर 43,315 हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 37,780 हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। राज्य में हल्दी की बुवाई सामन्यतः 48,083 हैक्टेयर में होती है।
राज्य के कृषि निदेषालय के अनुसार वारंगल जिले में हल्दी की बुवाई 12,030 में, निजामाबाद में 11,754 हैक्टेयरम ें और आदिलाबाद में 7,069 हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है।......आर एस राणा

पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों में भारी मॉनसून की चेतावनी

मॉनसून पूर्वी भारत में सक्रिय हो गया है। कल पूर्वी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भारी बारिश के बाद आज ओडिशा और झारखंड में भी तेज बारिश का अनुमान है। भारतीय मौसम विभाग ने पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों में तेज हवा के साथ बारिश होने की चेतावनी जारी की है। ऐसे में मछुआरों को समुद्र में नहीं जाने को कहा गया है। इस साल अबतक राजस्थान और मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई है।

सरकार चना और मसूर का आयात करेंगी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार सार्वजनिक कंपनियों के माध्यम से 1,00,00 टन दलहन का आयात करेगी। खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय की अध्यक्षता में हुई बैठक में सार्वजनिक कंपनियों के माध्यम से 20 हजार टन चना और 80 हजार मसूर का आयात करने की योजना बनाई है।
खाद्य मंत्रालय के अनुसार 17 अगस्त को हुई बैठक में केवल दलहन की बढ़ती कीमतों को लेकर ही चर्चा हुई, बैठक में चीनी की कीमतों को सामान्य माना गया, तथा चीनी की कीमतों को लेकर ज्यादा चर्चा ही नहीं हुई। बैठक में केवल दलहन की उंची कीमतों को लेकर चिंता जताई गई। बैठक में मौजूदा कृषि मंत्रालय के सचिव के अनुसार चालू खरीफ में दलहन की बुवाई करीब 40 फीसदी ज्यादा हुई है, तथा मौसम भी अभी तक अनुकूल है। ऐसे मंे खरीफ में दलहन की बंपर पैदावार होने का अनुमान है।
खाद्य मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार दलहन का आयात बफर स्टॉक को मजबूत करने के लिए करेगी। अभी तक सार्वजनिक कंपनियों करीब 1,39,000 टन दलहन की खरीद घरेलू मंडियों से कर चुकी हैं जबकि 56,000 टन दलहन के आयात सौदे भी किए जा चुके हैं। अतः बफर स्टॉक के लिए केंद्र सरकार के पास 1,95,000 टन दलहन का स्टॉक है।
केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को फिर से पत्र लिखा है कि वह अपनी जरुरत के हिसाब दलहन की खरीद बफर स्टॉक से कर सकती है। राज्य सरकारें अरहर और उड़द की बिक्री 120 रुपये प्रति किलो से करें, तथा केंद्र सरकार से अरहर की खरीद 67 रुपये और उड़द की खरीद 82 रुपये प्रति क्विंटल की दर से करें। इसके अलावा दलहन की अन्य तरीकों से सप्लाई पर भी विचार-विमर्ष किया गया, ताकि भाव पर काबू पाया जा सकें।.....आर एस राणा

16 अगस्त 2016

बढ़ती कीमतों पर समीक्षा संभव

खाने पीने के सामान की बढ़ती कीमतों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। खास तौर से दो महीने बाद शुरू होने वाले त्योहारी सीजन में कीमतें बेकाबू ना हों इसकी तैयारी में सरकार अभी से जुट गई है। इस बीच आज महंगाई के मुद्दे पर अहम बैठक भी हो रही है। महंगाई पर होने वाली ये बैठक कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय के सचिव की अगुवाई में हो रही है। इस बैठक में वित्त, वाणिज्य, कृषि मंत्रालय के अधिकारी शामिल होंगे जिसमें बढ़ती कीमतों को काबू में रखने की रणनीति तैयार होगी। इसके अलावा दाल सीधे लोगों को बेची जाए, इस पर भी फैसला मुमकिन है।  सूत्रों के हवाले से मिली खबरों के मुताबिक दाल, चीनी, समेत दूसरे सामान की कीमतों पर सरकार की नजर है। कीमतों पर काबू को लेकर पूरा प्रस्ताव पीएमओ को सौंपा गया है। सूत्रों के मुताबिक चीनी के दाम में संभावित बढ़ोतरी रोकने के उपाय किए जा रहे हैं।

ग्वार सीड बुवाई में भारी कमी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में प्रमुख उत्पादक राज्यों राजस्थान और गुजरात के अलावा हरियाणा में ग्वार सीड की बुवाई में भारी कमी आई है। राजस्थान कृषि निदेषालय के अनुसार चालू खरीफ में राज्य में ग्वार की बुवाई पिछले साल की तुलना में 45 फीसदी पिछे चल रही है। उधर गुजरात में ग्वार की बुवाई में 8 अगस्त तक 20.5 फीसदी की कमी बनी हुई है। हरियाणा में चालू खरीफ में ग्वार सीड के बुवाई केवल 91,000 हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 3.39 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। किसानों द्वारा दलहन के साथ ही अन्य फसलों बाजरा, ज्वार आदि की बुवाई करने के कारण ही ग्वार सीड की बुवाई पिछड़ रही है।..........आर एस राणा

