कोच्चि October 12, 2011 |
देश में प्राकृतिक रबर के भंडार पर चल रहे विवाद के बीच रबर बोर्ड ने अब तक के सर्वोच्च भंडार का आंकड़ा सामने रखा है। उत्पादन, उपभोग, भंडार आदि पर बोर्ड के ताजा आंकड़ों में कहा गया है कि 30 सितंबर तक देश में रबर का कुल 2,79,477 टन का भंडार था। रबर का यह भंडार पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 46,381 टन ज्यादा है।
बोर्ड के ताजा आंकड़ों से देश में रबर के वास्तविक भंडार को लेकर एक और विवाद खड़ा हो गया है। ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटमा) और ऑल इंडिया रबर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (एआईआरआईए) ने रबर भंडार का आकलन करने के तरीके को गलत करार दिया है क्योंकि यह बाजार की वास्तविक स्थिति के प्रतिकूल है। एटमा के महानिदेशक राजीव बुद्धिराजा ने कहा - रबर बोर्ड एक ओर भारी भरकम भंडार का दावा कर रहा है, वहीं दूसरी ओर पिछले कुछ महीने से बाजार रबर की किल्लत का सामना कर रहा है। यह वास्तविक आंकड़ा नहीं है क्योंकि इसके आकलन में गंभीर सांख्यिकीय गलतियां हैं और इसका आकलन पिछले साल के आंकड़ों के जरिए किया गया है। वास्तव में स्थानीय बाजार के पास अधिकतम 1.80 लाख टन का बिक्री योग्य स्टॉक है।
एआईआरआईए के अध्यक्ष विनोद टी साइमन ने कहा कि रबर के भंडार का आकलन सिर्फ और सिर्फ बिक्री योग्य उपलब्ध स्टॉक पर आधारित होना चाहिए। लेकिन बोर्ड बिक चुके स्टॉक को भी इसमें शामिल कर रहा है और यह विभिन्न विनिर्माण कंपनियों का भंडार है। भंडार में पड़ा माल बिक्री योग्य स्टॉक नहीं होता, जिसका इस्तेमाल बाद में किया जा सकता है। दुर्भाग्य से बोर्ड इस माल को स्टॉक में शामिल करता है, जो गंभीर गलती है। उनका कहना है कि भ्रामक आंकड़े रबर से जुड़े मुद्दों मसलन आयात शुल्क में कटौती, शुल्क मुक्त आयात आदि पर लिए जाने वाले नीतिगत निर्णय पर असर डालते हैं। करीब 1.20 लाख टन का भंडार विनिर्माताओं के पास पड़ा हुआ है। ऐसे में वास्तविक स्टॉक 1.60 लाख टन का है।
राजीव ने कहा कि रबर बोर्ड को स्टॉक की परिभाषा में भी परिवर्तन करना चाहिए। विनिर्माताओं व प्रसंस्करण केंद्रों पर उपलब्ध स्टॉक को भंडार में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। कोचीन रबर मर्चेंट्स एसोसिएशन (सीआरएमए) के पूर्व अध्यक्ष एन. राधाकृष्णन ने कहा कि रबर बोर्ड बाजार में भारी भरकम स्टॉक की मौजूदगी का दावा कर रहा है, ऐसे में कीमतें काफी नीचे आ जानी चाहिए। स्थानीय बाजार में रबर की किल्लत है और उद्योग की जरूरत के मुताबिक कारोबारी इसकी खरीद नहीं कर पा रहे हैं। यहां तक कि उत्पादन के मुख्य सीजन में भी इसकी बिक्री का दबाव नहीं है। अगर बाजार में भारी भरकम स्टॉक है तो इसकी बिक्री का दबाव फिलहाल नजर आना चाहिए था। लेकिन ऐसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा। ऐसे में बोर्ड का आंकड़ा सही नहीं है।
इस बीच, उपभोक्ता उद्योग की तरफ से कड़े प्रतिरोध के बीच रबर बोर्ड ने स्टॉक के आकलन से जुड़े मुद्दे के अध्ययन के लिए एक समिति का गठन किया है। समिति इस महीने के आखिर तक रबर बोर्ड को रिपोर्ट सौंप सकती है। उद्योग को उम्मीद है कि अगर रिपोर्ट मंजूर कर ली जाएगी तो आकलन के तरीके में बड़ा फेरबदल हो सकता है। बोर्ड ने भी स्पष्ट किया है कि उपरोक्त स्टॉक वास्तव में खरीद के लिए नहीं भी उपलब्ध हो सकता है, लिहाजा बोर्ड यह स्वीकार कर रहा है कि रबर के स्टॉक के आकलन में कुछ गंभीर खामियां हैं।
इस बीच, मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर के दौरान प्राकृतिक रबर के निर्यात में 360 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। रबर बोर्ड के शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 16,503 टन रबर का निर्यात हुआ जबकि पिछले साल की समान अवधि में 4558 टन रबर का निर्यात हुआ था। इस अवधि में हालांकि आयात में गिरावट आई और यह पिछले साल के 1,18,535 टन के मुकाबले घटकर 88,760 टन रह गया। कुल मिलाकर आयात में 27 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर के दौरान उत्पादन में 4.3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। बोर्ड के मुताबिक, इस अवधि में 3,91,400 टन रबर का उत्पादन हुआ जबकि पिछले साल की समान अवधि में 3,75,250 टन रबर का उत्पादन हुआ था। (BS Hindi)
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