अजय मित्रा, प्रबंध निदेशक (भारत एवं पश्चिम एशिया), वल्र्ड गोल्ड काउंसिल
सोने में निवेश करने वाले निवेशकों को निराश नहीं होना पड़ा है। यही वजह है कि साल दर साल सोने की कीमतें बढऩे के बावजूद मांग में कमी नहीं आ रही है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता की चलते निवेश के दूसरे विकल्पों में जोखिम बढ़ता जा रहा है और हाल में सोने की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया है। इन परिस्थितियों में सोने में निवेश करना किस हद तक सही होगा। इस मुद्दे पर वल्र्ड गोल्ड काउंसिल केप्रबंध निदेशक (भारत एवं पश्चिम एशिया) अजय मित्रा से सुशील मिश्र ने बात की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश : / October 16, 2011
सोने की कीमतें काफी बढ़ी हैं, जिससे यह आम आदमी की पहुंच से दूर होता जा रहा है?इस बात से मैं सहमत नहीं हूं। अगर ऐसा होता तो सोने की सभी श्रेणियों की मांग नहीं बढ़ती। इस साल जनवरी में प्रति 10 ग्राम सोने की औसत कीमत 20,317 रुपये थी, जो अब तक 28 फीसदी बढ़कर 26,172 रुपये हो गई है। इसके बावजूद चालू वर्ष की पहली छमाही (जनवरी-जून) में सोने की मांग में 22 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस दौरान कुल 540.10 टन सोने का आयात हुआ, जबकि पिछले साल की समान अवधि के दौरान 443.80 टन सोने का आयात हुआ था। इसमें 346 टन सोना ज्वैलरी और 194.10 टन निवेश के दूसरे विकल्प (सिक्के, बार, ईटीएफ) के तौर इस्तेमाल हुआ है।बाजार में अनिश्चिता का माहौल है, जबकि सोने की कीमतें काफी ज्यादा हैं। क्या इसका कुछ फर्क निवेशकों के रुझान पर दिखाई दे रहा है?सोने में निवेश करने वालों को निराश नहीं होना पड़ा है। पिछले 10 सालों से सोने में निवेश करने वालों को हर साल औसतन 24 फीसदी रिटर्न प्राप्त हुआ है। जबकी निवेश के दूसरे विकल्पों में ऐसा नहीं देखने को मिला है। यही वजह है कि सोने के प्रति निवेशकों का विश्वास साल दर साल बढ़ रहा है। कीमतें बढऩे की वजह से लोगों की सोच बदल गई है। अब लोग ईटीएफ के जरिये सोने में निवेश करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं, जबकि खुदरा निवेशक सोने के बार या सिक्के खरीद रहे हैं। क्योंकि जब लोगों को आभूषण बनवाने होते हैं तो एक साथ पूरा सोना खरीदना आम आदमी के लिए संभव नहीं होता है।सोने के प्रति चीनी लोगों का लगाव बढ़ता जा रहा है, जिसको देखते हुए कहा जा रहा है कि चीन सोने की खरीदारी के मामले में भी भारत को पीछे छोड़ देगा?इस साल की दूसरी तिमाही में सोने की कुल वैश्विक मांग 919.8 टन रही। इस दौरान भारत ने 248.3 टन और चीन ने 166 टन सोने का आयात किया। ये दोनों देश सोने के सबसे बड़े बाजार हैं। भारत इस दृष्टि से सबसे आगे है। 2010 में सोने में निवेश करने की रफ्तार चीन की थोड़ी ज्यादा थी, लेकिन कुल निवेश में वह भारत से काफी पीछे था। भारतीयों के लिए सोना निवेश के साधन से पहले संस्कृति से जुड़ा हुआ है, जिसकी वजह से फिलहाल भारत को पीछे छोड़ पाना किसी भी देश के लिए मुश्किल है। चीन की प्रति व्यक्ति आय और जनसंख्या दोनों भारत से ज्यादा हैं, ऐसे में वह भारत से आगे निकलता है तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। दूसरी तिमाही के आकड़ों पर नजर डालें तो पिछले वर्ष की सामान्य अवधि की अपेक्षा भारतीयों ने इस बार सोने में 38 फीसदी ज्यादा निवेश किया है जबकि चीन में 28 फीसदी निवेश बढ़ा है।इस साल सोने के रिकॉर्ड आयात की बात कही जा रही है। इसमें कितनी सच्चाई है?अभी तक हमारे पास आयात और बिक्री के छमाही आंकड़े उपलब्ध हैं। 2011 की पहली छमाही के दौरान 540.1 टन ( पहली तिमाही में 291.8 और दूसरी तिमाही में 248.3 टन) सोने का आयात हुआ है। दूसरी छमाही में त्योहारी और शादी विवाह का सीजन होने की वजह से उम्मीद की जा रही है कि इस बार सोने का आयात 1,000 टन को पार कर जाएगा। इस साल देश में मॉनसून बेहतर होने की वजह से कृषि उत्पादन भी बढऩे की उम्मीद है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी सोने की मांग तेजी से बढ़ सकती है।सोने की कीमतों को आप कहां देखते हैं?कल कीमतें क्या होंगी? यह बताना हमारी नीतियों में शामिल नहीं है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चिता और बाजारों में मंदी की आहट से लोग परेशान हैं। रियल एस्टेट की हालात खस्ता है। ऐसे माहौल में लोग जोखिम नहीं लेना चाह रहे हैं, जिससे पूरी दुनिया में सोने के प्रति निवेशकों की चाहत बढ़ती जा रही है। जबकि सोने की मात्रा सीमित है। मांग की अपेक्षा आपूर्ति कम रहने की संभावना है। ऐसे में कीमतों को बढऩा लगभग तय है। देश के अलग-अलग हिस्सों में सोने की कीमतों में अंतर देखने को मिलता है। इसकी कीमतों में समानता कैसे आएगी?अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों में समानता के बावजूद भारत में हर राज्य और महानगर में सोने की कीमतें अलग-अलग होती हैं। क्योंकि राज्यों के कर ढांचों में फर्क है। इसके अलावा महानगर पालिकाओं द्वारा लगाए जाने वाले कर में भी विभिन्नता होती है। लेकिन जीएसटी आने के बाद पूरे देश में सोने की कीमतें एक समान्य हो जाएगी।सोने के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए डब्ल्यूजीसी की तरफ से क्या कदम उठाए गए हैं?सोने के प्रति छोटे निवेशकों को आकर्षित करने के लिए हमने एक जागरुकता अभियान शुरू किया है, जो 2 अक्टूबर से धनतेरस तक चलेगा। इसके तहत हम लोगों से अपील कर रहे हैं कि इस त्योहारी सीजन में आप जब खरीदारी करने जाएं तो पैसा खर्च करने नहीं, बल्कि निवेश करने जाएं। (BS Hindi)
17 अक्तूबर 2011
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