कर्नाटका, महाराष्ट्र और एमपी में मक्का की बुवाई ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में कर्नाटका के साथ ही महाराष्ट्र और मध्य प्रदेष में मक्का की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार मक्का की बुवाई बढ़कर 81.29 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 71.52 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।
कर्नाटका में चालू खरीफ में मक्का की बुवाई बढ़कर 12.01 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 9.07 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। मध्य प्रदेष में मक्का की बुवाई बढ़कर 12.46 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 10.87 लाख हैक्टेयर में तथा महाराष्ट्र में 8.82 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 7.15 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
अन्य राज्यों में बिहार में मक्का की बुवाई 4.30 लाख हैक्टेयर में, गुजरात में 3.17 लाख हैक्टेयर में, राजस्थान में 9.16 लाख हैक्टेयर में, तेलंगाना में 5.51 लाख हैक्टेयर में और उत्तर प्रदेष में 7.81 लाख हैक्टेयर में मक्का की बुवाई हो चुकी है।
मक्का के भाव दिल्ली में 1,550 रुपये, निजामाबाद मंें 1,650 से 1,700 रुपये, दावणगिरी 1,735 रुपये, करीमनगर 1,745 रुपये, सांगली 1,800 रुपये, बिहार की गुलाबबाग मंडी में 1,450 से 1,550 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। अगले महीने उत्तर प्रदेष में मक्का की नई फसल की आवक ष्षुरु हो जायेगी, जबकि दक्षिण भारत के राज्यो में नई मक्का की आवक अक्टूबर में बनेगी। ऐसे में मक्का की कीमतों में अब तेजी की संभावना नहीं है। तथा सितंबर महीने में इसकी कीमतों में 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने की आषंका है।...........आर एस राणा

मूंगफली दाने के निर्यात में हुई बढ़ोतरी

मूंगफली की पैदावार में बढ़ोतरी का अनुमान
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान मूंगफली दाने के निर्यात में मूल्य के हिसाब से 40.15 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 1,314.28 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 937.74 करोड़ रुपये मूल्य का मूंगफली दाने का निर्यात हुआ था।
एपीडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले दो महीनों अप्रैल से मई के दौरान मूूंगफली दाने का निर्यात 94,400 टन का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 89,298 टन का निर्यात हुआ था।
चालू फसल सीजन 2016-17 में देष में मूंगफली की पैदावार बढ़कर 50 लाख टन होने का अनुमान है जोकि प्रारंभिक अनुमान की तुलना में 4 लाख टन ज्यादा है। यूएसडीए के अनुसार चालू खरीफ में हुई अच्छी मानसूनी बारिष से मूंगफली की बुवाई में तो बढ़ोतरी हुई ही है, साथ ही प्रति हैक्टेयर उत्पादकता बढ़ने के कारण मूंगफली की पैदावार में बढ़ोतरी होगी। फसल सीजन 2015-16 में 44.7 लाख टन मूंगफली का उत्पादन हुआ था।.............आर एस राणा

13 अगस्त 2016

एग्री कमोडिटी में मुनाफे का अच्छा अवसर

एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........

आर एस राणा
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09811470207

मध्य प्रदेष और महाराष्ट्र में उड़द की बुवाई बढ़ी, यूपी में घटी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में जहां मध्य प्रदेष, महाराष्ट्र और राजस्थान में उड़द की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, वहीं अनुकूल मौसम के बावजूद भी उत्तर प्रदेष में उड़द की बुवाई पिछड़ रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में उड़द की बुवाई बढ़कर 31.56 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 24.78 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी।
प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेष में चालू खरीफ में उड़द की बुवाई बढ़कर 10.74 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 8.86 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। महाराष्ट्र में उड़द की बुवाई बढ़कर 4.27 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 2.44 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। हालांकि उत्तर प्रदेष में उड़द की बुवाई चालू खरीफ में अभी तक केवल 5.87 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 6.14 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
अन्य राज्यों राजस्थान में उड़द की बुवाई 3.86 लाख हैक्टेयर में, उड़ीसा में 1.31 लाख हैक्टेयर में, गुजरात में 1.72 लाख हैक्टेयर में और छत्तीसगढ़ में 1.02 लाख हैक्टेयर में उड़द की बुवाई हो चुकी है। आयातित उड़द के भाव मुंबई में षनिवार को 9,200 रुपये प्रति क्विंटल रहे जबकि मध्य प्रदेष की इंदौर मंडी में भाव 9,000 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
खरीफ सीजन में उड़द की रिकार्ड पैदावार देष में फसल सीजन 2012-13 में 14.3 लाख टन की हुई थी जबकि चालू खरीफ में हुई रिकार्ड बुवाई को देखते हुए पैदावार फसल सीजन 2012-13 के मुकाबले 10 से 15 फीसदी ज्यादा होने का अनुमान है।........आर एस राणा

