चालू कैलेंडर वर्ष में देश में चांदी आयात का नया रिकॉर्ड बना सकती है। इसकी वजह यह है कि ग्राहक अन्य धातु से बने नकली आभूषणों एवं अन्य सामान की जगह चांदी के आभूषणों एवं सामान को तरजीह देने लगे हैं। कीमती धातुओं पर सलाह देने वाली सलाहकार कंपनी स्मॉलगोल्ड डॉट कॉम के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल जनवरी से सितंबर तक 5,819 टन चांदी का आयात हुआ है। हालांकि सालाना आधार पर कैलेंडर वर्ष 2015 में चांदी का कुल आयात 7,759 टन अनुमानित है, जो भारत का अब तक का किसी कैलेंडर वर्ष में सबसे अधिक आयात है और यह पिछले साल की तुलना में करीब 10 फीसदी अधिक है।
कैलेंडर वर्ष 2014 के दौरान चांदी का कुल आयात 7,083 टन रहा था। भारत में चांदी का बढ़ता आयात इसकी कीमतें गिरने के बाद पिछले तीन वर्षों में ग्राहकों की पसंद में भारी बदलाव का संकेत देता है। बीते वर्षों से इतर अब ग्राहक यह मानने लगे हैं कि आभूषण, शिल्पकृति और सिक्के एवं सिल्ली सहित किसी भी रूप में खरीदी गई चांदी को बेचा जा सकता है। मुंबई में विश्व चांदी परिषद के उद्घाटन समारोह से इतर इंडिया बुलियन ऐंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहित कंबोज ने कहा, 'जनवरी से सितंबर तक आयात की मात्रा के रुझान से पता चलता है कि इस साल चांदी का आयात नया रिकॉर्ड बनाएगा।'
आईबीजेए के तहत ही विश्व चांदी परिषद को चांदी खनिकों, आयातकों, रिफाइनरों, कारोबारियों, आभूषण विनिर्माताओं और इस सफेद धातु से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े अन्य सभी लोगों के हितों के संरक्षण के लिए शुरू किया गया था। विश्व चांदी परिषद के अलावा आईबीजेए ने दो अन्य पहल की हैं, जो उसकी कंपनी सामाजिक उत्तरदायित्व पूरे करने के लिए फस्र्ट स्टेप फाउंडेशन और उद्योग में कारीगरों का कौशल बढ़ाने में मदद देने के लिए कौशल विकास परिषद हैं। इन पहलों का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल राम नाथ कोविंद ने किया था।
भारत में चांदी की ज्यादातर मांग आभूषणों और अन्य वस्तुओं के लिए आ रही है क्योंकि उपभोक्ताओं को लगता है कि चांदी को बेचकर अच्छी कीमत मिल सकती है। गिरती कीमतों की वजह से ग्राहक नकली आभूषण एïवं धातु की शिल्पकृतियों के स्थान पर चांदी के गहनों को तरजीह दे रहे हैं। वर्ष 2014 में 19.31 फीसदी की भारी भरकम गिरावट के बाद चांदी की कीमतें वर्ष 2015 में भी करीब 8 फीसदी लुढ़की हैं। इसका मतलब है कि जिंसों में गिरावट के कारण ग्राहकों के लिए चांदी किफायती हो गई है। पिछले दो साल में चांदी 26 फीसदी से अधिक टूटकर आज 14.62 डॉलर प्रति औंस पर आ गई, जो 1 जनवरी 2014 को 19.47 डॉलर पर थी।
घरेलू मुद्रा में भी इतनी ही गिरावट आई है। इस समय मुंबई के जवेरी बाजार में चांदी की कीमत 34,200 रुपये प्रति किलोग्राम बोली जा रही है, जो 1 जनवरी 2014 को 43,800 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर से 22 फीसदी नीचे है। जवेरी बाजार में चांदी के आभूषणों एवं शिल्पकृतियों की विनिर्माता सिल्वर एम्पोरियम के प्रबंध निदेशक राहुल मेहता ने कहा, 'आयातित चांदी के एक बड़े हिस्से का इस्तेमाल आभूषण एïवं शिल्पकृतियां बनाने में होता है। उद्योग ने यह रुझान दर्ज किया है कि कीमतों में कमी की वजह से नकली आभूषणों के बहुत से ग्राहक अब चांदी के गहने खरीदने लगे हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि नकली गहनों की मांग पूरी तरह खत्म हो गई है। लेकिन चांदी के आभूषणों की बढ़ी मांग के चलते उनकी औसत सालाना वृद्धि दर में कमी आई है।' (BS Hindi)
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