प्याज की आवक तेजी से बढऩे और कम निर्यात मांग के कारण चालू सीजन में पहली बार गुरुवार को इस जिंस के दाम बेंचमार्क लासलगांव मंडी में उत्पादन लागत से नीचे आ गए। किसान प्याज खराब होने की चिंता में अपनी उपज की बिक्री कर रहे हैं, जिससे नासिक की थोक मंडी में दाम सीजन के सबसे निचले स्तर 7 रुपये प्रति किलोग्राम तक लुढ़क गए। लेकिन निर्यातकों के मंडियों में न आने के बावजूद अच्छी किस्म के प्याज के दाम 16 रुपये प्रति किलोग्राम चल रहे हैं, जिससे औसत मॉडल कीमत 11.50 रुपये प्रति किलोग्राम बैठती है।
प्याज की कीमत 7 रुपये प्रति किलोग्राम इसकी उत्पादन एवं रखरखाव लागत से थोड़ी कम है। बीज एवं उर्वरक की ऊंची लागत के कारण अकेली उत्पादन लागत ही 5.50 से 6 रुपये प्रति किलोग्राम आती है, जबकि नमी कम रखने के लिए सूखा पाउडर छिड़का जाता है, जिस पर 1.5 से 2 रुपये प्रति किलोग्राम की लागत और आती है। हालांकि खुदरा बाजारों में प्याज के दाम 25 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच बने हुए हैं। नासिक के थोक कारोबारी और शिवक्रूपद टे्रडर्स के मालिक संजय सनप ने कहा, 'सभी खर्चों को देखते हुए अभी प्याज की उत्पादन लागत 7.50 से 8.00 रुपये प्रति किलोग्राम आती है। इसके साथ ही नमी को कम रखने पर भी खर्च आता है। देश के प्याज उत्पादन प्रमुख क्षेत्रों में बेमौसम बारिश हुई है, इसलिए किसानों को प्याज को खराब होने से बचाने के लिए पाउडर छिड़कना होगा।
नए सीजन की फसल बड़ी मात्रा में आती है, इसलिए भंडारित प्याज गोदामों में भरी रह जाती है। निर्यातकों के मंडियों में खरीदारी के लिए नहीं आने से कम मांग के कारण किसानों 7 रुपये प्रति किलोग्राम की वर्तमान कीमत पर नुकसान हो रहा है।' हालांकि अच्छी किस्म का प्याज थोड़ा मुनाफा दे रहा है। प्याज के दाम थोक और खुदरा बाजारों में तेजी से गिरे हैं। थोक लासलगांव मंडी में सामान्य किस्म के प्याज के दाम पिछले एक महीने में 59 फीसदी गिरकर अब 11.50 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गए हैं, जो एक महीने पहले 28 रुपये प्रति किलोग्राम थे। मुंबई में भी थोक भाव पिछले एक महीने में करीब आधे गिरकर 14 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गए हैं। हालांकि खुदरा विक्रेताओं ने उपभोक्ताओं के लिए कीमतों में इतनी कमी नहीं की है। मुंबई में प्याज के खुदरा दाम 37.5 फीसदी घटे हैं, जबकि इसकी थोक कीमतों मे 50 फीसदी गिरावट आई है।
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ) के निदेशक आर पी गुप्ता ने कहा, 'सरकार को किसानों का हित देखना चाहिए। कीमत एक तय स्तर से नीचे गिरने के कारण किसान निश्चित रूप से हतोत्साहित होंगे और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में छोटे-मोटे विरोध प्रदर्शनों की खबरें भी आई हैं। ऐसा लगता है कि सरकार प्याज की कीमतों में तेजी रोकने के लिए एमईपी में बड़ी कटौती नहीं करेगी।' (BS Hindi)
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