महाराष्ट्र के साथ ही कर्नाटका में अरहर की रिकार्ड बुवाई

अनुकूल मौसम रहा तो अरहर की रिकार्ड पैदावार का अनुमान
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में महाराष्ट्र के साथ ही कर्नाटका में भी अरहर की बुवाई रिकार्ड क्षेत्रफल में हुई है। अरहर की नई फसल की आवक जनवरी में बनेगी, ऐसे में मौसम कटाई तक अनुकूल रहा तो चालू खरीफ में रिकार्ड पैदावार होने का अनुमान है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में अभी तक 48.87 लाख हैक्टेयर में अरहर की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 32.31 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी।
अरहर के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चालू खरीफ में अरहर की बुवाई बढ़कर 14.62 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 9.48 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। इसी तरह से कर्नाटका में चालू खरीफ में अरहर की बुवाई बढ़कर 11.39 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 5.25 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। अन्य राज्यों मध्य प्रदेष में अरहर की बुवाई बढ़कर 6.51 लाख हैक्टेयर में, गुजरात में 3.12 लाख हैक्टेयर में, आंध्रप्रदेष में 2.18 लाख हैक्टेयर में, तेलंगाना में 3.98 लाख हैक्टेयर में और उत्तर प्रदेष में 3.35 लाख हैक्टेयर में अरहर की बुवाई हो चुकी है।
जानकारों के अनुसार फसल सीजन 2013-14 में देष 31.4 लाख टन का रिकार्ड अरहर का उत्पादन हुआ था, उसके बाद से लगातार दो साल से उत्पादन में कमी आई है। फसल सीजन 2014-15 में अरहर की पैदावार घटकर 28.1 लाख टन और फसल सीजन 2015-16 में पैदावार 24.6 लाख टन की ही हुई है। माना जा रहा है कि चालू सीजन 2016-17 में अरहर की रिकार्ड पैदावार 38 से 40 लाख टन होने का अनुमान है।
अरहर की कीमतों में अभी तेजी की संभावना नहीं है। चालू खरीफ में पैदावार तो ज्यादा होने का अनुमान है ही, साथ ही आयातित अरहर भी लगातार आ रही है। आयातित अरहर के भाव षनिवार को मुंबई में 6,700 रुपये प्रति क्विंटल रहे जबकि इंदौर मंडी में अरहर के भाव 6,500 रुपये और दिल्ली में भाव 6,800 रुपये प्रति क्विंटल रहे।.............आर एस राणा

मूंग की कीमतों में तेजी की उम्मीद नहीं

राजस्थान में मूंग की हो चुकी है रिकार्ड बुवाई
आर एस राणा
नई दिल्ली। अगले महीन उत्पादक राज्यों की मंडियों में नई मूंग की आवक षुरु हो जायेगी, तथा चालू खरीफ में इसकी पैदावार में अच्छी बढ़ोतरी का अनुमान है। ऐसे में मूंग की कीमतों में अब तेजी की संभावना नहीं है। राजस्थान की जयपुर मंडी में मूंग के भाव 5,200 रुपये और केकड़ी मंडी में 5,100 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में मूंग की बुवाई बढ़कर 30.15 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 22.05 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। चालू खरीफ में मूंग की सबसे ज्यादा बुवाई राजस्थान में 14.38 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राजस्थान में केवल 10.11 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। इसके अलावा कर्नाटका में 3.96 लाख हैक्टेयर में, मध्य प्रदेष में 2.02 लाख हैक्टेयर में और महाराष्ट्र में 4.82 लाख हैक्टेयर में मूंग की बुवाई हो चुकी है। अन्य राज्यों में उड़ीसा में 1.34 लाख हैक्टेयर में, तेलंगाना में 1.48 लाख हैक्टेयर में और गुजरात में 0.74 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है।
मूंग की पैदावार खरीफ के साथ ही रबी में भी होती है। फसल सीजन 2010-11 में खरीफ सीजन में मूंग की रिकार्ड पैदावार 15.3 लाख टन की हुई थी, जबकि पिछले फसल सीजन 2015-16 खरीफ में पैदावार 10.2 लाख टन की हुई है। माना जा है कि चालू खरीफ में हुई रिकार्ड बुवाई से पैदावार 17 से 18 लाख टन होने का अनुमान है।.......आर एस राणा

राजस्थान में दलहन की 100 फीसदी बुआई

मॉनसून की अच्छी बारिश के बाद राजस्थान में दलहनी फसलों की बुआई 100 फीसदी से अधिक हो गई है। कृषि विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 4 अगस्त तक खरीफ फसलों की बुआई लक्ष्य की 77 फीसदी हो चुकी है। विभाग ने इस वर्ष 159.57 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई का लक्ष्य रखा है, जबकि अभी तक 123 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है।    कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अभी तक लक्ष्य के मुकाबले मूंग की 103.6 फीसदी और मोठ की 79.5 फीसदी बुआई हो चुकी है।   वहीं उड़द की 122.6 फीसदी, चौला की 110.3 फीसदी बुआई हो गई है। अन्य फसलों में ज्वार की 88.3 फीसदी, बाजरे की 72.5 फीसदी, मक्के की 98, मूंगफली की 87.6, सोयाबीन की 84.49, कपास की 81.4 फीसदी बुआई हो चुकी है।    हालांकि ग्वार की मात्र 53.5 फीसदी बुआई हो पाई है। प्रदेश में किसानों ने इस बार मूंग, चौला, उड़द, सोयाबीन, बाजरा, ज्वार, मूंगफली की बुआई ज्यादा की है। किसानों का रुख खरीफ की सबसे प्रमुख फसल ग्वार की ओर नहीं रहा, जिसके चलते इसकी बुआई काफी पिछड़ी है। भाव मंदे होने के चलते इस साल किसानों का ध्यान दलहनी और तिलहनी फसलों की ओर ज्यादा है, जिससे ग्वार की बुआई कम हो पाई है।    पिछले साल राजस्थान में ग्वार की बुआई 47.87 लाख हेक्टेयर में हुई थी। इस वर्ष प्रदेश के कृषि विभाग ने 36 लाख हेक्टेयर में ग्वार की बुआई का लक्ष्य रखा है, जो पूरा नहीं होने के आसार नजर आ रहे हैं। प्रदेश के व्यापारियों की मानें तो इस वर्ष ग्वार गम की अच्छी मांग नहीं होने से ग्वार के भाव मंदे रहे। ऐसे में किसान और व्यापारी अपने पास रखे ग्वार को नहीं बेच पाए। जयपुर के एक ग्वार व्यापारी ने कहा कि ग्वार के भाव मंदे रहने और दलहनी व तिलहनी फसलों के भाव तेज रहने के कारण किसान ग्वार की बुआई में कम दिलचस्पी ले रहे हैं।

