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04 दिसंबर 2015

नवंबर महीने में खली निर्यात में 41 फीसदी की गिरावट


विष्व बाजार में भाव कम होने से सोयाबीन प्लांट का खस्ता हुई हालत
आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू बाजार में तिलहनों के दाम ज्यादा है जबकि विष्व बाजार में खली की कीमतें कम है जिसका असर खली के निर्यात पर पड़ रहा है। नवंबर महीने में देष से खली के निर्यात में 41 फीसदी की भारी गिरावट आई है जबकि चालू वित वर्ष 2015-16 के पहले सात महीनों में निर्यात में 38 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
साल्वेंट एक्सर्टक्टर्स एसोसिएषन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार नवंबर महीने में देष से केवल 112,081 टन खली का निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल नवंबर महीने में 189,032 टन खली का निर्यात हुआ था। चालू वित वर्ष 2015-16 के पहले सात महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान 895,646 टन खली का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्ष की समान अवधि में 1,452,105 टन खली का निर्यात हुआ था।
एसईए के अनुसार घरेलू बाजार में कच्चे माल की कीमतें ज्यादा है जबकि विष्व बाजार में खली के दाम नीचे बने हुए हैं। जापान भारत से हर साल बड़ी मात्रा में खली का आयात करता था लेकिन अब उन्होंने जीएम खली का आयात षुरु कर दिया है जोकि भारत की तुलना में सस्ता है। जापान के साथ ही, ईरान, थाइलैंड, इंडोनेषिया, ताइवान और वियतनाम ने खली का आयात कम किया है।
हालांकि अक्टूबर के मुकाबले नवंबर महीने में घरेलू बाजार में खली की कीमतों में गिरावट आई है लेकिन इसके बावजूद भी विदेषी बाजार में दाम कम है। भारत से सबसे ज्यादा सोया खली का निर्यात किया जाता है। अक्टूबर महीने में सोया खली का भाव भारतीय बंदरगाह पर 511 डॉलर प्रति टन था जोकि नवंबर में घटकर 489 डॉलर प्रति टन रह गया। इसी तरह से सरसों खली का भाव इस दौरान 302 डॉलर से घटकर 287 डॉलर प्रति टन रह गया। हालांकि इस दौरान मूंगफली की खल का भाव 448 डॉलर से बढ़कर 453 डॉलर प्रति टन हो गया।
चालू वित वर्ष के पहले सात महीनों में वियतनाम को खली निर्यात में सबसे ज्यादा कमी 85.24 फीसदी की देखी गई जबकि ताईवान को 53.29 फीसदी, जापान को 70.64 फीसदी और म्यमांर को 36.99 फीसदी की आई।--------आर एस राणा

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