बेंगलुरु October 05, 2011
लौह अयस्क की कमी के कारण अपनी स्थापित इस्पात उत्पादन क्षमता में 30 फीसदी कटौती करने वाली जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड को उम्मीद है कि अक्टूबर के अंत तक सामान्य उत्पादन बहाल हो जाएगा। कर्नाटक में चल रही लौह अयस्क की ई-नीलामी में बड़ा हिस्सा खरीदने वाली कंपनी को उम्मीद है कि यह बेल्लारी जिले में उसके संयंत्र के लिए करीब एक महीने का स्टॉक है। मंगलवार को हुई लौह अयस्क की तीसरी नीलामी में जेएसडब्ल्यू ने 13.5 लाख टन लौह अयस्क की खरीदारी की है, जो नीलामी के लिए रखे गए कुल अयस्क का 65 फीसदी है। इसने 61.5 एफई ग्रेड के लौह अयस्क की खरीद 2,447 रुपये प्रति टन की दर पर की। इसके साथ ही कंपनी 14 सितंबर के बाद अब तक नीलामी में बेचे गए 33.4 लाख टन लौह अयस्क में से 18.5 लाख टन यानी 55 फीसदी की खरीदारी कर चुकी है। कंपनी को अपना संयंत्र चलाने के लिए हर महीने करीब 15 लाख टन लौह अयस्क (63 एफई ग्रेड या अधिक) की जरूरत होती है। अगर एफई का स्तर 58 ग्रेड से कम होता है तो इसकी मात्रा 18 लाख टन प्रतिमाह होती है। जेएसडब्ल्यू स्टील के निदेशक और सीईओ विनोद नोवाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि 'हमारे पास अपने तोरंगालु संयंत्र में 40 लाख टन लौह अयस्क के भंडारण की क्षमता है। नियमित नीलामी से इस स्तर तक खरीद की उम्मीद कर रहे हैं और इस महीने के अंत तक उत्पादन को सामान्य स्तर पर ले आएंगे।'वर्तमान में जेएसडब्ल्यू ने अपने 1 करोड़ टन प्रतिवर्ष उत्पादन वाले इस्पात संयंत्र की क्षमता का उपयोग 30 फीसदी घटा दिया है। यह संयंत्र को चलाने के लिए निम्नतम स्तर है। हालांकि जेएसडब्ल्यू इस्पात के प्रवक्ता ने कहा कि कुछ प्रशासनिक प्रक्रियाओं की वजह से लौह अयस्क समय पर नहीं भेजा जा रहा है। नीलामी में खरीदे गए लौह अयस्क के अलावा करीब 20,000 टन अयस्क झारखंड, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ से आ रहा है। कंपनी 100 फीसदी क्षमता का उपयोग 28 अक्टूबर तक शुरू कर देगी।उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त निगरानी समिति ने मंगलवार को 21 लाख टन लौह अयस्क नीलामी के लिए रखा। इसमें 15 लाख टन आयरन ओर फाइंस थीं और बाकी लंप्स और कम ग्रेड का अयस्क था। इसकी आधार कीमत 65 एफई ग्रेड के लिए 2,750 रुपये रखी गई, जिसमें प्रत्येक ग्रेड की गिरावट के साथ कीमत में 100 रुपये की कमी की गई है। अगली नीलामी 12 अक्टूबर को तय की गई है। नोवाल ने कहा कि अगली कुछ तिमाहियों तक नीलाम किए जाने वाले कुल 250 लाख टन अयस्क में से केवल 180 लाख टन उच्च गुणवत्ता का अयस्क है, जबकि शेष अयस्क 52 एफई ग्रेड से कम है। इसका इस्तेमाल इस्पात मिलों द्वारा नहीं किया जा सकता, क्योंकि देश में इस तरह के अयस्क के इस्तेमाल की तकनीक उपलब्ध नहीं है। नोवाल ने कहा कि ' उच्च गुणवत्ता वाले लौह अयस्क के भंडार का इस्तेमाल करीब 10 महीनों तक किया जा सकता है और हम उम्मीद करते हैं कि नियमित खनन जल्द ही शुरू हो जाएगा।' फिलहाल इस्पात कीमतों में बढ़ोतरी नहीं वहीं, कंपनी ने लागतों में बढ़ोतरी के बावजूद इस्पात उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं करने का निर्णय लिया है। नोवाल ने कहा कि 'लौह अयस्क की कीमतें पिछले दो महीने पहले की अवधि की तुलना में 1,000 रुपये बढ़कर 3,500 रुपये प्रति टन हो गई हैं, जो पहले से 40 फीसदी अधिक हैं।' उत्पादन की कुल लागत 2,000 रुपये प्रति टन बढ़ चुकी है। इस दर पर किसी नॉन कैप्टिव यूजर के लिए अपना संयंत्र चलाना बहुत मुश्किल है। लेकिन हम स्थिति पर निगरानी रख रहे हैं, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर से अधिक कीमतों में बढ़ोतरी व्यवहार्य नहीं है। (BS Hindi)
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