चीनी में दम, एथेनॉल पर छूट खत्म

केंद्र सरकार ने एथेनॉल उत्पादन पर चीनी मिलों को दी गई उत्पाद शुल्क छूट वापस ले ली है। चीनी की कीमतें सुधरने से चीनी मिलों के पास नकदी आपूर्ति बढऩे के बाद सरकार ने यह फैसला किया है। उत्पाद शुल्क में 12.5 प्रतिशत छूट से चीनी मिलों को एथेनॉल की पूर्व निर्धारित कीमत 48.5-49.5 रुपये प्रति लीटर पर करीब 5 रुपये का फायदा होता था। अब सरकार के इस फैसले से चीनी मिलें खुश नहीं हैं, क्योंकि इनका कहना था कि इस तरह अचानक छूट वापस लेने से उनकी वित्तीय स्थिति पर बुरा असर पड़ेगा। मिलों के अनुसार सत्र 2015-16 में उत्पादित एथेनॉल की ज्यादातर मात्रा की आपूर्ति के लिए तेल विपणन कंपनियों के साथ अनुबंध छूट को ध्यान में रखते हुए किया गया था।    मिलों ने पिछले वर्ष तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को एथेनॉल को उनके डिपो पर 48.5-49.5 रुपये प्रति लीटर की दर से बेचा जिनमें सभी कर और शुल्क भी शामिल थे। चीनी मिलों में यह कीमत 40-41 रुपये प्रति लीटर थी। उत्पाद शुल्क में छूट से सरकारी खजाने पर 200 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा। इस छूट के हटने से कीमतों में 5 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी होगी और अब एथेनॉल की वास्तविक कीमत मिलों में 45-46 रुपये होगी। चीनी के संदर्भ में बात करें तो इससे चीनी की कीमत 30 रुपये प्रति किलो पड़ती है। शुल्क वापस लिए जाने की औपचारिक वजह यह बताई जा रही है कि चीनी मिलों में कीमत 30 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक हो गई है।   कुल मिलाकर 2015-16 में चीनी मिलों ने 130 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन किया जो हाल के वर्षों में सर्वाधिक है। यह पेट्रोल में 5 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने के केंद्र सरकार के लक्ष्य को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। इनमें करीब 90 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति चीनी मिलों ने पहले ही तेल विपणन कंपनियों को कर दी थी। शेष 40 करोड़ लीटर पर चीनी मिलों को उत्पाद शुल्क केरूप में प्रति लीटर 5 रुपये अतिरिक्त खर्च करने होंगे। यानी साफ है कि इससे इस वित्त वर्ष के लिए चीनी मिलों का गणित प्रभावित होगा। इस बारे में चीनी उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, 'इतना ही नहीं अगले चीनी सत्र में चीनी मिलें ओएमसी के साथ एथेनॉल आपूर्ति का कोई समझौता करने से दूर रह सकती हैं। इससे पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण की सरकार के महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम को झटका लगेगा। (BS Hindi)

12 अगस्त 2016

चालू खरीफ में दलहन की रिकार्ड हुई बुवाई

तिलहन के साथ ही मोटे अनाज और धान की रोपाई बढ़ी
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में अनुकूल मौसम से जहां दलहन की बुवाई रिकार्ड क्षेत्रफल में हुई है, वहीं तिलहन के साथ ही मोटे अनाज और धान की रोपाई भी पिछले साल की तुलना में ज्यादा हुई है। दलहन की रिकार्ड बुवाई का ही असर है इनकी कीमतों में गिरावट बनी हुई है तथा आगामी दिनों में भी अरहर, मूंग और उड़द की कीमतों में मंदा ही आने का अनुमान है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार देषभर में मानसूनी बारिष अच्छी होने से दलहन की बुवाई में इस दौरान भारी बढ़ोतरी हुई है। देषभर में अभी तक 130.17 लाख हैक्टेयर में दलहन की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुवाई 97.70 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुवाई बढ़कर 48.87 लाख हैक्टेयर में, मूंग की बुवाई 30.15 लाख हैक्टेयर में और उड़द की बुवाई 31.56 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इनकी बुवाई क्रमषः 32.31 लाख हैक्टेयर, 22.05 लाख हैक्टेयर और 24.78 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।
मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में अभी तक 954.18 लाख हैक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 895.91 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो पाई थी। तिलहन की बुवाई चालू खरीफ में अभी तक 172.25 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 163.84 लाख हैक्टेयर में ही तिलहनों की बुवाई हुई थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 112.35 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 111.96 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। इसी तरह से मूंगफली की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 42.69 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 32.42 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी।
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में अभी तक 326.08 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 304.71.10 लाख हैक्टेयर में रोपाई हो पाई थी। मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ में अभी तक 173.56 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 163.84 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। कपास की बुवाई चालू खरीफ में अभी तक केवल 99.03 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 108.67 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। गन्ने की बुवाई चालू खरीफ में 45.54 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले की समान अवधि में 49.11 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। इसी तरह से केस्टर सीड की बुवाई चालू खरीफ में अभी तक 2.67 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 3.37 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।

