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31 दिसंबर 2015

खुशगवार सर्दी में झुलस जाएगा गेहूं


इस साल सर्दी लोगों को शायद कुछ कम परेशान करेगी। अनुमान है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार देश में सर्दी का कहर उतना अधिक नहीं होगा। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार 2015-16 सर्दी का मौसम में ठंड दिनों की संख्या 2014-15 के मुकाबले कम रह सकती है। मौसम के इस बदले मिजाज का असर रबी फसलों पर जरूर हो सकता है। इसकी वजह यह है कि देश के उत्तरी मैदानी इलाकों में तापमान में अचानक बढ़ोतरी का असर गेहूं और सरसों के उत्पादन पर दिखेगा।
देश के कई हिस्सों में तापमान पहले ही बढऩा शुरू हो गया है। उत्तरी और देश के मध्य भागों में 2014 के मुकाबले अधिक तापमान दर्ज हो रहा है। 30 दिसंबर को दिल्ली में अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमश: 24 डिग्री और 4 डिग्री सेल्सियस था। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले यह कम से कम 2-3 डिग्री अधिक है। पहाड़ी इलाकों में 2014 के मुकाबले अधिकतम और न्यूनतम तापमान 1-2 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है। भारतीय मौसम विभाग में निदेशक, लॉन्ग रेंज फोरकास्ट, डी एस पई ने बताया, '2014 के मुकाबले इस बार देश के ज्यादातर भागों में ठंड का असर कम रहेगा।'
दक्षिण एशिया जलवायु परिदृश्य मंच के इस महीने जारी बयान में भी कहा गया है कि दिसंबर 2015 से फरवरी 2016 के बीच दक्षिण एशिया के ऊपरी हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान रह सकता है, जबकि बारिश सामान्य से कम रह सकती है। मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी संस्था स्काईमेट के मुख्य मौसम वैज्ञानिक महेश पलावत कहते हैं, 'इस साल सर्दी में अब तक भारी हिमपात के मौके कम देखे गए हैं। इसके साथ ही पश्चिम दिशा से आने वाली हलचल के बीच की अवधि 5-6 दिनों से कम रही है जिससे ये सर्द हवाओं का मार्ग अवरुद्ध कर रही है।' (BS Hindi)

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