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26 दिसंबर 2015

गन्ने की बेहतर पेराई... चीनी कीमतों में तेजी आई


चालू सीजन में गन्ने की बेहतर पेराई के बावजूद चीनी की कीमतें मजबूत बनी हुई है। पिछले छह महीने से चीनी के दाम करीब 25 फीसदी बढ़ चुके हैं। घरेलू बाजार में पर्याप्त स्टॉक होने और अधिक उत्पादन की संभावनाओं के बावजूद कीमतें बढऩे की वजह मिल मालिकों की यह उम्मीद है कि निर्यात मांग में बढ़ोतरी होगी। मुनाफे की मिठास की इसी आस में निवेशक वायदा बाजार में दाव लगा रहे हैं। 
 इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के आंकड़ों के मुताबिक मुंबई थोक बाजार वाशी में चीनी के दाम बढ़कर 2887 रुपये (एम - 30) हो गए। पिछले एक महीने में हाजिर बाजार में एस-30 ग्रेड की कीमत 8 फीसदी और एम 30 की कीमत मेंं 5.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जबकि छह महीने में इन दोनों ग्रेड की दाम 25.2 फीसदी और 22.7 बढ़ चुके हैं। वायदा बाजार में चीनी की मिठास और तेजी से बढ़ी है। पिछले छह महीने में वायदा बाजार में चीनी के भाव 36 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुके हैं। एनसीडीईएक्स में चालू अनुबंध (मार्च 2016) की चीनी के दाम 3052 रुपये प्रति क्ंिवटल तक पहुंच गए जबकि छह महीने पहले इस अनुबंध में चीनी के दाम 2242 रुपये प्रति क्ंिवटल बोले जा रहे थे। जुलाई अनुबंध में चीन 3209 रुपये तक पहुंच गई है। 
 खुदरा बाजार में भी चीन 45 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी है। उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस समय देश में चीनी की औसत कीमत 36 रुपये किलोग्राम हो चुकी है जो एक महीना पहले 32 रुपये किलो थी। चीनी कारोबारियों की मानी जाए तो स्टॉकिस्टों की खरीदारी की वजह से कीमतें बढ़ रही हैं। स्टॉकिस्टों और चीनी मील मालिकों को इस साल निर्यात बढऩे की उम्मीद है जिससे चीनी का भारी स्टॉक कम करने में मदद मिलेगी और यही वजह है कि कीमतें बढ़ रही है। देश के चीनी उत्पादक राज्यों में सूखे की स्थिति के कारण उत्पादन कम होने की आशंका जताई जा रही थी हालांकि अभी तक के गन्ना पेराई के आंकड़े पिछले साल की अपेक्षा बेहतर हैं। कारोबारियों का मानना है कि फिलहाल चीनी की कीमतें अब स्थिर रहने वाली हैं क्योंकि पेराई अच्छी होने के आंकड़े आ रहे हैं। लेकिन सूखे का असर अगले साल देखने को मिल सकता है। निर्यात बढऩे से स्टॉक कम होगा जबकि सूखे से उत्पादन प्रभावित होगा जो कीमतों पर असर डालेगा।
 एसएमसी रिसर्च फर्म की कमोडिटी जानकार वंदना भारतीय के मुताबिक सरकार ने गैसोलीन में एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य बढ़ाकर दोगुना यानी 10 फीसदी करने की घोषणा की है। बढ़ते प्रदूषण पर  नियंत्रण के लिए सरकार स्वच्छ ईधन और चीनी उद्योग की मदद करने की कोशिश कर रही है। हाजिर बाजार में मांग और आपूर्ति लगभग बराबर होने के कारण कीमतों में थोड़ी स्थिरता है लेकिन मिलों के स्तर पर मांग के अभाव के कारण उत्पादकों ने बिक्री के लिए कीमतों में कमी की संभावना को खुला रखा है। नवी मुंबई (वाशी) एपीएमसी में इस समय लगभग 115-120 ट्रक चीनी का भंडार है । 
 चालू चीनी वर्ष में चीन का उत्पादन अधिक होने की आशा है। गन्ने की पेराई पिछले साल से करीब 13.2 फीसदी ज्यादा हुई है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के मुताबिक इस साल 15 दिसंबर तक देश की 440 मिलों में 47.86 लाख टन  गन्ने के रस का उत्पादन हुआ जबकि पिछले साल 453 मिलों में 42.29 लाख लीटर का उत्पादन हुआ था। (BS Hindi)


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