जुलाई में खाद्य तेलों के आयात में 24 फीसदी की कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू बाजार में उपलब्धता ज्यादा होने के कारण जुलाई महीने में खाद्य तेलों  के आयात में 24 फीसदी की गिरावट आकर कुल आयात 1,140,685 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल जुलाई महीने में 1,501,195 टन तेलों का आयात हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष 2015-16 के पहले 9 महीनों (नवंबर-15 से जुलाई-16) के दौरान देष में खाद्य तेलों के आयात में 5 फीसदी का इजाफा होकर कुल आयात 10,903,728 टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 10,351,016 टन खाद्य तेलों का आयात हुआ था।
एसईए के अनुसार देष में आरबीडी पॉमोलीन का आयात लगातार बढ़ रहा है जिसका खामियाजा घरेलू रिफाइनिंग उद्योग को उठाना पड़ रहा है। चालू तेल वर्ष के पहले 9 महीनों नवंबर-15 से जुलाई-16 के दौरान आरबीडी पॉमोलीन तेल का आयात बढ़कर 19.84 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में 10.98 लाख टन का आयात हुआ था। आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में भी महीनेभर में गिरावट आई है। जुलाई महीने में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पॉमोलीन का भाव घटकर 643 डॉलर प्रति टन रह गया जबकि जून महीने में इसका भाव 669 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रुड पॉम तेल का भाव जुलाई महीने में 642 डॉलर प्रति टन रह गया जबकि जून महीने में इसका भाव 669 डॉलर प्रति टन था। आरबीडी पॉमोलीन और क्रुड पॉम तेल की कीमतों में अंतर कम होने के कारण ज्यादातर आयातक आरबीडी पॉमोलीन के आयात को प्राथमिकता दे रहे है। जून महीने में जहां आरबीडी पॉमोलीन और क्रुड पॉम तेल के भाव भारतीय बंदरगाह पर 669 डॉलर थे वहीं जुलाई महीने में इनकी कीमतों में केवल एक डॉलर का ही अंतर है।    .............आर एस राणा

11 अगस्त 2016

विष्व बाजार में ग्वार गम पाउडर के भाव नरम

आर एस राणा
नई दिल्ली। मांग में कमी आने के कारण विष्व बाजार में ग्वार गम पाउडर की कीमतों में भी नरमी आई है। चालू महीने के पहले सप्ताह में ग्वार पाउडर के निर्यात सौदे 1,277.75 डॉलर प्रति टन की ही दर से सौदे हुए हैं जबकि जुलाई महीने के आखिरी सप्ताह में ग्वार गम पाउडर के निर्यात सौदे 1,279.27 डॉलर प्रति टन की दर से हुए थे। चालू महीने के पहले सप्ताह में देष से 2,640 टन ग्वार गम पाउडर का ही निर्यात हुआ है।
हालांकि चालू महीने के पहले सप्ताह में ग्वार पाउडर के निर्यात सौदे भले ही कम भाव में हुए हों लेकिन ग्वार स्पलिट और ग्वार मील के निर्यात सौदे उंचे भाव पर हुए हैं। चालू महीने के पहले सप्ताह में ग्वार स्पलिट के निर्यात सौदे 1,055.64 डॉलर प्रति टन की दर से हुए हैं जबकि जुलाई महीने में इसके निर्यात सौदे 921.1 डॉलर प्रति टन की दर से हुए थे। इसी तरह अगस्त महीने के पहले सप्ताह में ग्वार मील के निर्यात सौदे जहां 531.6 डॉलर प्रति टन की दर से हुए हैं वहीं जुलाई महीने में इसके निर्यात सौदे 517.45 डॉलर प्रति टन की दर से हुए थे। चालू महीने के पहले सप्ताह में देष से 360 टन ग्वार स्पलिट का निर्यात हुआ है जबकि 1,769 टन का ग्वार मील का निर्यात हुआ है।..............आर एस राणा

