नई दिल्ली October 02, 2011
जून में शुरू हुआ दक्षिण पश्चिम मॉनसून सीजन पिछले हफ्ते समाप्त हो गया और चार महीने की मॉनसून अवधि में देश में सामान्य से 2 फीसदी ज्यादा बारिश हुई। अपने तय समय से तीन दिन पहले यानी 29 मई को मॉनसून का आगाज हुआ था और देश के सभी प्रमुख इलाकों में यह करीब-करीब तय समय पर ही पहुंचा था। इसके बाद हालांकि इसकी रफ्तार में थोड़ी कमी आई थी और जुलाई के मध्य तक कुल बारिश सामान्य से करीब 24 फीसदी कम रही थी।इसके बाद मॉनसून ने रफ्तार पकड़ी और मध्य अगस्त व सितंबर के दौरान सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। इस तरह से पिछले महीने यानी सितंबर में जोरदार बारिश हुई और हाल के वर्षों में यह महीना मॉनसून सीजन केबेहतर महीनों में से एक रहा। जून से मध्य जुलाई तक बारिश में कमी के चलते मोटे अनाज और दलहन की बुआई पर असर पड़ा था। 20 जून से 10 जुलाई की अवधि दलहन व मोटे अनाज की बुआई के लिए बेहतर समय माना जाता है।हालांकि दलहन उत्पादन वाले तीन प्रमुख राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इस अवधि के दौरान कमजोर बारिश से उत्पादन पर असर पड़ सकता है और कुल उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 7 लाख टन घटकर 64.3 लाख टन रह सकता है। इन राज्यों में खरीफ सीजन मेंं दलहन का उत्पादन होता है।कृषि मंत्रालय ने अपने पहले अग्रिम अनुमान में कहा है कि खरीफ सीजन में मोटे अनाज का उत्पादन 6 फीसदी कम हो सकता है और कुल उत्पादन 304.2 लाख टन रह सकता है। भारत में दालों का खास महत्व है और इसके उत्पादन में गिरावट से दलहन आयात पर निर्भरता घटाने की सरकार की योजना पर पानी फिर सकता है। इसलिए कृषि मंत्रालय ने आगामी रबी सीजन में राज्यों में 10 लाख हेक्टेयर रकबा दलहन के तहत लाने के लिए 80 करोड़ रुपये अतिरिक्त आवंटित किया है। इस कदम से इच्छित परिणाम मिल सकते हैं क्योंकि अच्छी बारिश के चलते देश के ज्यादातर इलाकों में मिट्टी में नमी बनी रहने की संभावना है। वास्तव में अकेले सितंबर में ही मॉनसून की बारिश सामान्य से करीब 10 फीसदी ज्यादा रही है। मॉनसून सीजन के आखिर में दक्षिण पश्चिम मॉनसून के जोर पकडऩे के चलते ही भारतीय प्रायद्वीप से इसकी वापसी में करीब 20 दिन की देरी हुई, जो सामान्यत: 1 सितंबर को वापस चला जाता है। इस वजह से देश के पूर्वी व उत्तर-पूर्वी इलाके में बाढ़ आ गई, हालांकि इसके चलते फसलों को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा। अच्छी बारिश के चलते देश के 81 प्रमुख जलाशयों में भी अच्छा खासा पानी जमा हो गया है।पिछले हफ्ते तक देश के जलाशयों में करीब 131.49 अरब घनसेंटीमीटर पानी था, जो पिछले साल भंडारित जल के मुकाबले 118 फीसदी और पिछले 10 साल के औसत के मुकाबले 128 फीसदी है। 81 जलाशयोंं में से करीब 75 जलाशयोंं में सामान्य भंडारण का 80 फीसदी पानी था, जबकि सिर्फ 6 जलाशयों में यह 80 फीसदी से कम था। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी रबी सीजन में जलाशयों में इकट्ठा पानी सिंचाई के लिए पर्याप्त है। कुल मिलाकर अनाज, कपास, सोयाबीन, गन्ना आदि का उत्पादन इस साल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है क्योंकि बुआई वाले इलाकों में बारिश का वितरण ठीक-ठाक रहा है। एक बार फिर भारतीय मौसम विभाग इस साल के मॉनसून सीजन के लिए बारिश की सटीक भविष्यवाणी करने में विफल रहा। मौसम विभाग लगातार अपने अनुमानों पर खरा उतरने में विफल रहा है और अगस्त के अंत तक यह कहता रहा था कि इस साल देश में सामान्य से कम बारिश होगी। वास्तव में 1 अगस्त को मौसम विभाग ने कहा था कि मॉनसून सीजन के बाकी दो महीने में बारिश लंबी अवधि के औसत का 90 फीसदी रहेगा। लेकिन 31 अगस्त तक वास्तविक बारिश लंबी अवधि के औसत का 110 फीसदी रहा। (BS Hindi)
03 अक्तूबर 2011
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