15 अक्तूबर 2011
नाफेड को उबारने के लिए सरकार की कड़ी शर्तें
सरकार ने नाफेड को वित्तीय संकट से उबारने के लिए कठोर शर्ते रखी हैं, जिनमें सरकार को 51 फीसदी हिस्सेदारी का हस्तांतरण और प्रबंध निदेशक और मुख्य वित्तीय अधिकारी समेत शीर्ष अधिकारियों की नियुक्ति और हटाने का अधिकार दिया जाना शामिल है। सूत्रों ने बताया कि सहकारी कृषि संस्था नाफेड ने अभी इन शर्तों को स्वीकार नहीं किया है। इन अधिकारों से संगठन पर सरकार का नियंत्रण और मजबूत हो जायेगा। अगर प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया गया तो सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि नाफेड को मुख्य कार्यों से हटकर किसी और गतिविधि में संलग्न होने की अनुमति न दी जाए। इनमें बेकार के कारोबारी गठजोड़ शामिल हैं। वर्ष 2003 से वर्ष 2006 की अवधि के दौरान नाफेड द्वारा इस तरह के जो व्यावसायिक गठजोड़ किए गए उसके कारण 1,600 करोड़ रुपए का खराब ऋण उत्पन्न हुआ यानी ऋण फंस गया। नाफेड ने 62 निजी कंपनियों को 3,945 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता भी प्रदान की थी। इनमें से गठजोड़ करने वाली 32 कंपनियों ने 2,874 करोड़ रुपए के अपने ऋण को खत्म कर दिया, जबकि 29 कंपनियों की ओर से चूक की गई। सरकार नाफेड के मामले में तब भी हस्तक्षेप नहीं किया था, जब उसके बोर्ड ने मनमाने ढंग से प्रबंध निदेशक के पद से सीवी आनंद को हटा दिया था, क्योंकि उसके कानून में सरकार के हस्तक्षेप करने का कोई प्रावधान नहीं था। (Dainik Hindustan)
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