हल्दी की बुवाई में बढ़ोतरी, आगे भाव में हल्का सुधार संभव

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में हल्दी की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है जबकि इस समय निर्यातकों के साथ ही घरेलू मसाला कंपनियों की मांग सीमित मात्रा में ही बनी हुई है। इसीलिए उत्पादक मंडियों में हल्दी की कीमतों मंे तेजी नहीं आ पा रही है। इस समय हल्दी की खपत का सीजन है तथा सर्दियों के मौसम में इसकी मांग बढ़ जाती है जबकि नई फसल आने में पांच से छह महीने बचे हुए हैं। ऐसे में आगामी दिनों में इसकी कीमतों में सुधार तो आ सकता है लेकिन बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है। निजामाबाद मंडी में हल्दी के भाव 8,500 रुपये और इरोड़ में 8,000 से 8,100 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
तेलंगाना कृषि निदेषाल के अनुसार राज्य में 3 अगस्त तक हल्दी की बुवाई 14.5 फीसदी बढ़कर 43,256 हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 37,780 हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। सामान्यतः तेलंगाना में हल्दी की बुवाई 48,000 हैक्टेयर में होती है। चालू सीजन में प्रमुख उत्पादक राज्यों तेलंगाना, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में जुलाई 2016 तक हल्दी की दैनिक आवक 60 फीसदी बढ़कर 1,76,500 टन की हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 1,10,277 टन की हुई थी। प्रमुख उत्पादक मंडियों निजामाबाद, डुग्गीराला, सेलम, सांगली और इरोड़ में पिछले तीन महीनों में हल्दी की दैनिक आवक लगभग दोगुनी हुई है।
जानकारों के अनुसार बुवाई क्षेत्रफल में हुई बढ़ोतरी और अनुकूल मौसम को देखते हुए फसल सीजन 2016-17 में हल्दी का उत्पादन बढ़कर 11 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 8 लाख टन का हुआ था।
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2016-17 में हल्दी का निर्यात 31 फीसदी बढ़कर 21,256 टन का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 16,151 टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2015-16 में हल्दी का निर्यात 88,500 टन का हुआ था जबकि इसके वित्त वर्ष में इसका निर्यात 86,000 टन का हुआ था। विष्व बाजार में इस समय हल्दी के भाव 3.42 डॉलर प्रति किलो हैं जबकि पिछले महीने इसके भाव 3.31 डॉलर प्रति किलो थे। हल्दी का निर्यात आमतौर पर सितंबर-अक्टूबर में ज्यादा होता है जबकि इसी समय मसाला कंपनियों की मांग भी बढ़ जाती है जिससे भाव में सुधार आ सकता है।........आर एस राणा

मौसम

राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश में बारिश हुई है। राजस्थान में अब तक करीब 50 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज हुई है। भारतीय मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे में राजस्थान समेत पूर्वी मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इसके अलावा बिहार, झारखंड, ओडिशा, बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी भारी बारिश का अलर्ट है।

चीनी पर सरकारी सख्ती

चीनी की कीमतों में लगातार उछाल देखकर खाद्य मंत्रालय ने फिलहाल इसके वायदा कारोबार पर रोक लगाने और चीनी मिलों के लिए भंडारण सीमा तय करने की सिफारिश की है। ऐसा त्योहार करीब आने की वजह से किया गया है। फिलहाल केवल चीनी व्यापारियों और थोक व्यापारियों पर ही भंडारण सीमा लागू है। इधर एनसीडीईएक्स ने भी चीनी के वायदा सौदों में खरीद पर मार्जिन बढ़ाकर 45 फीसदी कर दिया है। इस कारण कारोबारी चीनी से हाथ खींच रहे हैं। खाद्य मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि अक्टूबर से शुरू हो सीजन में चीनी का उत्पादन कम रहने की आशंका है और एहतियातन यह कदम उठाया गया है। उन्होंने बताया कि त्योहारी मौसम में मांग भी पूरी हो जाए और चीनी की खुदरा कीमतें भी नहीं बढ़ें, इसके लिए खुले बाजार में उसकी आपूर्ति बढ़ाने की जरूरत महसूस की गई। आपूर्ति में कमी के खटके से देश के अधिकतर बाजारों में पिछले तीन महीने में चीनी के दाम 3 से 5 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ गए हैं और अभी यह 40-42 रुपये किलो बिक रही है।  मिलों का कहना था कि वे भंडार तभी घटा सकती हैं, जब कारोबारी माल उठाएंगे। लेकिन मंत्रालय के अधिकारियों को लगता है कि भंडारण सीमा के नाम पर मिलों ने माल दबा रखा है ताकि त्योहारी मौसम से पहले इसे ऊंची कीमतों पर बाजार में उतारकर मोटी कमाई की जा सके। त्योहारी मौसम शुरू होने में अब 15 दिन भी नहीं बचे हैं। उस दौरान चीनी के दामों में बढ़ोतरी की संभावना है क्योंकि मिठाइयों के लिए इसकी भारी मांग रहती है। उधर इस्मा कह रहा है कि इस बार का चीनी सीजन शुरू होते समय 71 लाख टन का भंडार पहले से मौजूद होगा और सीजन खत्म होते समय 43 लाख टन भंडार बचा रह जाएगा। इस बार चीनी का उत्पादन 232 लाख टन ही रह जाने की संभावना है। इस तरह हालात उतने डरावने नहीं लग रहे हैं। ऑल इंडिया शुगर ट्रेड एसोसिएशन का कहना है कि सरकार ने चीनी के उत्पादन से जुड़ी निर्यात सब्सिडी को वसूलने के लिए 1,000 रुपये प्रति टन का जो उपकर लगाया था, उसे खत्म किया जाना चाहिए। इससे बाजार में चीनी सस्ती हो जाएगी क्योंकि चीनी मिलें उपकर की रकम ग्राहकों से ही वसूलती हैं। उन्होंने अग्रिम लाइसेंस के तहत कच्ची चीनी के आयात की अनुमति भी मांगी है। इस बीच चीनी का वायदा कारोबार करने वाले प्रमुख एक्सचेंज एनसीडीईएक्स ने कल देर शाम एक परिपत्र जारी कर चीनी खरीद के वायदा सौदों पर मार्जिन बढ़ाकर 45 फीसदी और बिक्री पर 15 फीसदी कर दिया।

