कारोबारियों ने दालों पर स्टॉक सीमा और उनके गोदामों पर छापेमारी के विरोध में कारोबार बंद करने की धमकी दी है। सैकड़ों मिल मालिक, खुदरा विक्रेता और स्टॉकिस्ट शनिवार को मुंबई के पास वाशी में इक्ट्ठा हुए और उन्होंने देश के तीन सबसे बड़े दलहन उत्पादक राज्यों- महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में वर्तमान छिपपुट विरोध को तेज करने का फैसला किया। उन्होंने इससे पहले चेतावनी दी थी कि अगर सरकार ने दालों पर स्टॉक सीमा खत्म नहीं की और हाल की खापेमारी में जब्त स्टॉक नहीं छोड़ा तो वे बेमियादी हड़ताल पर जाएंगे। वाशी स्थित स्टॉकिस्ट और दलहन कारोबारियों के प्रवक्ता देवेंद्र वोरा ने कहा, 'हम कई बार महाराष्ट्र सरकार के पास अपने प्रतिनिधिमंडल भेज चुके हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि अधिकारी हमारी चिंताओं को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। हमारे पास हड़ताल पर जाने के अलावा और कोई चारा नहीं है।'
महाराष्ट्र ने 18 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की थी कि खुदरा विक्रेता सभी दालों का अधिकतम स्टॉक 300 टन रख सकते हैं। राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और मध्य प्रदेश ने भी दालों पर स्टॉक सीमा लगा दी है। महाराष्ट्र ने अधिसूचना जारी होने के तीन घंटे बाद छापेमारी शुरू कर दी थी और दालों का बड़ा स्टॉक जब्त किया था। इसके बारे में सरकार का दावा था कि यह जमाखोरी है, जबकि स्टॉकिस्टों ने जरूरत के मुतााबिक किया गया आयात बताया था। देशभर में छापामारी से सभी तरह की करीब 80,000 टन दालें जब्त की गई थीं।
इंडिया पल्सेज ऐंड ग्रेन्स एसोसिएशन ( आईपीजीए) के वाइस-चेयरमैन बिमल कोठारी ने कहा, 'आमतौर पर कानून में कोई बदलाव करते समय स्टॉकिस्टों को अपना अतिरिक्त स्टॉक बेचने के लिए समय दिया जाता है। 18 अक्टूबर तक सभी सौदे उस समय के कानून के मुताबिक किए गए, इसलिए नया कानून लागू करने से पहले कारोबारियों को स्टॉक बेचने दिया जाए।'
कारोबारियों ने तीन दिन में अपना स्टॉक बेचने और सरकार के जब्त स्टॉक छोडऩे और स्टॉक सीमा वापस लेने तक नए सौदों से दूर रहने की चेतावनी दी है। कोठारी ने कहा, 'प्रमुख उत्पादक राज्यों में सूखे की वजह से इस साल उड़द का उत्पादन कम हुआ। हालांकि चने और मसूर का उत्पादन ठीक हुआ, लेकिन अरहर और उड़द की कीमतों में उछाल से चने की कीमतें भी बढ़ गईं। अरहर की नई फसल दिसंबर के तीसरे सप्ताह तक बाजार में आने और इसकी कीमत सामान्य स्तर पर आने के आसार हैं।'
अरहर की दाल की कीमत खुदरा बाजारों में अक्टूबर में 200 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई थी और उड़द, चना और मसूर की कीमतें भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं। मध्य प्रदेश पल्सेज ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मोतीराम वाधवानी ने कहा, 'जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती तब तक हम तीन महीनों के लिए मिलों को बंद करना शुरू कर देंगे। चालू सीजन में हम नई दालें नहीं खरीदेंगे।' सरकार के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक खरीफ सीजन में दालों का उत्पादन 55.6 लाख टन हुआ, जो 70 लाख टन के लक्ष्य और पिछले सीजन के उत्पादन 56.3 लाख टन से कम है। सरकार इस साल रबी सीजन में बुआई में तेजी से बढ़ोतरी की उम्मीद कर रही थी, लेकिन कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई से किसान आमदनी को लेकर चिंतित हैं। इस सीजन में अब तक रबी दलहनों के रकबे में 11 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद स्थित नर्मदा दाल मिल ऐंड वेयरहाउस के मालिक योगेश प्रसाद पांडेय ने कहा, 'समस्या तब पैदा होगी जब आने वाले महीनों में नए सीजन की अरहर की फसल मिलों में प्रसंस्करण के लिए आनी शुरू होगी। सरकार को उससे पहले समस्याओं को सुझलाना चाहिए।'