प्याज का थोक मूल्य 10 रुपये प्रति किलो तक गिर जाने के मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार ने किसानों के लिए न्यूनतम निर्यात-मूल्य (एमईपी) की शर्त हटाने की अपील की है ताकि प्याज का निर्यात प्रोत्साहित हो।
सरकार ने अगस्त में प्याज की तेजी के बीच न्यूनतम निर्यात मूल्य 425 डॉलर से बढ़ाकर 800 डॉलर प्रति टन कर दिया था। न्यूनतम निर्यात मूल्य वह सीमा होती है जिसके नीचे मूल्य पर निर्यात की अनुमति नहीं होती। न्यूनतम निर्यात मूल्य में बढ़ोतरी से निर्यात सीमित रहता है और घरेलू आपूर्ति बढ़ती है। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'केंद्रीय कृषि मंत्रालय को लिखे एक पत्र में महाराष्ट्र सरकार ने प्याज से न्यूनतम निर्यात मूल्य हटाने की मांग की है ताकि निर्यात को प्रोत्साहन दिया जा सके और किसानों के हितों की रक्षा हो।' अधिकारी ने कहा कि भारत ने इस साल मई से अगस्त के दौरान 4,59,097 टन प्याज का निर्यात किया। न्यूनतम निर्यात मूल्य बढ़ाकर 700 डॉलर प्रति टन किए जाने के मद्देनजर सितंबर से निर्यात नहीं हुआ है।
नासिक की संस्था एनएचआरडीएफ ने कहा कि प्याज के थोक मूल्य घट रहे हैं क्योंकि 15 नवंबर से आवक बढ़ गई है हालांकि उत्पादन पिछले साल के मुकाबले थोड़ा कम रहने का अनुमान है। राष्ट्रीय उद्यानिकी अनुसंधान एवं विकास फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) के आंकड़ों के मुताबिक एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी, महाराष्ट्र के लासलगांव में इसके थोक मूल्य 10-14 रुपये प्रति किलो के बीच हैं जो अगस्त के 57 रुपये प्रति किलो के स्तर से बहुत कम है। एनएचआरडीएफ के निदेशक आर पी गुप्ता ने कहा, 'किसानों की लागत 8-9 रुपये प्रति किलो है और इस समय उन्हें भाव थोड़ा ही अधिक मिल रहा है। उनका मुनाफा पिछले महीनों के मुकाबले काफी घटा है।'
उन्होंने कहा कि जब प्याज का थोक मूल्य 50 रुपये प्रति किलो से अधिक था तो उन्हें उत्पादन लागत के मुकाबले चार गुना भाव मिल रहा था। अब मुनाफा 4-5 रुपये प्रति किलो सीमित रह गया है। आम तौर पर खरीफ मौसम के प्याज की आवक अक्टूबर से शुरू होती है और दिसंबर तक जारी रहती है। हालांकि इस बार प्याज देरी से उखाड़ा गया क्योंकि बुआई देरी से हुई थी। अब महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान से आवक तेज है। फसल वर्ष 2015-16 (जुलाई से जून) के दौरान प्याज उत्पादन 1.87 करोड़ टन से कम रहने का अनुमान हैं।
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