10 अगस्त 2016

जीरा का निर्यात बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान देष से जीरा का निर्यात बढ़कर 44,209 टन का हुआ है जोकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 16,076 टन ज्यादा है।
जानकारों के अनुसार जीरा का स्टॉक उत्पादक मंडियों में इस समय 12 से 13 लाख बोरी का ही बचा हुआ है जबकि नई फसल की आवक जनवरी-फरवरी में बनेगी। माना जा रहा है कि चालू सीजन में देष में जीरा की पैदावार 53 से 55 लाख बोरी की हुई थी जोकि पिछले साल से कम थी। इस समय टर्की और सीरिया में राजनीतिक हालत खराब होने के कारण जीरा का मुख्यतः निर्यात भारत से ही हो रहा है। विष्व बाजार में भारतीय जीरा का भाव 3.75 डॉलर प्रति किलो है जबकि पिछले साल इस समय भाव 3.41 डॉलर प्रति किलो था।.........आर एस राणा

कर्नाटका में लालमिर्च की बुवाई पिछड़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में जहां आंध्रप्रदेष में लालमिर्च की बुवाई के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है वहीं, कर्नाटका में बुवाई पिछे चल रही है। राज्य के कृषि निदेषालय के अनुसार अभी तक राज्य में 19,713.2 हैक्टेयर में ही लालमिर्च की बुवाई हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 46,047.70 हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। राज्य में खरीफ में लालमिर्च की कुल बुवाई 68,100 हैक्टेयर में होती है। अभी तक हुई बुवाई में धारवाड़ में 5,086 हैक्टेयर में, हावेरी में 3,180 हैक्टेयर में और चिकमंगलूर में 2,112 हैक्टेयर में लालमिर्च की बुवाई हुई है।...........आर एस राणा

ग्वार उत्पादों के निर्यात में 2.25 फीसदी बढ़त

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के पहले सप्ताह (01 अगस्त से 6 अगस्त) के दौरान देष से ग्वार गम उत्पादों ग्वार पाउडर, ग्वार स्पलिट और मील के निर्यात में 2.25 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 4,769 टन का हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में 4,664 टन ग्वार गत उत्पादों का निर्यात हुआ था।
चालू महीने के पहले सप्ताह में जहां ग्वार मील और ग्वार स्पलिट के निर्यात में क्रमषः 69.77 फीसदी और 63.64 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है वहीं ग्वार गम पाउडर के निर्यात में 22.4 फीसदी की कमी आई है।....आर एस राणा

राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश में भारी बारिश

खेती और कमोडिटी बाजार के लिए अहम माने जाने वाले राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश में भारी बारिश हुई है। पिछले 24 घंटों में खास करके राजस्थान में रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग के मुताबिक इस दौरान पश्चिमी राजस्थान में सबसे ज्यादा करीब आठ गुना ज्यादा बारिश हुई है। जबकि पूर्वी राजस्थान में 436 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। पूरे राज्य में इस सीजन के दौरान करीब 40 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।  राजस्थान में ग्वार, जीरा, धनिया, कपास और सोयाबीन की खेती होती है। इन फसलों को नुकसान की अभी कोई खबर नहीं है, लेकिन मूंग की फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है।

09 अगस्त 2016

जुलाई में चावल निर्यात में 22 फीसदी की गिरावट आई

चावल की कीमतों में तेजी की उम्मीद नहीं
आर एस राणा
नई दिल्ली। जुलाई महीने में देष से चावल के निर्यात में 22.38 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 8.26 लाख टन का ही हुआ है जबकि जून महीने मंे इसका निर्यात 10.63 लाख टन का हुआ था। जानकारों के अनुसार बासमती चावल का सबसे ज्यादा निर्यात देष से  खाड़ी देषों को होता है तथा पिछले दो महीने से बासमती चावल में खासकर के संयुक्त अरब अमीरात की मांग कम आई है।
जुलाई महीने में हुए चावल के निर्यात में जहां बासमती चावल की हिस्सेदारी 36.43 फीसदी रही, वहीं गैर-बासमती चावल की इस दौरान निर्यात में हिस्सेदारी 63.56 फीसदी की रही। जुलाई महीने में जहां 3 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ, वहीं 5.25 लाख टन गैर-बासमती चावल का निर्यात हुआ।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले महीनों अप्रैल से मई के दौरान देष से केवल 7.49 लाख टन बासमती चावल का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 7.80 लाख टन चावल का निर्यात हुआ था। इसी तरह गैर-बासमती चावल का निर्यात अप्रैल-मई में 10.57 लाख टन का हुआ है जबकि वित्त वर्ष 2015-16 के पहले दो महीनों अप्रैल-मई में 10.95 लाख टन गैर-बासमती चावल का निर्यात हुआ था।
मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान देष से बासमती चावल के निर्यात में 8.59 फीसदी की गिरावट आकर कुल 6,197.83 करोड़ रुपये मूल्य का ही बासमती चावल का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 6,780.61 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात हुआ था। हालांकि गैर बासमती चावल का निर्यात इस इस दौरान मूल्य के हिसाब से 7.42 फीसदी बढ़ा है। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान मूल्य के हिसाब से गैर-बासमती चावल का निर्यात 4,255.13 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 3,961.11 करोड़ रुपये का हुआ था।
हरियाणा की करनाल मंडी में पूसा-1,121 बासमती चावल सेला का भाव 4,200 रुपये और स्टीम का 5,300 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि पूसा-1,121 बासमती धान का भाव 2,200 से 2,400 रुपये प्रति क्विंटल है। बासमती के साथ ही गैर-बासमती चावल की कीमतों में घरेलू बाजार में अभी तेजी की संभावना नहीं है। वैसे भी चालू खरीफ में ज्यादा हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में अभी तक 281.95 लाख हैक्टेयर में धान की रौपाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रौपाई 276.10 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।............आर एस राणा

