तौल और माप मानक अधिनियम, 1956 के अंतर्गत देश में मैट्रिक प्रणाली पर आधारित माप-तौल के एक समान मानक बनाए गए। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में तौल और माप इकाई इस विषय से सम्बंद्ध सभी गतिविद्धियों के लिए एक प्रमुख एजेंसी है।
अन्तर्राष्ट्रीय प्रणाली की यूनिटों की स्थापना तथा अपने कानूनों को अन्तर्राष्ट्रीय पद्धतियों के अनुरूप बनाने और कुछ कमियों को दूर करने के लिए 1956 के अधिनियम के स्थान पर एक व्यापक कानून माप-तौल मानक अधिनियम, 1976 लाया गया। नए कानून में अन्य बांतों के अलावा वस्तुओं की डिब्बाबंदी के बारे में नियम बनाए गए हैं ताकि उचित व्यापार प्रथाएँ स्थापित हों। डिब्बाबंद वस्तु अधिनियम के प्रावधानों और माप-तौल मानक (पैकेज्ड वस्तु) नियम, 1977 जैसे सम्बद्ध नियम सितंबर 1977 से लागू हैं। पैकेटबंद वस्तुओं के बारे में अधिनियम की व्यवस्थाओं के अनुसार फुटकर बिक्री के लिए पैकेटबंद हर वस्तु पर वस्तु का नाम, उत्पादक या पैकेट बंद करने वाले का नाम और पता, वस्तु की वास्तविक मात्रा, पैकेटबंदी विनिर्माण का महीना, वर्ष और बिक्री मूल्य आदि लिखा होना जरूरी है। खुदरा बिक्री मूल्य की अनिवार्य घोषणा सभी करों सहित एम.आर.पी. के रुप में दी जाती हैं। 17.07.2006 की संशोधित अधिसूचना और नियमों की समीक्षा की गई। उपभोताओं के हितों में नये प्रावधान लागू किये गए हैं। 1. वैट के अंतर्गत शामिल खुदरा विक्रेताओं को बेचे गये चीजों की कीमत एंव भार की लिखित सूचना छापनी होगी। 2. प्रत्येक पैकेट पर नाम, पता, टेलीफोन नं. लिखा होगा ताकि उपभोक्ता अपनी शिकायतों की सूचना दे सकें।
वर्ष 1976 के अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत उत्पादन शुरू करने से पहले भार और माप उपकरणों के सभी माँडलों की मंजूरी ली जानी चाहिए। तौल और माप (माँडलों की मंजूरी) नियम, 1987 के मानकों के अनुरूप हैं या नहीं। यह नियम 1987 से प्रभावी है।
संविधान के 42वें संशोधन से तौल और मापों के प्रवर्तन का विषय राज्य सूची से समवर्ती सूची में आ गया। देशभर में प्रवर्तन में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए एक केंद्रीय अधिनियम-तौल और माप (प्रवर्तन) अधिनियम, 1985 लागू किया गया। इस अधिनियम में व्यापारिक सौदों व औद्योगिक उत्पादन तथा जन-स्वास्थ्य संरक्षण और मानव सुरक्षा संबंधी कार्यों में प्रयुक्त किए जाने वाले तौल, माप तथा तौल/माप यंत्रों के बारे में प्रभावशाली वैधानिक नियंत्रण के प्रावधान शामिल हैं।
भारत अन्तर्राष्ट्रीय विधि माप विज्ञान संगठन का सदस्य है। इस संगठन की स्थापना वैधानिक माप विज्ञान (तौल और माप) से संबंधित कानूनों में विशव व्यापार में एकरूपता लाने के लिए की गई थी ताकि अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सुगमता और व्यावहारिक रूप से चल सके।
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वैधानिक मानकों का अंशांकन की सुविधा और सेवाएं प्रदान करते हैं। तौल और माप उपकरणों के माडल यानी प्रतिदर्शी अनुमोदन परीक्षण के लिए भी ये मान्यताप्राप्त प्रयोगशालाएं हैं। पूर्वोत्तर राज्यों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नौवीं पंचवर्षीय योजना में गुवाहाटी में एक प्रयोगशाला स्थापित करने का काम शुरू किया गया। कार्य लगभग पूरा हो चुका है।
मंत्रालय के अंतर्गत रांची स्थित भारतीय वैधानिक माप विज्ञान संस्थान, माप विज्ञान के कानूनी तथा सम्बद्ध विषयों का प्रशिक्षण देता है। राज्यों के प्रवर्तन अधिकारीयों के अलावा कई अफ़्रीकी, एशियाई और लातिनी अमरीकी देशों के प्रतिनिधि संस्थान द्वारा चलाए जाने वाले कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। वर्ष 2005-07 के दौरान 8.1 करोड़ की राशि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को अनुदान के रूप में दी गई। 2007-08 में द्वितीयक मानक भार प्रणाली के 59 सेटों और तौलकांटों की जांच करने वाले के 17 मोबाईल किटों की आपूर्ति पूरी कर ली गई है। संस्थान की गतिविधियों को पुनः केंद्रित करने के लिए ताकि इसका जनादेश ज्यादा प्रभावी तरीके से पूर्ण हो, और इसे उत्कृष्टता का एक केंद्र बनाने के लिए भारतीय प्रबंधन संस्थान में एक अध्याय जोड़ दिया गया है।
31 अक्टूबर 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें