नई दिल्ली October 16, 2011
मॉनसून के पूर्वानुमान गलत साबित होने के लिए प्रशांत महासागर के ऊपर ला नीना मौसम चक्र बनने को जिम्मेदार बताते हुए भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने स्वीकार किया कि 2011 में दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून के दीर्घकालीन अनुमान वास्तविक बारिश से कम रहे और इसलिए ये सटीक नहीं थे।इस साल मॉनसून के पूर्वानुमान में अपनी गलती स्पष्ट रूप से स्वीकार करते हुए देश में मौसम के पूर्वानुमान लगाने वाले सर्वोच्च संस्थान ने कहा कि जून से सितंबर तक के अंतिम दो महीनों के लिए जारी किए गए पूर्वानुमान विशेष रूप से गलत साबित हुए।देश में इस साल पूरे सीजन के दौरान वास्तविक बारिश दीर्घकालीन औसत (एलपीए) का करीब 101 फीसदी रही। जबकि मौसम विभाग के पूर्वानुमान में कहा गया था कि मॉडल गलती के कारण 4 फीसदी ऊपर-नीचे सहित इस साल बारिश एलपीए का 95 फीसदी यानी सामान्य से कम रह सकती है। संयोग से दूसरा पूर्वानुमान 21 जून को जारी किया गया, जब तक मॉनसून देश के ज्यादातर हिस्से तक पहुंच चुका था। दूसरे पूर्वानुमान में तय की गई गलती सीमा (एरर लिमिट) से वास्तविक बारिश 2 फीसदी अधिक रही। आश्चर्यजनक रूप से भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) द्वारा 19 अप्रैल को जारी किया गया पहले चरण का पूर्वानुमान दूसरे पूर्वानुमान से ज्यादा सही प्रतीत होता है, क्योंकि बारिश पहले पूर्वानुमान की सीमा में ही रही।भारतीय मौसम विभाग ने दक्षिणी पश्चिमी मॉनसून के बारे मेें अपनी सीजन की अंतिम रिपोर्ट में कहा है कि '2011 में दक्षिणी पश्चिमी मॉनसून के लिए जारी किए गए दीर्घकालीन पूर्वानुमान वास्तविक बारिश से कम थे और इसलिए बहुत सटीक नहीं थे।'न केवल समग्र बल्कि भारतीय मौसम विभाग के माहवार और क्षेत्रवार जारी किए गए पूर्वानुमान अपने रास्ते से भटक गए और कुछ मामलों में तो यह गलती की सीमा को भी पार गए। भारतीय मौसम विभाग ने कहा था कि जुलाई, अगस्त और सितंबर में बारिश क्रमश: एलपीए का 93 फीसदी, 94 फीसदी और 90 फीसदी रहेगी, जिसमें मॉडल की खामी के चलते जुलाई-अगस्त में बारिश 9 फीसदी और सितंबर में 15 फीसदी ऊपर-नीचे हो सकती है। लेकिन वास्तव में जुलाई में वास्तविक बारिश एलपीए की 85 फीसदी रही, जबकि अगस्त और सितंबर में यह क्रमश: एलपीए की 110 और 106 फीसदी रही। कहने का मतलब है कि भारतीय मौसम विभाग ने जुलाई में बारिश के पूर्वानुमान अधिक लगाया जबकि अगस्त और सितंबर में कम कर दिया। क्षेत्रवार भारतीय मौसम विभाग ने कहा था कि उत्तर पश्चिमी भारत में उसका पूर्वानुमान गलती की सीमा से 2 फीसदी अधिक और उत्तर पश्चिम में एक फीसदी कम था। हालांकि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में वास्तविक बारिश पूर्वानुमान में वर्णित गलती सीमा से 7 फीसदी अधिक रही। केवल दक्षिणी भारत में बारिश मौसम विभाग द्वारा पूर्वानुमानित सीमा में रही। (BS Hindi)
17 अक्तूबर 2011
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