मॉनसून

महाराष्ट्र के बाद मॉनसून गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश में सक्रिय हो गया है। गुजरात में खास करके सौराष्ट्र और कच्छ के इलाके में सूखे की समस्या खत्म हो चुकी है। वहीं पूर्वी राजस्थान और पश्चिमी मध्यप्रदेश में इस सीजन अबतक करीब 50 फीसदी ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई है। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक अगले 24 घंटे में राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश और बिहार के कई इलाकों में अच्छी बारिश हो सकती है।

08 अगस्त 2016

सरकार के कदमों का असर, दालें सस्ती!

दालों की महंगाई से आपको बड़ी राहत मिल सकती है। केंद्र सरकार की कोशिशों और बुआई में बढ़ोतरी का अच्छा नतीजा दिखने लगा है। दालों की थोक कीमतें पिछले कुछ दिनों से लगातार नीचे आ रही है दरअसल पिछले 15 दिनों में थोक मंडियों में दाल की कीमतें करीब 20 फीसदी गिर गई हैं। ये नतीजा है इस साल खरीफ दालों की बुआई में करीब 40 फीसदी की बढ़ोतरी का जो पिछले 5 साल में सबसे ज्यादा हुई है। साथ ही केंद्र सरकार की कोशिशें भी दाल की थोक कीमतों में कमी लाने में सफल रही हैं।    केंद्र सरकार की इंटरमिनिस्ट्रियल कमेटी ने खुदरा बाज़ार में दालों की ऊंची कीमतो पर चिंता जताते हुए इस बात का फैसला लिया है कि दालों का अधिकतम खुदरा मूल्य तय किया जाए। कमेटी अपनी इस सिफारिश को सरकार के सामने रखेगी।  सरकार को भरोसा है कि अक्टूबर तक दालों की नई फसल बाज़ार में आने लगेगी और इस बीच अगर सरकार दालों का अधिकत मूल्य तय करती है तो ये तो पक्का है की दिवाली आते-आते आप बाज़ार में दालें खरीदने जाएंगे तो यह दालें जो आज 150 रुपये में बिक रही है वो हो सकता हा आपको 100 या 90 रुपये में मिले।

जुलाई में चीन ने 13,914 टन केस्टर तेल का आयात किया

आर एस राणा
नई दिल्ली। जुलाई महीने में चीन से 13,914.15 टन केस्टर तेल का आयात किया जोकि भारत से कुल निर्यात का 30 फीसदी है। इस दौरान चीन ने केस्टर तेल का आयात 1,051.76 डॉलर प्रति टन  (एफओबी) की दर से किया है। सूत्रों के अनुसार इस दौरान नीदरलैंड ने 1,075 टन, फ्रांस ने 1,020 टन केस्टर तेल का आयात जुलाई महीने में किया। नीदरलैंड ने जहां आयात औसतन 1,075 डॉलर प्रति टन की दर से किया वहीं फ्रांस ने 1,019 डॉलर प्रति टन की दर से आयात किया। इसके अलावा अमेरिका ने 5,450 टन तेल का आयात 1,117.83 डॉलर और अन्य देषों ने 8,792 टन का आयात 1,180.36 डॉलर प्रति टन की दर से किया।.......आर एस राणा

गुजरात में सूखे का डर हुआ खत्म, जमकर हुई बारिश

गुजरात में पिछले 2-3 दिनों की बारिश से सूखे का डर काफी हद तक खत्म हो गया है। राज्य में बारिश की कमी का स्तर गिरकर 3 फीसदी के भी नीचे आ गया है। दरअसल 2 दिनों में ही सौराष्ट्र और कच्छ में करीब 13 गुना ज्यादा बारिश हुई है। भारतीय मौसम विभाग के मुकाबले अगले 24 घंटे राज्य के कई इलाको में बारिश का दौर जारी रह सकता है। इस बीच देश भी में इस सीजन सामान्य से 3 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। इस दौरान देश के 61 फीसदी इलाकों में सामान्य बारिश हुई है, जबकि 28 फीसदी इलाकों में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई। सिर्फ 11 फीसदी ऐसे इलाके हैं, जहां अब तक सामान्य से कम बारिश हुई है।

06 अगस्त 2016

एग्री कमोडिटी में मुनाफे का अच्छा अवसर


एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........

आर एस राणा
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