केंद्र सरकार 2 लाख रुपये और इससे अधिक किसी भी लेन-देन पर पैन कार्ड
की आवश्यकता अगले माह से अनिवार्य करने जा रही है। इससे आभूषण विक्रेताओं
को कारोबार घटने का डर सता रहा है। कारोबारियों ने सरकार से इस क्षेत्र के
लिए पैनकार्ड की इस बाध्यता को लागू न करने के साथ मौजूदा 5 लाख रुपये की
सीमा बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने की मांग की है।
ऑल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन (जीजेएफ) के अध्यक्ष
श्रीधर जी वी ने कहा कि ज्वैलरी का 70 फीसदी कारोबार ग्रामीण क्षेत्र में
होता है। इस क्षेत्र के ज्यादातर खरीदार ना तो आयकर दायरे में आते हैं और
ना ही उनके पास पैनकार्ड होता है। इस क्षेत्र के खरीदार शादी हेतु आमतौर पर
कम से कम 3 से 5 लाख रुपये के गहने खरीदते हैं। लिहाजा पैनकार्ड
अनिवार्यता से ज्वैलरों का धंधा चौपट हो जाएगा। जीजेएफ के निदेशक अशोक
मीनावाला ने कहा कि पैन अनिवार्यता के नियम से सबसे ज्यादा नुकसान संगठित
क्षेत्र के ज्वैलरों को होगा क्योंकि लोग असंगठित क्षेत्र के ज्वैलरों के
पास चले जाएंगे।
इस कदम से तस्करी भी बढ़ेगी। जैसा कि स्वर्ण आयात शुल्क बढऩे से हो
रहा है। जेम्स ऐंड ज्वैलरी काले धन का स्रोत भी नहीं है। काले धन का स्रोत
सोना हो सकता है। करोलबाग ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय खन्ना ने कहा
कि बीते कुछ सालों से ज्वैलरी कारोबार सुस्त चल रहा है। ऐसे में पैन कार्ड
अनिवार्यता लागू होने से खासकर संगठित क्षेत्र के ज्वैलरों को और नुकसान
होगा। सरकार को ज्वैलरी क्षेत्र के लिए पैनकार्ड की बाध्यता खत्म करनी
चाहिए। जीजेएफ ने केंद्र सरकार से सोना-चांदी, जेम्स ऐंड ज्वैलरी व ज्वैलरी
मशीनों पर लगने वाले आयात शुल्क को भी कम करने की मांग की है। श्रीधर ने
कहा आयात शुल्क 10 फीसदी होने पर भी इस वित्त वर्ष रिकॉर्ड 1000 टन सोना
आयात होने का अनुमान है। गलत तरीके व तस्करी के जरिये करीब 100 टन सोना
आयात होने की संभावना है। (BS Hindi)
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