मुंबई October 11, 2011 |
बाजार के संचालन में सुधार, निवेशकों के हितों की सुरक्षा और ब्रोकरों के लिए नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) कई कदम उठा रहा है। साथ ही एफएमसी निरीक्षण के नियमों का मानकीकरण करते हुए गड़बड़ी की जांच में तेजी लाने पर जोर देने जा रहा है। सर्कुलर जारी कर एफएमसी पहले ही एक्सचेंजों से कह चुका है कि वह सदस्यों को क्लाइंट में परिवर्तन की अनुमति न दें या उचित क्लाइंट कोड के अभाव में उन्हें कारोबार की अनुमति न दें। हालांकि एफएमसी ने एक्सचेंजों उपयुक्त गलती के मामले में ही क्लाइंट कोड में परिवर्तन की अनुमति देने को कहा है।
यूनिक क्लाइंट कोड को अपलोड किए बिना कारोबार करने वाले सदस्यों पर एफएमसी ने एक्सचेंजों को कारोबारी मूल्य के 1 फीसदी के बराबर जुर्माना वसूलने को कहा है। अगर कारोबार के एक महीने के भीतर क्लाइंट कोड अपलोड नहीं किया जाता है तो सदस्य निलंबन का भागी बनेगा। अगर किसी सदस्य को यूनिक क्लाइंट कोड अपलोड किए बिना कारोबार की अनुमति दी गई है तो एक्सचेंज ऐसे सदस्यों के मामले की जांच साप्ताहिक आधार पर करेगा।
इसके अलावा वायदा बाजार आयोग निरीक्षण व जिंस वायदा एक्सचेंज के सदस्यों के खातों का अंकेक्षण के बाबत नियमों का मानकीकरण भी करने जा रहा है। अगले महीने के मध्य तक एफएमसी इस संबंध में नियम जारी करेगा ताकि खाता-बही की जांच प्रक्रिया में मानकीकरण सुनिश्चित हो। इन नियमों से जांच की प्रक्रिया का मानकीकरण हो सकेगा। अंकेक्षण की रिपोर्ट संबंधित सदस्य को भेजी जाएगी, जो इसे प्राप्त करेगा। अंकेक्षक को इस बात की भी जांच करनी होगी कि सदस्य डब्बा कारोबार में संलग्न नहीं है और एक्सचेंजों के साथ क्लाइंट कोड नियमों के अनुपालन में अपने सॉफ्टवेयर के जरिए क्लाइंट कोड में परिवर्तन नहीं कर रहा है।
एफएमसी शर्तें तय करेंगी, जिससे पता चलेगा कि कौन से सदस्य ब्रोकर का निरीक्षण नियामक करेगा जबकि बाकी सदस्यों का निरीक्षण एक्सचेंज करेगा। हर ब्रोकर-सदस्य को साल में एक बार निरीक्षण का सामना करना पड़ेगा और अगर उसके पास कई एक्सचेंजों की सदस्यता है तो उसका निरीक्षण साल में सिर्फ एक बार होगा।
एफएमसी के एक अधिकारी ने कहा - ये कदम बाजार के प्रतिभागियों द्वारा नियमों के अनुपालन और अनुशासन में सुधार के लिए उठाए गए कदमों का हिस्सा भर है। अधिकारी ने यह भी कहा कि कई एक्सचेंजों की सदस्यता रखने वाले सदस्य के खातों की जांच के मामले में एक एक्सचेंज उसके सभी खातों की जांच करेगा, लेकिन अंकेक्षक उस सदस्य की जांच रिपोर्ट संबंधित एक्सचेंज को सौंपेगा, ऐसे में जांच में संलग्न एक्सचेंज दूसरे एक्सचेंज के कारोबार करने वाले ब्रोकर की कमियों के बारे में नहीं जान पाएगा। हालांकि अगर इसे लागू किया गया तो अंकेक्षक की सत्यनिष्ठा पर संदेह किया जा सकता है।
एक्सचेंज के एक अधिकारी का सुझाव है कि कई एक्सचेंजों की सदस्यता रखने वालों के खाता-बही की जांच का अधिकार उस एक्सचेंज को दिया जाना चाहिए, जिसके साथ उसका ज्यादा कारोबार हो रहा हो। एक ब्रोकर की टिप्पणी थी - पूंजी बाजार की तरह सदस्य को यह फैसला करने का अधिकार दिया जाना चाहिए कि कौन सा एक्सचेंज उसके लिए नोडल एक्सचेंज होगा। नोडल एक्सचेंज को उनके खाता-बही की जांच का अधिकार सौंपा जा सकता है।
इसके अलावा कई एक्सचेंज की सदस्यता रखने वाले सदस्यों के लिए एफएमसी नेटवर्थ की कसौटी अलग रखने पर विचार कर रहा है। यह कदम निवेशकों, हेजर्स, कारोबारी आदि की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया जाएगा। (BS Hindi)
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